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आभिधानिक-आयु आभिधानिक-वि० [सं०]कोशमें लिखित । पु० कोशकार। आमिल-वि०, पु० [अ०] अमल-काम करनेवाला, साधक आभीर-पु० [सं०] अहीर; एक जनपद या उसके निवासी अधिकारी; झाड़-फूंक करनेवाला । वि० सिद्ध; *खट्टा । एक राग । -पल्ली-स्त्री० अहीरोंका पुरवा या गाँव। आमिष-पु० [सं०] भांस शिकार; भोग्य वस्तु; लुभावनी आभीरी-स्त्री० [सं०] अहीरिन; अहीरोंकी बोली।
वस्तु, चारा; घुस । -भोजी(जिन)-वि० मांसभक्षी । आभूषण-पु० [सं०] गहना, अलंकार; सजावट, शृंगार । आमुख-पु० [सं०] आरंभ; भूमिका; नाटककी प्रस्तावना। आभूषन*-पु० दे० 'आभूषण' ।
आमूल-अ० [सं०] मूलपर्यंत, जड़तक; जड़से । -सुधारआभूषित-वि० [सं०] अलंकृत, सजाया हुआ; शोभित । | वाद-पु० (रैडिकलिज्म) जड़से या पूर्णतः सुधार करनेआभोग-पु० [सं०] विस्तार; परिपूर्णता; भोजन; तृप्तिः पर जोर देनेवाला राजनीतिक सिद्धांत । साँपका फैला हुआ फन पद्यमें कविका नामोल्लेख । आमेजना*-स० क्रि० मिलाना। आभ्यंतर-वि० [सं०] भीतरका, अंदरूनी, आंतर । | आमोद-पु० [सं०] हर्ष, प्रसन्ननता; बिखरने, फैलने-व्यापार-पु० दे० 'अंतर्वाणिज्य'।
वाली सुगंध, सुरभि।-प्रमोद-पु० मौज-चैन, रंग-रलियाँ। आभ्यंतरिक-वि० [सं०] दे० 'आभ्यंतर'; भीतरी। आमोदित-वि० [सं०] प्रसन्न, आनंदिता सुवासित । आमंत्रण-पु० [सं०] संबोधन, बुलाना, पुकारना; आम्र-पु० [सं०] आम। -वन-पु० अमराई । निमंत्रण; स्वागत; अनुमति सलाह-मश्विरा।।
आम्रातक-पु० [सं०] आमड़ा। आमंत्रित-वि० [सं०] निमंत्रित, न्योता, बुलाया हुआ। आम्लिका-स्त्री० [सं०] इमली खट्टी डकार । आम-वि० [सं०] कच्चा, अनपका; न पचा हुआ। पु० आयती-पायती-स्त्री० सिरहाना-पायताना। अपक आहार-रस; आँव; अजीर्ण । -गर्भ-पु० भ्रूण । आयंदा-वि०, अ० दे० 'आइंदा'। -शूल-पु० अजीर्णके कारण होनेवाली भयंकर पीड़ा; आय-स्त्री [सं०] धनागम, आमदनी; लाभ । -व्ययआँवके कारण पेट मरोड़नेका रोग ।
पु० आमद-खर्च । -व्ययक-पु० (बजट) किसी राज्यकी आम-पु० एक प्रसिद्ध फल और उसका पेड़, आम्र, रसाल । या किसी व्यक्ति अथवा संस्थाकी सालभर में या किसी मु०-के आम, गुठलीके दाम-दोहरा लाभ ।
निश्चित कालतक होनेवाली संभावित आय एवं उसी आम-वि० [अ०] फैला हुआ, व्यापक प्रसिद्ध साधारण, अवधिके संभावित व्ययके अनुमानका लेखा, बजट । - सामान्य । -दरबार-पु० खुला दरबार जिसमें सब । व्यय-फलक-पु०(बैलेंसशीट) दे० देयादेय-फलक',चिट्ठा । लोग जा सके। -फहम्-वि० जो सबकी समझमें आ आयत-स्त्री० [अ०] कुरानका वाक्यः चिह्न, निशान । वि० जाय, सुबोध । -राय-स्त्री० लोकमत । -लोग-पु० [सं०] लंबा; विस्तृत; विशाल; आकृष्ट । पु० (रेक्टेंगिल) जनसाधारण ।
