________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
१७४
हरीतक्यादिनिघंटे हलका शुक्रकों उत्पन्न करनेवाला, मधुर होताहै और तीनों दोषोंकों हरताहै मु. गलोंके देशोंमें यह विशेषकरके मिलताहै ॥ १२३ ॥
अथ पीलुगुणाः, पीलुर्गुडफलः संत्री तथा शीतफलोऽपि च । पीलः श्लेष्णसमीरघ्नं पित्तलं भेदि गुल्मनुत् ॥ १२४ ॥ स्वादु तिक्तं च यत्पीलु तन्नात्युष्णं त्रिदोषहृत् । पीलुः शैलभवोऽक्षोटः कर्परालश्च कीर्तितः॥
अक्षोटकोऽपि वातामसदृशः कफपित्तहत् ॥ १२५ ॥ टीका-पीलु गुडफल स्रंसी तथा शीतफल यह पीलूके नाम हैं पीलू कफवातकों हरता पित्तकों करनेवाला, भेदन करनेवाला, वायगोलाकों हरता है ॥ १२४॥ और जो पीलू मधुर, तिक्त होताहै वोह बहुत गरम नहीं होता और त्रिदोषकों हरताहै अक्षोटभी बदामके समान गुणमें होताहै और कफपित्तकों करनेवाला है ॥ २२५॥
अथ बीजपूर(बिजोरा)नामगुणाः. बीजपूरो मातुलङ्गो रुचकः फलपूरकः । बीजपूरफलं स्वादु रसेऽम्लं दीपनं लघु ॥ १२६ ॥ रक्तपित्तहरं कण्ठजिह्वाहृदयशोधनम् ।
श्वासकासारुचिहरं हृद्यं तृष्णाहरं स्मृतम् ॥ १२७ ॥ टीका-बीजपूर, मातुलुङ्ग, रुचक, फलपूरक यह विजोरेके नाम हैं. विजोरेका फल रसमें मधुर और अम्ल होताहै दीपन, हलका, होताहै ॥ १२६ ॥ रक्तपितकों हरता है, कण्ठ, जिह्वा, हृदय, इनका शोधन तथा श्वास, कास, अरुचि, इनकों हरता हृद्य और तृषाकों हरता कहागयाहै ॥ १२७ ॥
अथ जंबीरभेदाः. बीजपूरोऽपरः प्रोक्तो मधुरो मधुकर्कटी ॥ १२८॥ मधुकर्कटिका स्वाही रोचनी शीतला गुरुः। रक्तपित्तक्षयश्वासकासहिक्काभ्रमापहा ॥ १२९ ॥
For Private and Personal Use Only