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हरीतक्यादिनिघंटे करनेवाला, सुगन्धिक है, और पीनस, विष, कुष्ठ, रक्त, क्लेद, खुजली, त्रिदोष, इनको हरनेवाला है ॥६६॥
अथ वर्वरीनामगुणाः. वर्वरी तुवरी तुङ्गी खरपुष्पाजगंधिका । पर्णाशस्तत्र कृष्णस्तु कठिल्लककुठेरकौ ॥ ६७ ॥ तत्र शुक्केऽर्जकः प्रोक्तो वटपत्रस्ततोऽपरः । वर्वरीत्रितयं रूक्षं शीतं कटु विदाहि च ॥ ६८ ॥ तीक्ष्णं रुचिकरं हृद्यं दीपनं लघुपाकि च ॥ पित्तलं कफवातास्त्रकण्डूकमिविषापहम् ॥ ६९ ॥
इति हरीतिक्यादिनिघंटे पुष्पादिवर्ग समाप्तः । टीका-वर्वरी, तुवरी, तुंगी, खरपुष्पा, अजगन्धिका, पर्णाश यह वर्वरीके नाम हैं. उस्में कालेका नाम कठिल्लक और कुठेरक है ।।.६७॥ उन्में सुफेद अर्जक, वटपत्र कहागया है, तीनों वर्वरी रूखी, शीतल, कडवी, विदाहकों करनेवाली है ॥६॥ तथा तीखी, रुचिकों करनेवाली, हृद्य, दीपन, और पाकमें हलकी होती है, और पित्तको करनेवाली, कफ, वातरक्त, खुजली, कृमि, विष, इनको हरती है ॥६९॥ इति हरीतक्यादिनिघंटे बालबोधनीटीकायां पुष्पादिवर्गः समाप्तः ।
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