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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ८७३ * सेना । - कुल, वंश - पु० बंगालका एक राजवंश । - जित - वि० सेनाको विजित करनेवाला । प, पति*पु० सेनानायक | सेनक - पु० [सं०] शंबरका एक पुत्र; एक वैयाकरण । सेनांग - पु० [सं०] सेनाका कोई अंग - पैदल, हाथी, घोड़ा और रथ; सेनाका कोई भाग, टुकड़ी। पति-पु० टुकड़ीका नायक | सेना - स्त्री० [सं०] रणशिक्षा प्राप्त और सशस्त्र व्यक्तियोंका दल, वाहिनी, फौज; शक्ति, भाला; इंद्राणी । -कक्ष-पु० सेनाका पार्श्व । - कर्म (न्) - पु० सेनाका प्रबंध या नेतृत्व । -चर- पु० सैनिक, सिपाही । - दार- पु० [हिं०] सेनानायक, चलानेवाला, सैनिक । -नायक- पु० सेना पति । - नी-पु० सेना नायक, कार्तिकेय; एक रुद्र । -पति- पु० सिपहसालार; कार्त्तिकेयः शिवः धृतराष्ट्रका एक पुत्र; हिंदी के एक प्रसिद्ध कवि । पति-पति- पु० प्रधान सेनापति । - पाल- पु० सेनानायक । -पृष्ठपु० सेनाका पृष्ठभाग । -भंग-पु० सेनाका तितर-बितर हो जाना। -मुख- पु० सेनाका अग्रभाग - रसद विभाग - पु० (कमिसैरियट) सेना के लिए खाद्य सामग्री आदि जुटाने, पहुँचानेवाला विभाग । - वास - पु० शिविर; फौजकी छावनी । -वाह-पु० सेनानायक । - व्यूह - पु० सैनिकोंकी विशेष स्थानोंपर स्थापना । -स्थान- पु० शिविर; छावनी । सेना - पु० [सं०] सेनाका अगला हिस्सा । सेनाजीव, सेनाजीवी (विन्) - पु० [सं०] सैनिक कार्यों से आजीविका प्राप्त करनेवाला । सेनाधिकारी (रिन्) - पु० [सं०] सेनानायक, फौजी अफसर | - सेनाधिनाथ- पु० [सं०] सेनाका प्रधान । सेनाधिप, सेनाधिपति -पु० [सं०] सेनापति । सेनाधीश - पु० [सं०] सेनापति । सेनाध्यक्ष - पु० [सं०] सेनापति । सेना भिगोता (तृ) - पु० [सं०] सेनाका रक्षक | सेनायत्त करना - स० क्रि० (कमांडियर) लोगोंको सेनामें भरती होनेके लिए विवश करना; सेनाकी आवश्यकताओं के लिए किसीकी संपत्ति आदिपर कब्जा कर लेना । सेनि * - स्त्री० श्रेणी, पंक्ति । सेब - पु० [फा०] एक प्रसिद्ध फल और उसका पेड़ । सेम-स्त्री० एक फली जो तरकारीके काम आती है, शिंबी । सेमई - वि० इलके सब्ज रंगका । पु० ऐसा रंग । * स्त्री० सेंवई । सेमर* - पु० शाल्मलि, सेमल; 1 दलबल | सेमल - पु० एक बड़ा वृक्ष जिसके फूल लाल होते हैं और फलों से रुई निकलती है । - मूसला - पु० सेमलकी जड़ । सेमिटिक - पु० नृवंश शास्त्र के अनुसार एक मानव-वर्ग Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सेनक-सेवनी जिसमें अरब, यहूदी, मिस्री और सीरियन जातियोंकी गणना है । वि० शेमसे उत्पन्न (जातियाँ) । सेर - पु० [सं०] सोलह छटाँककी एक तौल; * शेर, व्याघ्र । - साहि* - पु० शेरशाह जिसने हुमायूँको परास्त कर दिल्लीका शासन प्राप्त क्रिया था । सेरवा। - पु० ओसानेके लिए परौता मारने, भूसा उड़ानेका कपड़ा; दे० 'सेरा'; दीवालीके प्रातःकाल सूप पीटने - की प्रथा । सेरही- स्त्री० फसलकी उपजपर लगनेवाला एक कर । सेरा - पु० खाटकी सिरकी ओरकी पाटी; वह जमीन जिसकी सिंचाई हो चुकी हो । सेराना-स० क्रि० ठंढा करना; तृप्त करना; बहा देना । अ० क्रि० ठंढा होना; तृप्त होना; समाप्त होना; मारना । + पु० सिरहाना । सेरी-स्त्री० [फा०] तृप्ति; जी भर जाना। * रास्ता, मार्ग । - 'जा सेरी साधू गया सो तो राखी मूँदि' - साखी । सेर्ध्य - वि० [सं०] ईर्ष्यासे भरा हुआ । सेल- पु० साँग, भाला । सेलखड़ी - स्त्री० एक चिकना पत्थर; खरिया मिट्टी । सेलना। - अ० क्रि० दे० 'सेल्हना'; छेदना । सेला- पु रेशमी चादर या साफा ( वर आदिका); उसना चावल | सेवई - स्त्री० दे० 'सेंवई'; चारे के काम आने वाली एक घास । सेवर* - पु० व्याहकी एक रस्म । सेव - पु० बेसन से बननेवाला सूत या डोरी जैसा पतला या कुछ मोटा पकवान जो नमकीन या मीठा होता है; [सं०] दे० 'सेवन'; [फा०] दे० 'सेब' । * स्त्री० सेवा । सेनिका - स्त्री० मादा बाज, एक छंद । सेनी - पु० सहदेवका अज्ञातवासकालीन नाम । स्त्री०काबी; सेवक - वि० [सं०] सेवा, पूजा, सम्मान करनेवाला; * श्रेणी; सीढ़ी; * मादा बाज । सेनुरी- पु० सिंदूर । सेफालिका - स्त्री० दे० 'शेफालिका' । अभ्यास करनेवाला; प्रयोग में लानेवाला; आश्रित । पु० नौकर, परिचारक; आश्रित व्यक्ति; भक्त; आराधक । सेवकाई - स्त्री० सेवा, टद्दल, परिचर्या । सेवग* - पु० दे० 'सेवक' । सेवड़ा - पु० मैदेका एक पकवान; जैन साधुओंका एक भेद । सेवति* - स्त्री० दे० 'स्वाति' । सेलिया* - पु० घोड़ेकी एक जाति । स्त्री० बिल्ली । सेली - स्त्री० बरछी; छोटी चादर; सूत आदिको योगियोंकी बद्ध; स्त्रियोंका एक गहना; एक मछली । सेल्ल, सेल्ला - पु० भाला, बरछा । सेल्ह - पु० भाला, बरछा । सेल्हना + - अ० क्रि० चल बसना, मर जाना । सेल्हा- पु० एक अगहनिया धान; । रेशमी चादर या साफा । सेल्ही - स्त्री० छोटी चादर; सूत, ऊन आदिकी माला । सेवें। - पु० एक ऊँचा पेड़ जिसकी लकड़ीसे आलमारी आदि बनाते हैं । सेवती - स्त्री० [सं०] एक फूल, सफेद गुलाब | सेवन - पु० [सं०] सेवा, टहल; पूजन, उपासना, भक्ति; अभ्यास; व्यवहार; उपभोग; वास करना; बाँधना; सीना । सेवना - *स० क्रि० सेवा करना । स्त्री० [सं०] आराधना । सेवनी - स्त्री० [सं०] सूई; सीवन; * दासी । For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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