वह सामानांतर चतुर्भुज जिसका प्रत्येक कोण समकोण हो। आमड़ा-पु० एक खट्टा फल और उसका पेड़।
-नेत्र,-लोचन-वि० बड़ी-बड़ी या लंबी आँखोंवाला। आमद-स्त्री० [फा०] आना, अवाई; आमदनी ।
आयतन-पु० [सं०] स्थान; घर: आश्रय; देवस्थान; यशआमदनी-स्त्री० [फा०] आय; प्राप्ति; देसावरसे आने- स्थान; बखार; मकान बनानेका स्थान; किसी पात्रादिके वाला माल, आयात ।
अंदरका स्थान जिसमें कोई चीज अँट सके (कैपेसिटी)। आमन-पु० अगहनी धान (बंगाल); एकफसला खेत । आयति-स्त्री० [सं०] लंबाई; विस्तार; वह सीमा जहाँआमना-सामना-पु० सामना; भेट ।
तक कोई वस्तु पहुँच सकती हो। आमने-सामने-अ० एक दूसरेके सामने, मुकाबलेमें । आयत्त-वि० [सं०] अधीन आश्रित, अवलंबित । आमय-पु० [सं०] रोग, बीमारी; क्षति; अग्निमांद्य । आयथातथ्य-पु०[सं०] जैसा होना चाहिये वैसा न होना, आमरख-पु० क्रोध; अमर्ष ।
अयथार्थता अनौचित्य । आमरखना*-अ० क्रि० क्रोध करना ।
आयद-वि० [४०] लौटनेबाला घटित होनेवाला। आमरण-अ० [सं०] मरणपर्यंत, जीवनके अंततक । आयस-पु० [सं०] लोहा, लोहेकी बनी चीज; हथियार । आमर्द, आमर्दन-पु० [सं०] मसलना, रगड़नाः दबाना। वि० लौहनिर्मित; लोहेके रंगका । * स्त्री० दे० 'आयसु' । आमर्ष-पु० [सं०] दे० 'अमर्ष'।
आयसु*-स्त्री, पु० आदेश, आज्ञा । आमलक-पु० [सं०] आँवला।
आया-स्त्री० [पुर्त०] बच्चेको दूध पिलानेवाली स्त्री, धाय । आमलकी-स्त्री० [सं०] छोटा आँवला ।
[फा०] अ० क्या; या। आमला-पु० आँवला।
आयात-वि० [सं०] आगत; देसावरसे आया हुआ (माल)। आमातिसार-पु० [सं०] आँव, पेचिशकी बीमारी जिसमें पु० देसावरसे माल आना या मँगाना, आमदनी। मलके साथ सफेद आँव आता है।
आयातक-पु० [सं०] (इंपोर्टर) विदेशोंसे बड़ी मात्रामें आमादगी-स्त्री० [फा०] आमादा-तैयार होना, तत्परता।
माल मँगानेवाला व्यवसायी। आमादा-वि० [फा०] तैयार, तत्पर, उद्यत ।।
आयाम-पु० [सं०] लंबाई; खींचना रोक (प्राणायाम)। आमाशय-पु० [सं०] पाचन-संस्थानका वह थैलीनुमा आयास-पु० [सं०] यत्नः कड़ी कोशिश; श्रम; थकावट । भाग जिसमें आहार इकट्ठा होकर पचता है, मेदा। आयासी (सिन्)-वि० [सं०] आयास करनेवाला। आमिख*-पु० दे० 'आमिष' ।
आयु (स)-स्त्री० [सं०] जीवन; जीवनकाल; जीवनी आमिर-वि० [अ०] हुक्म देनेवाला । पु० हाकिम । शक्ति आहार । मु०-खुटाना*-आयु कम होना।
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