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हरीतक्यादिनिघंटे शतावरी गुरुः शीता तिक्ता स्वादी रसायनी ॥ १८५॥ मेधाग्निपुष्टिदा स्निग्धा नेत्र्या गुल्मातिसारजित् । शुक्रस्तन्यकरी बल्या वातपित्तास्त्रशोथजित् ॥ १८६ ॥ महाशतावरी मेध्या हृद्या वृष्या रसायनी।
शीतवीर्या निहन्त्यमॆग्रहणीनयनामयान् ॥ १८७ ॥ टीका-शतावरी १, बहुसुता २, भीरु ३, इन्दीवरी ४, वरी ५, ॥ १८३ ॥ नारायणी ६, शतपदी ७, शतवीर्या ८, पीवरी ९, ये शतावरके नाम हैं. शतमूली १, अर्धकण्टिका २, ॥ १८४ ॥ सहस्रवीर्या ३, हेतुचरिष्या ४, महोदरी ५, ये महाशतावर अर्थात् बडी शतावरके नाम हैं. ये भारी है, शीतल है, कडवी, मधुर, रसायन ॥ १८५ ॥ और कान्ति, अग्नि, और पुष्टता, इनकों देनेवाली है, स्निग्ध है, और नेत्रोंकों हितकारक है, और वायगोला अतीसारकों जीतनेवाली है, शुक्रकों तथा दुग्धकों करनेवाली है, बलके हितकारी है, वात, पित्त, रक्त, मूजन, इनकोंभी जीतनेवाली है ॥ १८६ ॥ और बडी शतारी कान्तिको करनेवाली है, दिलकों ताकत देती है, पुरुषखकों बढाती है, रसायनी है, और बड़ा शतावर, ववासीर, संग्रहणी, नेत्ररोग, इनका नाश करनेवाली है ॥ १८७॥
__ अथ असगंधनामगुणाः. गन्धान्ता वाजिनामादिरश्वगन्धा हयाह्वया । वराहकर्णी वरदा तथोक्ता कुष्ठगन्धिनी ॥ १८८ ॥ अश्वगन्धानिलश्लेष्मश्वित्रशोथक्षयापहा ।
बल्या रसायनी तिक्ता कषाकोष्णातिशुक्रला ॥ १८९॥ टीका-गन्धान्ता १, घोडेकेनामआदिवाला २, अश्वगंधा ३, हयाह्वया ४, वराहकर्णी ५, वरदा ६, कुष्ठगन्धिनी ७, ये असगंधके नाम हैं ॥ १८८॥ ये वात, कफ, श्वित्र, सूजन, क्षय इनकी हरनेवाली, बलकों देनेवाली, रसायन है, चरपरी, कसेली, और खानेसें शुक्रकों उत्पन्न करती है ॥ १८९ ॥
अथ पाठानामगुणाः. पाठांबष्ठांबष्ठकी च प्राचीना पापचेलिका। एकाष्ठीला रसा प्रोक्ता पाठिका वरतिक्तका ॥ १९० ॥
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