________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
आनति-आपात आनति-स्त्री० [सं०] झुकना प्रणाम करना; सत्कार; संतुष्टि । आनुमानिक-वि० [सं०] अनुमान, अटकलपर आश्रित । आनद्ध-वि० [सं०] बँधा या मढ़ा हुआ; कोष्ठबद्ध । पु० | आनुवंशिक-वि० [सं०] वंशपरंपरासे प्राप्त, पुश्तैनी । मढ़ा हुआ बाजा-ढोल, मृदंग आदि बनाव-सिंगार। आनुषंगिक-वि० [सं०] संबद्धः अप्रधान, गौण प्रासंगिक । आनन-पु० [सं०] मुंह; चेहरा ग्रंथका बड़ा खंड, अध्याय ।। आप-पु० [सं०] पानी प्राप्ति; एक वसु; आकाश । वि० आननफानन-अ० तुरत, अति शीघ्र ।
प्राप्य । -गा-स्त्री० नदी। -निधि-पु० समुद्र। . आनना*-स० क्रि० लाना।
आप-सर्व० खुद, स्वयं; तुम, वे, येका आदरार्थक रूप । आनमित-वि० [सं०] झुकाया हुआ, नवाया हुआ। पु० परमात्मा। -काज-पु० अपना काम । -काजीआनम्य संविधान-पु० [सं०] (फ्लेक्सिबिल कांस्टिट्यूशन) वि० अपना मतलब देखनेवाला । -बीती-स्त्री० अपने किसी राज्यका ऐसा संविधान जिसमें देश-कालकी आवश्य- ऊपर बीती हुई बात; अपने जीवन या तदंतर्गत घटनाकताके अनुसार आसानीसे परिवर्तन किया जा सके। विशेषकी कहानी। -स्वार्थी-वि० खुदगर्ज, मतलबी। आनयन-पु०[सं०] लाना; पास ले जाना; उपनयन संस्कार। मु०-आप करना-खुशामद करना । -आपकी पड़ना आनर्त-पु० [सं०] सौराष्ट्र देश या वहाँका निवासी रंगशाला; -अपने-अपने कामोंमें व्यस्त रहना । -आपको अलग
नृत्यशाला; नृत्य; युद्ध; जल; एक सूर्यवंशीय नरेश । अलग, अपने-अपने अपनेको । -से आप-खुद-बखुद, आनर्तन-पु० [सं०] नाचना ।
अपने आप । -ही आप-स्वतः, अपने मनसे; मन ही मन । आना-अ० क्रि० एक जगहसे चलकर दूसरी जगह (कहने आपण-पु० [सं०] बाजार, दुकान ।। या सुननेवालेके पास या उसके स्थानपर) पहुँचना; वहाँके आपणिक-वि० [सं०] बाजार संबंधी; बाजारसे प्राप्त (कर लिए रवाना होना; लौटना शुरू होना; फल-फूल लगना; आदि) । पु० दुकानदार; बाजार, दुकानका कर। मिलना; भोज्य वस्तुका पकना; स्खलित होना; ज्ञान या आपतिक-वि० [सं०] आकस्मिक; दैवी; अदृष्ट। पु० बाज। अभ्यास होना; अँटना; बैठना; बदना (धान कमरतक आ| आपत्-स्त्री० [सं०] दे० 'आपद्'। -काल-पु० मुसीगये हैं); आविर्भाव होना, (क्रोधादिका) उत्पन्न होना । बत,कष्ट, कठिनाईके दिन । -कालिक-वि० आपत्कालमें पु० रुपयेका सोलहवाँ भाग, चार पैसे; सोलहवाँ भाग । होनेवाला; आपत्कालके लिए उचित । -सहायकार्य-पु० आता-जाता-आने-जानेवाला । आना-जाना-आमद- (रिलीफ वर्क) दुष्काल या बाढ़, भूकंपादि जैसे संकटके रफ्त, मिलना-जुलना । आनी-जानी-आने-जाने बनने- समय आर्त और असहाय जनताकी सहायताके लिए आरंभ बिगड़नेवाली, अस्थिर, नश्वर । मु० आ धमकना
