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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आदेशक-आनत (व्या०); ग्रह-नक्षत्रोंकी स्थितिका फल (ज्यो०); *प्रणाम । संबंधी; न्यायालयके आदेशसे होनेवाला। -देय-वि०( पेयेबिल टु आर्डर) (वह हुंडी आदि) जिसका आधिकारिक-वि० [सं०] अधिकार या अधिकारीसे संबद्ध रुपया किसीको देनेका आदेश प्राप्त होनेपर दिया जाय। साधिकार; सरकारी, 'आफिशल' । पु० मूल कथावस्तु । आदेशक-वि० [सं०] आदेश-आज्ञा करनेवाला । आधिकोषिक-पु० [सं०] (बैंकर) किसी अधिकोष (बैंकका आदेशी (शिन)-वि० [सं०] आदेश करनेवाल;ज्यौतिषी। मालिक, साझेदार, संचालक आदि । आदेष्टा (ष्ट)-वि० [सं०] दे० 'आदेशक' । आधिक्य-पु० [सं०] अधिकता, बहुतायत; प्राधान्य । आदेस*-पु० दे० 'आदेश' । आधिदैविक-वि० [सं०] दैवकृत या भूत-प्रेतकृत (शादि)। आद्यत-अ० [सं०] आदिसे अंततक । पु० आदि-अंत। । आधिपत्य-पु० [सं०] प्रभुत्व; राज्य । आद्य-वि० [सं०] आदिका पहला, प्रथम प्रधान। आधिभौतिक-वि० [सं०] प्राणियों या पंचभूतोंसे संबद्ध आद्यक्षर-पु० [सं०] (इनीशल्स) किसी व्यक्तिके नामके या उनसे उत्पन्न । विभिन्न शब्दों या खंडोंके आरंभके अक्षर जो पूरे नामके आधीन*-वि० दे० 'अधीन' । बदले (प्रायःसंक्षिप्त हस्ताक्षरके रूपमें) लिख दिये जाते हैं। आधीनता*-स्त्री० दे० 'अधीनता' । आद्यक्षरित-वि० [सं०] (इनीशल्ड) जिसपर पूरे हस्ताक्षरके आधुनिक-वि० [सं०] आजकलका, वर्तमान कालका। बजाय नामके आरंभके अक्षर मात्र लिख दिये गये हों। | आत-वि० [सं०] किसीके सहारे टिका हुआ, अवलंबित । आद्या-स्त्री० [सं०] दुर्गा प्रतिपदा । आधेक -वि० अ० दे० 'आधिक' ।। आद्योपांत-अ० [सं०] आदिसे अंततक । आधेय-वि० [सं०] जो रखा या स्थापित किया जाय; जो आद्रा-स्त्री० दे० 'आर्द्रा'। धारण किया जाय; जो बंधक रखा जाय; किसी आधारआध-वि० दे० 'आधा'। पर टिका हुआ; ठहराने या रखने योग्य । पु० किसी आधमर्य-पु० [सं०] कर्जदार होना । आधार पर रखी या टिकायी हुई वस्तु; रखनेकी क्रिया । आधा-वि० वस्तुके सम विभागों में से किसी एकके बराबर, आध्यात्मिक-वि० [सं०] परमात्मा या आत्मासे संबंध अर्द्ध, नीम, निस्फ। -सीसी-स्त्री० आधे सिरका दर्द। रखनेवाला; मनसे संबंध रखनेवाला। म०-तीतर, आधा बटेर-कुछ एक तरहका, कुछ दूसरी आनंत्य-पु० [सं०] असीमता; अमरत्व । तरहका, बेमेल । -होना-दुबला होना, सूखना। आधी आनंद-पु० [सं०] मोद, हर्ष, खुशो, मीज ब्रह्मा; मदिरा बात न पूछना-कदर न करना । आधे आध-दो बराबर ४८वाँ संवत्सर । -कानन-पु० काशी। -जल,-वाष्प या अर्द्ध भाग। -पु० आनंदजन्य अश्रु । -बधाई-स्त्री०, आधाझारा-पु० चिचड़ा। -बधावा-पु० [हिं०] उछाह-बधावा; उत्सव-मंगल ।