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१.
हरीतक्यादिनिघंटे
अथ जलमोथानामगुणाः. (गुडतजी इति च इयं तु वितुन्नकनानो वृक्षस्य त्वक् मुस्ताकतिः)
कुटन्नटं दासपुरं वालेयं परिपेलवम् । प्लवगोपुरगोनर्दकैवर्तीमुस्तकानि च ॥ १२२ ॥ मुस्तावत्पेलवं पुष्टं शुक्राभं स्याद्वितुन्नकम् । वितुन्नकं हिमं तिक्तं कषायं कटु कान्तिदम् ॥ १२३ ॥
कफपित्तास्त्रवीसर्पकुष्टकण्डूविषप्रणुत् । टीका-कुटन्नट, दासपुर, वालेय, परिवेलव, प्लव, गोपुर, गोनर्द, कैवर्ती, मुस्तक ।। १२२ ॥ मोथाके सदृश पेलव, पुष्ट, शक्राभ, वितुन्नक, ये जलमोथांके नाम हैं. ये शीतल, तिक्त, कसेला, तथा कडवा है, और कान्तिको देनेवाला है ॥ १२३ ॥ और कफ, रक्त, विसर्प, कुष्ठ, खुजली, तथा विष, इनकाभी नाशक है.
अथ स्टकासुगंधद्रव्यनामगुणाः. स्टक्कासृक् ब्राह्मणी देवी मरुन्माला लता लघुः ॥१२४॥ समुद्रान्ता वधूः कोटिवर्षालङ्कोपिकेत्यपि । स्टक्का स्वादी हिमा वृष्या तिक्ता निखिलदोषनुत् ॥१२५॥
कुष्ठकण्डूविषस्वेददाहास्त्रज्वररक्तहृत् । टीका-स्पृक्कानामका एक सुगंधद्रव्य शाकविशेष है, इसकों पिंडितशाक कहते हैं. स्पृक्का, असृक्, ब्राह्मणी, देवी, मरुन्माला, लता ॥ १२४ ॥ समुद्रान्ता, वधू, कोटिवर्षा, लंकोपिका, ये स्पृक्काके नाम हैं. स्वरकों मधुर, शीतल, धातुनको बढानेवाला है, तिक्त है, संपूर्ण दोषोंका हरनेवाला है ॥१२॥ और कुष्ठ, खुजली, विष, पसीना, दाह, रक्तज्वर, तथा रक्त इनकाभी हरनेवाला है.
___ अथ पर्पटी(पद्मावती)नामगुणाः. पर्पटा रञ्जना कृष्णा जतुक्ता जननी जनी ॥ १२६ ॥ जतु कृष्णाग्निसंस्पर्शा जतुरुचक्रवर्तिनी । पर्पटी तुवरा तिक्ता शिशिरा वर्णकल्लघुः ॥ १२७ ॥
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