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हिकारत-हिम हिकारत-स्त्री० दे० 'हकारत' ।
| हिताई-स्त्री० संबंध, रिश्ता, मेलजोल । हिक्का-स्त्री० [सं०] हिचकी हिचकीका रोग।
हिताकांक्षी(क्षिन)-वि० [सं०] भलाई चाहनेवाला । हिक्किका-स्त्री० [सं०] हिचकी; खर्राटा।
हिताधिकारी(रिन्)-पु० [सं०] (बेनीफिशियरी) वह हिचक-स्त्री० सफलतामें संदेह, सामर्थ्यहीनता आदिके जिसे किसी वस्तु, व्यवस्था आदिसे लाभ हो रहा हो कारण किसी कामके करने में मनका रुकना; आगा-पीछा या होनेकी संभावना हो। करना, हिचकिचाहट, झिझक ।
हिताना*-अ० क्रि० मित्र सदृश होना, भलाई करनेवाला हिचकना-अ० क्रि० कोई काम करनेसे पहले किसी होना; प्रेमयुक्त होना, किसीकी ओर प्रेमकी दृष्टि होना; आशंकासे या असमर्थता आदिके कारण कुछ रुकना, प्रिय लगना, अनुकूल मालूम पड़ना; अच्छा प्रतीत होना आगा-पीछा करना।
-'नवल वधूके संगमें अहितौ बात हिताति'-मतिः । हिचकिचाना-अ.क्रि० मनका आगा-पीछा करना। हितार्थी(र्थिन्)-वि० [सं०] मंगलाकांक्षी, हितेच्छु । हिचकिचाहट-स्त्री० दे० 'हिचक'।
हितावह-वि० [सं०] कल्याणकारी । हिचकी-स्त्री० दे० 'हिक्का'; अत्यधिक रोनेके बाद एक हिताहित-पु० [सं०] भलाई-बुराई; लाभालाभ ।
साथ तीन-चार बार जोर-जोरसे साँस लेनेकी क्रिया । मु० हिती-वि० हितैषी, भलाई चाहनेवाला। पु० हितैषी -बंध जाना,-लगना-ज्यादा रोनेसे साँस रुकने लगना। व्यक्ति, मित्र, दोस्त । हिचकियाँ लगना-प्राणांतके समय वायुका मुखसे हितु, हितू-पु.हितेच्छ व्यक्ति मित्र, सखा; संबंधी। निकलनेके प्रयत्नके कारण ठहर-ठहरकर हिचकीका आना; हितेच्छा-स्त्री० [सं०] हितकामना, किसीकी भलाईकी मृत्युके निकट होना । -लेना-रोते समय साँसका रुक- | इच्छा । रुककर निकलना।
हितेच्छ-वि० [सं०] भलाई चाहनेवाला, हितैषी। हिचर-मिचर-पु० हिचक; टालमटोल ।
हितैषणा-स्त्री० [सं०] हितेच्छा। हिजड़ा-पु० नपुंसक, खोजा।
हितैषिता-स्त्री० [सं०] हितैषी होनेका भाव । हिजरी-पु० [अ०] मुसलमानी संवत् जो मुहम्मदके मक्का-हितैषी (पिन)-वि० [सं०] हितेच्छु । पु०मित्र । से मदीना पलायन करनेकी तिथि १५ जुलाई, सन् ६२२- हितोक्ति-स्त्री० [सं०] सत्परामर्श, अच्छी, नेक सलाह । से आरंभ होता है।
हितोपदेश-पु० [सं०] हितकारी उपदेश, सत्परामर्श, नेक हिजाब-पु० [अ०] परदा, ओट, लज्जा।
सलाह; विष्णुशर्माकृत नीतिशास्त्र-संबंधी एक ग्रंथ । हिजे-पु० [अ०] किसी शब्दमें आये हुए वर्णों तथा मात्रा- | हितौना*-अ० क्रि० दे० 'हिताना' ।
