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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org सेवनीय - सैथी सेवनीय - वि० [सं०] आराध्य, पूज्य; व्यवहार्य; सेव्य । सेवर-पु० दे० 'शवर’; * सेमल । + वि० कम पका हुआ ('खर' का उलटा ) । सेवरा* - पु० दे० 'सेवड़ा' । सेवरी* - स्त्री० दे० 'शवरी' | सेवांजलि - स्त्री० [सं०] अंजलि में कोई वस्तु रखकर किसोको भक्तिपूर्वक अर्पित करना; अंजलिबद्ध होकर भक्तिपूर्वक प्रणाम करना । सेवा - स्त्री० [सं०] परिचर्या, खिदमत, नौकरी; पूजा, आराधना; प्रयोग; उपभोग; संभोग; व्यसन, आसक्ति; आश्रयण, शरण; रक्षण। -काल- पु० वह अवधि या समय जिसमें किसीने कोई सेवा या नौकरी की हो । - जन- पु० नौकर, सेवक । - टहल-स्त्री० [हिं०] खिदमत, शुश्रूषा । - दक्ष - षि० सेवा करनेमें कुशल । - धर्म - पु० सेवा-संबंधी कर्तव्य । - नियोजनालय - पु० (एम्प्लॉयमेंट ब्यूरो) दे० 'नियोजन केंद्र' । - भृत्वि० सेवा, आराधना में संलग्न । -योजक- पु० (एम्प्लॉयर) कोई काम करने या किसी सेवाके लिए व्यक्तियोंको अपने कारखाने आदिपर नियुक्त करनेवाला, नियोजक । - योजनालय - पु० (एम्प्लॉयमेंट ब्यूरो) दे० 'नियोजनालय' । - विलासिनी - स्त्री० सेविका, दासी । वृत्तिस्त्री० सेवा द्वारा प्राप्त जीविका, नौकरी । सेवाती * - स्त्री० दे० 'स्वाति' । सेवाभिरत - वि० [सं०] सेवामें लीन । सेवायुक्त - वि० (एम्प्लॉइड) जो कोई काम करने या किसी सेवा के लिए नियुक्त किया गया हो, नियोजित । सेवार - पु० दे० 'सिवार' । सेवारा* - पु० दे० 'सेवड़ा' । सेवाल* - पु० दे० 'सिवार' | सेवि - वि० पूज्य, आराध्यः पूजित । सेविका - स्त्री० [सं०] दासी, परिचारिका । सेवित - वि० [सं०] जिसकी सेवा की गयी हो; पूजित; प्रयुक्त; उपभुक्त; आश्रित; से युक्त, संपन्न । सेवितव्य - बि० [सं०] बसने, रहने योग्य; प्रयोगमें लाने योग्य; रक्षा करने योग्य । सेविता (तृ) - पु० [सं०] सेवक; पूजक; अनुसरण करने सेस * - पु० दे० 'शेष' । - नाग-पु० शेषनाग | सेसर- पु० ताशका एक खेल; जाल; धूर्त्तता । सेसरिया - वि० जाल करनेवाला, जालिया । सेहत- स्त्री० [अ०] 'सेहत'] स्वास्थ्य, आरोग्य; रोगमुक्ति; शुद्धि; सही, ठीक होना; निर्दोष होना। -ख़ाना - पु० पाखाना, शौचालय | -नामा- पु० शुद्धिपत्र; तंदुरुस्तीका प्रमाणपत्र । - बख़्श-वि० आरोग्यप्रद । मु०-पानाआरोग्यलाभ करना, रोगमुक्त होना । सेहरा - पु० वे फूलों या गोटे आदिकी लड़ियाँ जो दूल्हे और दुलहिनके सिरपर बाँधी जाती हैं और मुँहपर लटकती रहती हैं; वह गाना जो सेहरा बाँधने के समय गाया जाता है; कके ताखेपर रखी जानेवाली फूलकी माला । - बँधाई - स्त्री० सेहरा बाँधनेका नेग जो बहनोईको मिलता है । मु० - बाँधना - सेहरा सिर पर रखा जाना; दूल्हा बनाया जाना; कामका श्रेय दिया जाना । - के फूल खिलना - विवाहका समय आना । सेहरी-स्त्री० एक तरहकी मछली, सहरी । सेही - स्त्री० दे० 'साही' | सेहुँआ - पु० दे० 'सें हुआ' | सैंगर - पु० बबूलकी फली । सतना - स० क्रि० दे० 'सेंतना' | सैंतालीस - वि० चालीस और सात । पु० सैंतालीस की संख्या, ४७ । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सैंतीस - वि० तीस और सात । पु० सैंतीसकी संख्या, ३७। सैंधी * - स्त्री० भाला, शक्ति- 'इंद्रजीत लीन्हीं जब सैंथी देवन हा करो' - सू० । सेंदूर - वि० [सं०] सिंदूरी, सिंदूर के रंगवाला; सिंदूर से रँगा हुआ । सैंधव - वि० [सं०] सिंधु प्रदेशका; सिंधु, समुद्र-संबंधी; सिधुमें उत्पन्न; समुद्र में उत्पन्न । पु० सिंघनरेश; सिंधु-प्रदेशके निवासी; एक प्रकारका लवण, सेंधा नमक; सिंधु प्रदेशका घोड़ा, सिंधी घोड़ा। पति-पु० सिंध- नरेश; जयद्रथ । सैंधवी - स्त्री० [सं०] एक रागिनी । सैयाँ - पु० दे० 'सैयाँ' । सैंह - वि० [सं०] सिंह-संबंधी * अ० दे० 'सौ' । सैंहथी - स्त्री० बहीं, छोटा बर्छा सैंहिकेय - वि० [सं०] सिंहिकासे उत्पन्न | पु० सिंहिकाकी संतान ( एक दानववर्ग ) ; राहु | से * - वि०, पु० दे० 'सौ' । स्त्री० शक्ति, ताकत; सार; वृद्धि, बढ़ती । सैकड़ा - पु० सौ | सैकड़े ८७४ सिंहका; सिंह जैसा । वाला । सेवी (विन्) - वि० [सं०] सेवा करनेवाला; आराधक, उपासक; (समासांत में संभोग, उपभोग करनेवाला । सेवोपहार - पु० ( ग्रैड (चु) इटी) वह धन जो किसी सैनिक या कर्मचारीको अवकाश ग्रहण के समय, उसके (लंबे) सेवाकालके उपहारस्वरूप दिया जाय । सेव्य - वि० [सं०] सेवा करने योग्य; आराध्य, पूज्य, व्यवहारमें लाने योग्य; रक्षणीयः अध्ययनके योग्य; संचित करने योग्य | पु० स्वामी । - सेवक भाव - पु० उपास्यको स्वामी मानकर सेवकके समान अपना आचरण रखना । | सैकत - वि० [सं०] सिकतामय, बालूसे भरा, रेतीला; बालुका बना । पु० बालुकामय तट; रेतीला किनारा । सैकसिक - वि० [सं०] सिकतामय, रेतीला । सेश्वर - वि० [सं०] ईश्वर की सत्ता माननेवाला (दर्शन- ये सैकल - पु० [अ०] सफाई, जिला; हथियारोंको माँजकर न्याय और योग हैं); ईश्वरयुक्त । सेष* - पु० दे० 'शेष'; दे० 'शैख' । - अ० प्रतिशत, फी सदी, सौ पीछे । For Private and Personal Use Only चमकाना | सैथी - स्त्री० छोटा बरछा, भाला ।
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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