किया गया सार्वजनिक निर्माण कार्य । अचानक आ जाना। आ निकलना-अचानक पहुँच आपत्ति-स्त्री० [सं०] विपत, संकट; दोष; उज, एतराज । जाना । आ पड़ना-यकायक आ जाना, टूट पड़ना; आपदा-स्त्री० [सं०] विपत् । संकट, विपद् आना । आ बनना-अवसर हाथ लगना। | आपद-स्त्री० [सं०] विपत्, मुसीबत; कष्ट, कठिनाई । आया गया-मेहमान, अतिथि । आयेदिन-नित्यप्रति । -गत,-प्रस्त-वि० मुसीबतमें फंसा हुआ; भाग्यहीन । आ रहना-गिर पड़ना। आ लगना-आरंभ होना; -धर्म-पु. वह आचरण, वृत्ति आदि जिसकी इजाजत साथ लगना; ठिकाने पहुँचना।
केवल आपत्कालके लिए हो। आनाकानी-स्त्री० टालमटूल, उज्र, एतराज; कानाफूसी। आपन, आपना, आपनो*-सर्व० दे० 'अपना'। आनाह-पु० [सं०] बंधन; मलावरोध; मल-मूत्रके अव
आपन्न-वि० [सं०] आपद्ग्रस्त प्राप्त; संकटको पहुँचा हुआ। रोधसे पेटका फूलना; लंबाई (कपड़े आदिकी)।
आपयिता (त)-वि० [सं०] पाने, जुटानेवाला । आनि*-स्त्री० दे० 'आन'।
आपराह्निक-वि० [सं०] तीसरे पहर होनेवाला। आनीत-वि० [सं०] लाया हुआ; पास लाया हुआ। आपस-पु० संबंध, हेलमेल, नाता; परस्परका संबंध । आनुक्रमिक-वि० [सं०](ग्रैट्ट एटेड) जिस में अंशोंके चिह्न बने -का-स्वजनों, संबंधियों, मित्रोंके बीचका (-का मामला हों; जिसमें ॐ चे-नीचे, कठिन-सरलका सिलसिला निबाहा -की फूट) । -दारी-स्त्री० परस्पर निकट संबंध, भाईगया हो, जो अनुक्रमसे हो; क्रमशः बर्द्धमान ।
चारा। -में-परस्पर, एक दूसरेके साथ । आनुगत्य-पु० [सं०] अनुगत होना; अनुगमन; परिचय । | आपसी-वि० आपसका । आनुग्रहिक-वि० [सं०]अनुग्रह-प्रेरित ।-कर-नीति-स्त्री० | आपा-पु० अपना स्वरूप; सत्ता, जात; अपनी सत्ताका ज्ञान, कुछ चीजोंपर रिआयती कर लेनेकी नीति ।।
अहंभाव, खुदी; अहंकार, गर्व, सुध-बुध । स्त्री० बड़ी बहन आनुग्रामिक-वि० [सं०] ग्राम-संबंधी, ग्रामीण । (मुसल०) । मु०-खोना-घमंड छोड़ना; अपनेको बरबाद आनुपातिक प्रतिनिधित्व-पु०सं०] (प्रपोर्शनल रिप्रेजेंटे- करना; मरना। -तजना-मेटना-द्वैत भावका त्याग; शन) विधानसभा आदिके चुनावकी वह प्रणाली जिसके घमंड छोड़ना ।-दिखलाना-दर्शन देना ।-बिसरानाअनुसार सभी दलोंको, उन्हें प्राप्त हुए कुल मतोंके अनु- अपनेको भूल जाना सुध-बुध खो देना।-संभालनापातसे, प्रतिनिधित्व दिये जानेकी व्यवस्था की जाती है। चेतना, सजग होना। आपेमें आना या होना-होशआनुपूर्व, आनुपूर्य-पु० [सं०] एकके बाद एक होना, हवासमें होना; मनोभावोंपर काबू होना। -में न सिलसिला, क्रम; वर्णव्यवस्था या उसका क्रम; (सक्सेशन) रहना, -से निकलना, -से बाहर होना-क्रोधादिके वस्तुओं या व्यक्तियोंका एक पहले, दूसरा बादमें, इस अतिरेकसे मनपर काबू न रहना ववकर सिलसिलेसे आना; सिलसिला, अनुक्रम ।
आपात-पु० [सं०] गिराना; गिराव अचानक आ धमकना,
For Private and Personal Use Only