ओंको अलग-अलग कहना, वर्ण-विवृति, वर्तनी । हिदायत-स्त्री० [अ०] मार्ग-प्रदर्शन, रहनुमाई, आदेश । हिज्र-पु० [अ०] वियोग, विरह, जुदाई ।
-नामा-पु.हिदायतों, आदेशों आदिकी किताब । हिडिंब-पु० [सं०] एक विशालकाय राक्षस जिसे भीमने | हिनती*-स्त्री० होनता ।
मारा था। -जित,-द्विट(प)-रिपु-पु० भीम। हिवाना-पु० तरबूज । हिडिंबा-स्त्री० [सं०] एक राक्षसी जो हिडिबकी बहन थी हिनहिनाना-अ० क्रि० (धोड़ेका) हींसना । (इसने अपनेको सुंदर स्त्रीके रूपमें परिवर्तित कर भीमसे | हिनहिनाहट-स्त्री० (घोड़ेके) हांसनेकी आवाज । व्याह किया । उसके एक पुत्र उत्पन्न हुआ जिसका नाम | हिना-स्त्री० [अ०] मेहँदी। -बंदी-मुसलमानों में होनेघटोत्कच था)।-पति,-रमण-पु० भीम ।
वाली ब्याहकी एक रस्म । हित-वि० [सं०] उचित, अच्छा; लाभदायक, उपयोगी; हिनाई-वि० मेंहदीके रंगका । स्त्री० पीलापन लिये हुए अनुकूल, स्वास्थ्यकर; उदार, शुभ । पु० मित्र संबंधी; सुर्ख रंग; हीनता; मानहानि । भलाई चाहनेवाला: लाभ, भलाई उपयुक्त वस्तु; कल्याण, हिफाज़त-स्त्री० [अ०] रक्षा, निगरानी; बचाव । मंगल; सद्भाव, प्रेम । अ० [हिं०]"के निमित्त, के लिए। हिब्बा-पु० दे० 'हब्बा'; दान, नजर । -नामा-पु० -कर-वि० मित्रसा व्यवहार करनेवाला, हितेच्छु; उप- दानपत्र । योगी, लाभप्रद स्वास्थ्यवर्धक ।-कर्ता(त)-वि० उपकार | हिमंचला-पु० दे० 'हिमाचल'। करनेवाला । पु० उपकारी व्यक्ति ।-काम-वि० हितेच्छ, हिमंत-पु० दे० 'हेमंत' । मंगलाकांक्षी । -कारक,-कारी(रिन् )-वि० दे० हिम-वि० [सं०] ठंढा, शीतल । पु० बर्फ, पाला; शीत, 'हितकर'।-चिंतक-वि०किसीकी भलाईके लिए सोचने, ठंढक, जाड़ा, हेमंत ऋतु; हिमालय पर्वत, चंदन; चंदन बिचारने, चिंतना करनेवाला। -चिंतन-पु० किसीकी | वृक्ष; चंद्रमा; नवनीत, मक्खन; कपूर । -उपल-पु. भलाई सोचना या चाहना। -बुद्धि-स्त्री० मैत्रीपूर्ण ओला, पत्थर । -ऋतु-स्त्री. जाड़ेका मौसिम, हेमंत भावना। -मित्र-पु० उदार मित्र; भाई-बंद । -वचन, ऋतु । -कण-पु० ओसकी बूंदें; बर्फ के कण । -कर-वाक्य-पु० मैत्रीपूर्ण परामर्श। -वादी(दिन) पु० चंद्रमा कपूर । वि० ठंढक लानेवाला ।-कर-तनयवि० भलाईकी बात कहनेवाला सत्परामर्श देनेवाला। पु० बुध ग्रह । -किरण-पु. चंद्रमा । -कूट-पु० हितवना-अ० कि. हित, मित्र जैसा आचरण करना। शिशिर ऋतु; हिमालय पर्वत; हिमालयकी चोटी। हितवार*-पु० प्रेम, स्नेह-'चुबत अंग परस्पर मनु जुग -खंड-पु० ओला। -गर्भ-वि० बर्फसे भरा हुआ। चंद करत हितवार-सू० ।
-गिरि-पु० हिमालय पर्वत । -गिरि-सुता-खी०
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