आधाता (त)-वि० [सं०] आधान करनेवाला; बंधक रखने- -मंगल-पु० सुख-चैन, हँसी-खुशी। -मत्ता-स्त्री० वाला। | दे० 'आनंदसम्मोहिता' ।-वन-पु० काशी। -सम्मोआधान-पु० [सं०] रखना, स्थापन; ग्रहण, लेना; अग्नि- हिता-स्त्री० संभोगके आनन्द में विभोर प्रौढ़ा नायिका । होत्रके लिए अग्निका स्थापन; धारण करना; पूरा करना; आनंदना*-अ० क्रि० आनंदित होना। रखने या जमा करनेका स्थान; धेर; बंधक, धरोहर । आनन्दमय-वि० [सं०] आनंदसे भरा हुआ। -कोशआधार-पु० [सं०] सहारा, आलंबन; वह जो किसी वस्तुको पु० वेदांतमें माने हुए आत्माके पाँच कोशों या आवरणोंधारण करे; बरतन; तालाब बाँध; अधिष्ठान; पात्र (ना०); | मेंसे अंतिम । थाला; संबंध; अधिकरण कारक; (बेस) त्रिभुजकी कोई आनंदयिता(त)-वि० [सं०] आनंद देनेवाला । भी भुजा जो बेंड़ी दिशामें खींची गयी होया आवश्यकता- आनंदाश्र-पु० [सं०] आनंदके अतिरेकसे निकलनेवाले नुसार ऐसी मान ली गयी हो। -स्तंभ-पु० किसी कार्य आँसू । या वस्तुका मुख्य आधार । आनंदित-वि० [सं०] प्रसन्न, खुश । आधाराधेयभाव-पु० [सं०] आश्रयाश्रयिभाव । आनंदी (दिन)-वि० सं०] प्रसन्न, मुदिता प्रसन्न आधारित-वि० दे० 'आधृत' । करनेवाला। आधि-स्त्री० [सं०] मानसिक पीड़ा; अभिशाप; विपत्तिः आन-स्त्री० मर्यादा, गौरव, गर्व, ठसक; दुहाई शपथ बंधक, धरोहर ।-कर्ता (त)-पु० (पॉनर) कोई वस्तु या ढंग; शर्म; भय; अदब, लिहाज; घोषणा; हठ । * वि० किसी व्यक्तिको किसीके पास धरोहर या जमानतके रूपमें अन्य, दूसरा। -बान-पु० सजधज; ठसक । मु. रखनेवाला । -ग्राही-पु० (पॉनी) वह जो कोई धरोहर -तोड़ना-प्रतिज्ञा भंग करना हठ छोड़ना ।-रखनाया जमानतकी वस्तु अपने पास रखे। -पाल-पु० अपनी बात रखना। धरोहरका रक्षाप्रबंध करनेवाला राजकर्मचारी। -भोग- आन-स्त्री० [अ०] क्षण, लहज़ा। मु०-की आनमेंपु० धरोहरकी चीजका उपयोग । -मोचन-पु० बंधक बातकी बातमें। छुड़ाना। -व्याधि-स्त्री० मन और शरीरकी पीड़ा। आनक-पु० [सं०] डंका, नगाड़ा; गड़गड़ाता हुआ बादल । आधिका-वि० आधा या आधेके लगभग । अ० लगभग -दुंदुभि-पु० कृष्णके पिता वसुदेव । -दुंदुभी-स्त्री० आधा; किंचित् । नगाड़ा। आधिकरणिक-पु० [सं०] न्यायाधीश । वि० न्यायालय- आनत-वि० [सं०] झुका हुआ; नम्र, विनीत । For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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