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आपाततः-आभिजात्य
टूट पड़ना; वर्तमान क्षण या काल; प्रथम दर्शन, पहली तूफानी । -का मारा-विपदग्रस्त, दुर्दैव-पीडित । निगाह(इमर्जेंसी) अकस्मात् आयी हुई संकटककी स्थिति,
-ढाना-उपद्रव मचाना; कष्ट पहुँचाना, पीड़ित करना; आकस्मिक आवश्यकता।
अनहोनी बात कहना । -मचाना-उपद्रव मचाना, शोरआपाततः-अ० [सं०] पहली निगाहमें, ऊपरसे देखनेमें; गुल करना; (किसी काममें ) बहुत उतावली करना । तत्क्षण, तुरत; अकस्मात् अन्त में ।
-मोल लेना,-सिरपर लेना-कोई झंझट, बखेड़ा अपने आपातिक, आपाती-वि० [सं०] (इमर्जेंट) आकस्मिक सिर लेना; संकटको न्योता देना। आवश्यकताके कारण उत्पन्न, आहत या सामने आनेवाला आफ़ताब-पु० [फा०] सूर्य; धूपं । अथवा उससे संबंध रखनेवाला।
आफ़ताबा-पु० [फा०] हाथ-मुँह धुलानेका गडुआ। आपादमस्तक-अ० [सं०] सिरसे पैरतक ।
आफ़ताबी-नि० [फा०] सूर्य-संबंधी; धूपमें बनाया या आपाधापी-स्त्री० हरएकको अपनी चिंता होना; धाँधली। सिझाया हुआ । स्त्री० एक तरहकी आतिशबाजी; जरीके आपान-पु० [सं०] कुछ लोगोंका मिलकर शराब पीना, कामका पंखा जिसपर सूर्यका चित्र कदा होता है। झाँप । पानगोष्ठी; इकट्ठा होकर शराब पीनेका स्थान । -गोष्ठी- | आफ-स्त्री० अफीम ।। स्त्री० कई व्यक्तियोंका एक साथ मिलकर मद्य पीना। आब-पु० [फा०] पानी; पसीना; आँसू, शराब । स्त्री० -भूमि-स्त्री० वह स्थान जहाँ कई आदमी बैठकर मद्य- चमक, कांति; शोभा धार प्रतिष्ठा; उत्कर्ष । -कारपान करें।
पु० शराब बनाने, बेचनेवाला, कलाल । -कारी-स्त्री० आपीड-वि० [सं०] पीड़ा देनेवाला; दबानेवाला । पु० शराब बनाने, बेचनेका स्थान; मद्य या मादक वस्तुओंका सिरपर पहननेकी चीज; किरीट; माला; मुकुटमणि । व्यवसाय । -महकमा-पु० नशीली चीजोंके उत्पादन, आपीडन-पु० [सं०] दबाना; मसलना; पीड़ा देना। विक्रय आदिका नियमन करनेवाला विभाग, ‘एक्साइज आपु*-सर्व० दे० 'आप'।
डिपार्टमेंट' । -खोरा-पु० एक तरहका गिलास जो मुँहआपुन, आपुनो*-सर्व० दे० 'अपना'; स्वयं ।
पर कुछ सकरा होता है। -जोश-पु० लाल मुनक्का । आपूर-पु० [सं०] जलधारा; बाढ़, भरना।
-दार-वि० चमकदार; धारदार । -(बो) ताबआपूरना-*अ० क्रि० भरना ।
स्त्री० चमक-दमक; शोभा। -दस्त-पु० सौंचना, आपूरित, आपूर्ण-वि० [सं०] पूरी तरह भरा हुआ। पानी छूना; आबदस्तका पानी। -(बो) दानाआपेक्षिक-वि० [सं०] अपेक्षा रखनेवाला; जिसका अस्तित्व
