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गडूच्यादिवर्गः।
१२७ समान सूक्ष्म पात्ते होते हैं, तथा काटोंके सहित निजीलदेशमें यह होता है ॥३०२॥ वरवेल रस और पाकमें तिक्त होता है, और तृषाकफकों, हरती है, मूत्राघात, पथरी, इनको हरनेवाला, काविज, तथा योनिरोग मूत्रवातकी पीडा इनको हरनेवाला है ॥ ३०३ ॥
अथ छिक्कनीतथा कुकुंदरनामगुणाः. छिक्कनी क्षवकत्तीक्ष्णा छिक्किका घ्राणदुःखदा । छिकनी कटुका रुच्या तीक्ष्णोष्णा वह्निपित्तकृत् ॥ ३०४ ॥ वातरक्तहरी कुष्ठकमिवातकफापहा ।। कुकुन्दरस्ताम्रचूडः सूक्ष्मपत्रो मृदुच्छदः ॥ ३०५॥ कुकुन्दरः कटुस्तिक्तो ज्वररक्तकफापहः।
तन्मूलमा निःक्षिप्तं वदने मुखशोषत् ॥ ३०६ ॥ टीका-छिक्कनी, क्षवकृत, तीक्ष्णा, छिकिका, प्राणदुःखदा, यहतक छिकनीके नाम हैं. छिक्कनी, कडवी, रुचिकों करनेवाली, तीखी, और गरम, अग्निकों पित्तकों करनेवाली है ॥ ३०४ ॥ और वातरक्तकों हरती तथा कोष्ठ, कृमि, वात कफकों हरती है. कुकुन्दर, ताम्रचूड, मूक्ष्मपत्र, मृदुच्छद, यह ककरोंदाके नाम हैं ॥ ३०५ ॥ ककरोंदा कडवा, तिक्त, ज्वर, रक्त, कफ, इनकों हरता है. उस्की गीली जड मुरमें डालेसें मुखशोपको हरती है ॥ ३०६ ॥
अथ सुदर्शन तथा आखुपर्णी नामगुणाः. सुदर्शना सोमवल्ली चक्राहा मधुपर्णिका । सुदर्शना स्वादुरुष्णा कफशोफास्त्रवातजित् ॥ ३०७ ॥ आखुकर्णी त्वाखुकर्णपर्णिका भूदरीभवा । आखुकर्णी कटुस्तिक्ता कषाया शीतला लघुः ॥ ३०८ ॥
विपाके कटुका मूत्रकफामयरुमिप्रणुत् । टीका-सुदर्शना, सोमवल्ली, चक्राव्हा, मधुपर्णिका, यह सुदर्शनके नाम हैं. सुदर्शन, मधुर, उष्ण, कफ, शोथ, रक्त, वातकों हरनेवाली है ॥ ३०७ ॥ आखुकर्णी अखुकर्ण, पर्णिका, भूदरीभवा, यह मूसाकीके नाम हैं मूसाकर्णी कडवी,
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