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सुरंग।
सेंट-सेन पूतोंका एक भेद।
दे० 'शैख'। सेंट-* स्त्री० दूधकी धार। पु० [अं॰] सुगंधिपूर्ण द्रव्य। | सेखर*-पु० दे० 'शेखर'। सत-स्त्री० किसी वस्तुकी प्राप्तिमें कुछ रुपया-पैसा न | सेखावत-पु. राजपूतोंकी एक उपशाखा । लगना । -में त-अ० मुफ्तमें, बिना दाम दिये नाहक । | सेखी-स्त्री० दे० 'शेखी' । -का-वह जिसके लिए कुछ देना न पड़ा हो। -में- सेगा-पु० दे० 'सीगा' (विभाग)। मुफ्त में।
सेच-पु० [सं०] सिंचाई, छिड़काव । सतना-स० क्रि० सँभालकर रखना; बटोरना; समेटना।। सेचक-पु० [सं०] बादल । वि० सींचनेवाला। सति से ती*-स्त्री० दे० 'सेंत' । प्र० करण और अपा-सेचन-पु० [सं०] सिंचाई छिड़काव, अभिषेक, स्राव दानकी विभक्ति।
नहानेका फुहारा; ढलाई (लोहे आदिकी); बालटी; पानी संथी*-स्त्री० शक्ति, बरछी।
उलीचनेका पात्र । -घट-पु० सींचनेका बरतन । सेंदुर*-पु० दे० 'सिंदूर'।
सेचनक-पु० [सं०] नहानेका फुहारा अभिषेक । संदुरा-वि० दे० 'सेंदुरिया'।
सेचनी-स्त्री० [सं०] डोल, बालटी । संदुरिया-पु. लाल फूलोंवाला एक पौधा । वि० सिंदूर- | सेचनीय-वि० [सं०] सींचने, छिड़काव करने योग्य । के रंगका । -आम-पु. एक आम जो पकनेपर कुछ सेचित-वि० [सं०] सींचा, तर किया हुआ। लाल होता है।
सेच्य-वि० [सं०] दे० 'सेचनीय' । से दुरी-वि० दे० 'सेंदुरिया'। स्त्री० लाल रंगकी गाय । सेज-स्त्री० शय्या, बिस्तरा । -पाल-पु० राजाके शयनासेंद्रिय-वि० [सं०] इंद्रिययुक्त, सजीव; पुंस्त्वयुक्त । । गारका पहरेदार। सँध-स्त्री० वह छेद जो चोर दीवार तोड़कर बनाते हैं, सेजरिया*-स्त्री० दे० 'सेज' ।
सेजिया-स्त्री० दे० 'सेज'। से धना -स० क्रि० सेंध लगाना ।
सेज्या*-स्त्री० दे० 'सेज'। से धा-पु० सिंधु नदीके पाससे निकलनेवाला एक खनिज | सेझदारि*-पु० सह्याद्रि श्रेणी । नमक।
सेझना*-अ० क्रि० पृथक होना, अलग होना। से धिया-वि० सेंध लगानेवाला । पु० एक मराठाराजवंश। सेटना-सक्रि० मानना, समझना कुछ महत्त्व समझना। से धुआरी-पु० एक मांसाहारी जंतु ।
सेठ-पु. महाजन, बड़ा साहकार, व्यापारी; धनी आदमी से मल*-पु० शाल्मलि, सेमल।
सुनार । [स्त्री. 'सेठानी'] । सेंवई-स्त्री० मैदेसे बनाये हुए सूतकेसे लच्छे । मु०- सेढ़ा-* पु० नाकका मैल-..."आँखि में गीडर नाकमें सेढ़ो'
पूरना,-बटना-हथेलियोंसे बटकर सेंवई बनाना। | -सुंदर। से वर*-पु० दे० 'सेमल' ।
सेत*-वि० श्वेत, सफेद । -दुति-पु० चंद्रमा। से हुआ-पु. एक तरहका चर्मरोग जिसमें चमड़ेपर सफेद- | सेत*-पु० सेतु, पुल । -बंध-पु० दे० 'सेतुबंध' । सा धब्बा हो जाता है।
सेती*-प्र० से। से हुड़-पु० स्नुही, थूहर ।
सेतु-पु० [सं०] मेंड, बाँध; पुल; बंधन; पहाइपरका तंग से-प्र० करण कारक और अपादान कारकका चिह्न । वि० रास्ता; मर्यादा, सीमा; रोक; निश्चित नियम प्रणव, 'सा' का बहुवचन, समान, तुल्य । सर्व० 'सो' या 'जे' ओम् कारिका, टीका। * वि० श्वेत । -कर--पु० पुल का अवधी बहुवचन रूप, वे।
आदिका निर्माण करनेवाला। -कर्म (न)-पु० पुल सेई।-स्त्री० काठका एक बरतन जिससे अनाज नापते हैं। आदिके निर्माणका काम । -पथ-पु० पहाड़ी, दुर्गम सेउ*-पु० सेब नामका फल ।
स्थानों में जानेवाला मार्ग। -चंध-पु० बाँध, पुल सेकंड-पु० [अं॰] कालका एक बहुत छोटा परिमाण, | आदिका निर्माण, रामके लंका जानेके लिए समुद्रपर मिनिटका साठवाँ हिस्सा । वि० दूसरा ।
नल-नीलका बनाया हुआ पुल; पुल; नहर (को०)। सेक-पु० [सं०] सींचनेकी क्रिया; छिड़काव; आर्द्र करना -बंधन-पु० पुलका निर्माण; बाँध; पुल; सीमापरकी अभिषेक तर्पण; स्राव नहानेके काम आनेवाला फुहारा। मेंड़ आदि । -भेत्ता (त्त)-पु० बाँध, पुल आदि तोड़ने-पात्र-भाजन-पु० पानी सींचनेका बरतन, डोल। वाला ।-भेद-पु० बाँध, पुल आदिका टूटना ।-शैलसेक्तव्य-वि० [सं०] सींचने योग्य।
पु० सीमाका काम देनेवाला पर्वत । सेता(क्त)-वि० [सं०] सींचनेवाला । पु. वह जो सेतुक-पु० [सं०] बाँध; पुल; वरुण वृक्ष । * अ० सामने, सींचनेका काम करे, पानी लानेवाला; पति ।
सम्मुख । सेक्रेटरी-पु०[अं॰] किसी संस्था, संघटनके कार्य संचालनके | सेतुवा*-पु० सत्तू । लिए उत्तरदायी व्यक्ति (जैसे सोशलिस्ट पार्टीका सेक्रेट्ररी), | सेथिया-पु. नेत्रचिकित्सक । मंत्री किसीके निजी कार्य, पत्रव्यवहार, व्यवस्था में सहा- सेद-पु० दे० 'स्वेद' ।-ज-पु० स्वेदजन्य कीट । यता करनेवाला; शासन व्यवस्थाके किसी विभागका उच्च सेदरा-पु० तीन द्वारोंवाला दालान । अधिकारी, सचिव ।
सेन-पु० शरीर, वैद्यजातीय बंगालियोंकी उपाधि; दिगंबर सेख*-पु० शेषनागा बचा हुआ अंश; अंत, समाप्तिः जैन साधुओंका एक भेद: * श्येन, बाज पक्षी। सी.
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