पु० अन्न-जल । -पाशी-स्त्री० खेतको सिंचाई। -रूदूसरी वस्तुपर आश्रित हो; तुलनात्मक, निस्बती। स्त्री० मान, प्रतिष्ठा । -(बे) रवाँ-पु. बहुत बारीक -गुरुत्व-पु० दो वस्तुओंका तुलनात्मक घनत्व।-ताप- मलमल ।-(बे) हयात-पु० अमृत । -,(बो) हवापु० (स्पेसिफिक हीट) किसी वस्तु का तापक्रम एक अंश स्त्री० जल-वायु । -(बे) हैवाँ-पु० अमृत । मु०-, बढ़ानेके लिए जितने तापकी आवश्यकता हो और उसके (बो) दाना उठना-स्थानविशेषमें जीविकाका उपाय समान मात्राके पानीका तापक्रम एक अंश बढ़ानेमें जितने | (नौकरी आदि) न रह जाना । तापकी आवश्यकता हो, उन दोनों तापोंकी मात्राओंका | आबद्ध-वि० [सं०] बँधा हुआ; जकड़ा हुआ। अनुपात।
आबनूस-पु० तेंदू नामक एक जंगली वृक्ष । आप्त-वि० [सं०] प्राप्त, पाया, मिला हुआ; पहुँचा हुआ; आबनूसी-वि० आबनूसका गहरा काला । प्रामाणिक विश्वसनीय; यथार्थ ज्ञान रखनेवाला; कुशल; आबाद-वि० [फा०] बसा हुआ, बस्तीवाला; संपन्न, खुशघनिष्ठ । पु० विश्वस्त व्यक्ति; मित्र; संबंधी।-काम-वि० हाल, फलता-फूलता । जिसकी कामना पूरी हो गयी हो, संतुष्ट; जिसमें सांसारिक आबादानी-स्त्री० आवाद जगह; सभ्यता, संस्कृति; अभ्युकामनाएँ और आसक्तियाँ न रह गयी हों। -वचन,- दयः कृषि; आबादी; बहुतायत; करबृद्धि; आमोद-प्रमोद । वाक्य-पु० श्रुति, स्मृति, इतिहास, पुराण आदि; | आबादी-स्त्री० [फा०] बस्ती; जनसंख्या; खुशहाली। प्रमादादिशून्य वचन ।
आबी-वि० [फा०] जलीय; जलचर हलका नीला। आप्यायन-पु० [सं०] बाढ़, वर्द्धन; तृप्ति; तृप्त करना; आब्दिक-वि० [सं०] प्रतिवर्ष होनेवाला, वार्षिक, सालाना। प्रसन्नता; मोटा करना; बढ़ाना।
आभ-स्त्री० दे० 'आभा' । पु० पानी। आप्यायित-वि० [सं०] तृप्तः प्रसन्न वद्धित; बलवान् ।।
आभरण-पु० [सं०] आभूषण, गहना; पोषण । आप्रवास-पु० [सं०] (इमिग्रेशन) बाहरसे आकर किसी | आभरन*-पु० दे० 'आभरण' । देशके भीतर बस जाना।
आभरित-वि० [सं०] भरा हुआ; सँवारा हुआ; भूषित। आप्रवासी-वि० [सं०] (इमिग्रैण्ट) बाहरसे आकर किसी| आभा-स्त्री० [सं०] चमका द्युतिः झलका छाया प्रतीति । देशके भीतर बस जानेवाला ।
आभार-पु० [सं०] बोझ एहसान । आप्लावन-पु० [सं०] स्नान; सिंचन; डुबाना, बोरना। आभारी (रिन)-वि० [सं०] एहसानमंद, ऋणी। आप्लावित-वि० [सं०] स्नात; सिक्ता डुबाया हुआ। | आभास-पु० [सं०] द्युति, चमक; झलक; छाया; सादृश्य; आफ़त-स्त्री० [अ०] विपद्, मुसीबत; दुःख, केश; मुंकट, प्रतीति; भ्रम; संकेत; अभिप्राय । बला; ऊधम । मु०-उठाना-ऊधम मचाना। -का आभिचारिक-वि० [सं०]अभिचार-संबंधी, अभिचारात्मक । टुकड़ा,-का परकाला-बहुत तेज, चलता, धूर्त आदमी आभिजात्य-पु० [सं०] कुलीनता, ऊँचे कुलमें उत्पत्ति ।
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