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हरीतक्यादिनिघंटे नाम हैं ॥ २३० ॥ सफेद पुनर्नवा कसेला, पाण्डुरोगकों हरता है, दीपन और वात, विष, कफ, इनकों हरता है, तथा उदररोगकों हरता है ।। २३१ ॥
अथ रक्तपुष्पपुनर्नवानामगुणाः. पुनर्नवाऽपरा रक्ता रक्तपुष्पा शिलाटिका । शोथनः क्षुद्रवर्षाभूर्वृषकेतुः कपिल्लकः ॥ २३२ ॥ पुनर्नवारुणा तिक्ता कटुपाका हिमा लघुः ।
वातला ग्राहिणी श्लेष्मपित्तरक्तविनाशिनी ॥ २३३॥ टीकाः-पुनर्नवा दूसरी रक्तपुष्पा, शिलाटिका, यह लालपुनर्नवाके नाम हैं. शोथन, क्षुद्र, वर्षाभू, वृषकेतु, कपिल्लक, यह पुनर्नवाके नाम हैं ॥ २३२ ॥ पुननवा लाल, तिक्त, पाकमें कटु, शीतल, हलका, वातको उत्पन्न करनेवाला, अग्नि, कफ, पित्त, रक्त, इनकों हरता है ॥ २३३ ।।
अथ गन्धप्रसारणीनामगुणाः. प्रसारणी राजबला भद्रपर्णी प्रतापनी। सरणी सारणी मद्रा बला चापि कटम्भरा ॥ २३४ ॥ प्रसारिणी गुरुर्वृष्या बलसन्धानरुत्सरा ।
वीर्योष्णा वातहत् तिक्ता वातरक्तकफापहा ॥ २३५॥ टीका:-प्रसारणी, राजबला, भद्रपर्णी, प्रतापनी, सरणी, सारणी, भद्रा, बला, कटम्भरा, यह गन्धप्रसारणीके नाम हैं ॥ २३४ ॥ गन्धप्रसारणी भारी, शु. क्रकों उत्पन्न करनेवाली, बलकों देनेवाली, हड्डियोंकों जोडनेवाली, दस्तावर, वीर्यमें उष्ण, वातकों हरती है, तिक्त है, वातरक्त, कफ, इनको हरनेवाली है ॥ २३५ ॥
अथ इंद्रजंबूक(करिआवांसा)नामगुणाः. इन्द्रजम्बूकवत्पत्रा सुगन्धा कलघण्टिका ।
कृष्णा तु शारिवा श्यामा गोपी गोपवधूश्च सा ॥ २३६ ॥ टीका-ये बडे जामनके पत्तोंके समान पत्ते होते हैं, और सुगन्धभी होता है, कलघंटिका, मुगन्धा, इन्द्रजम्बूक पत्तोंके समान पत्तोंवाली कृष्णा, सारिवा, श्यामा, गोपी, गोपवधू, यह काले सारिवाके नाम हैं. उस्को पूर्वसांउ कहते हैं २३६
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