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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir आकाशी-आग ७१ -पुष्प-पु० आसमानका फूल, अनहोनी बात।-गंगा- आक्षेप-पु० [सं०] फेंकना; उछालना; खींचना; लांछन; स्त्री० आकाशमें उत्तरसे दक्षिणतक फैला हुआ छोटे-छोटे आपत्ति, एतराज; एक अलंकार जिसमें विवक्षित वस्तुकी तारोंका समूह; आकाशवाहिनी गंगा, मंदाकिनी-चारी कुछ विशेषता प्रतिपादित करनेके लिए निषेध-सा किया (रिन्)-वि० आकाशमें चलने-फिरनेवाला (पक्षी, ग्रह जाता है; एक वातरोग । आदि)। -दीप,-दीया [हिं०],-प्रदीप-पु० बाँसके आक्षेपक-वि० [सं०] आक्षेप करनेवाला; शिकारी । सिरेपर बाँधकर जलाया जानेवाला दीया या लालटेन । आखंडल-पु० [सं०] इंद्र । -नदी-स्त्री० आकाशगंगा। -निंब-पु० अकासनीम । | आखत-पु० अक्षत; विवाह आदिमें नाई आदिके लिए -निद्रा-स्त्री०,-शयन-पु० खुली जगहमें सोना । - | निकाला जानेवाला अन्न; केसर आदिमें रंगा हुआ चावल भाषित-वचन-पु० अभिनयमें किसी पात्रका आकाशकी | जो दूल्हे या देवताके मस्तकपर लगाया जाता है। ओर देखकर कोई प्रश्न करना और फिर उसका उत्तर आखन*-अ० प्रतिक्षण । देना।-मंडल-पु० खगोल । -वल्ली-स्त्री० अमरबेल । आखना*-स० क्रि० कहना; देखना चाहना; उल्लंघन -वाणी-स्त्री० आसमानसे आनेवाली आवाज, अभौ करना; छलनीसे छानना । तिक वाणी; रेडियो। -वृत्ति-स्त्री० ऐसी जीविका आखनिक-पु० [सं०] खोदनेवाला; खान खोदनेवाला; जिसका कुछ ठीक-ठिकाना न हो, अनिश्चित वृत्ति । - चूहा; शूकर; चोरः कुदाल | सलिल-पु० मेह, ओस ।मु०-खुलना-आसमान साफ आखर*-पु० अक्षर, वर्ण । होना, बादल हटना। -छूना-बहुत ऊँचा होना। | आखा-पु० झीने कपड़ेसे मढ़ी छलनी; खुरजी । * वि० -पाताल एक करना-भारी प्रयास करना, हलचल पूरा, समूचा; अनगढ़ा। मचाना। -पातालका अंतर-बहुत बड़ा अंतर । -से आखात-पु० [सं०] उत्खनन; कुदाल खंती; उपसागर । बातें करना-बहुत ऊँचा होना। आखिर-पु० [फा०] अंत, समाप्ति, सीमा; परिणाम । वि० आकाशी-स्त्री० धूपसे बचनेके लिए ताना गया चॅदोवा। अंतका, पिछला । अ० अंतमें, आखिरको अवश्य; भला; आकाशीय-वि० [सं०] आकाश-संबंधी; आकाशमें स्थित मगर । -कार-अ० अंतमें । या उत्पन्न । आख़िरी-वि० [अ०] अंतिम, सबसे पीछेका । आकीर्ण-वि० [सं०] फैलाया;बिखेरा हुआ भराहुआ,व्याप्त। आखु-पु० [सं०] चूहा; चोर; सूअर, कुदाल; देवताड़। आकंचन-पु० [सं०] सिकुड़ना; सिमेटना, टेढा होना।। आखेट-पु० [सं०] शिकार, मृगया। आकुंचित-वि० [सं०] सिकुड़ा हुआ कुटिल घुघराले(केश)। | आखेटक-पु० [सं०] शिकारी शिकार । आकुंटित-वि० [सं०] जड़ा लज्जित; कुंद, भोथरा । आखोर-पु० [फा०] पानी पीनेकी जगह; चौपायोंके चारा आकुल-वि० [सं०] उद्विग्न, परेशान; बेचैन; भरा हुआ; खानेका स्थान, सार, चरनी; उनके आगेकी घास, उनके अव्यवस्थित; दबा; अभिभूत (शोकाकुल)। खानेसे बचा चारा रद्दी चीज; कूड़ा। वि० निकम्मा; आकुलता-स्त्री० [सं०] बेचैनी, उद्विग्नता; परेशानी। । सड़ा-गला; गंदा। -की भर्ती-रद्दी चीजोंका ढेर। आकृति-स्त्री० [सं०]रूप,गढ़न; चेहरा; जाति; एक वर्णवृत्त। आख्या-स्त्री० [सं०] नाम; विवरण; व्याख्या; यश आकृष्ट-वि० [सं०] खींचा हुआ। (रिपोर्ट) दे० 'प्रतिवेदन'। आक्रंदन-पु० [सं०] रोना, चिल्लाना; पुकारना । आख्यात-वि० [सं०] कहा हुआ प्रसिद्ध। आनंदी (दिन)-वि० [सं०]रोने,चिल्लाने या पुकारनेवाला। आख्याति-स्त्री० [सं०] कहना, बताना नाम, प्रसिद्धि । आक्रम-पु०[सं०]निकट जाना प्राप्त करना; पराभूत करना। आख्यान-पु० [सं०] कहना, वर्णन; वृत्तांत; कथा-कहानी; आक्रमण-पु० [सं०] पास जाना; टूट पड़ना; चोट करना; वह कथा जिसे कवि या लेखक स्वयं कहे; पौराणिक कथा। हमला, चढ़ाई पराभूत करना; आक्षेप । आख्यायिका-स्त्री० [सं०] सिलसिलेवार कहानी या आक्रमित-वि० [सं०] जिसपर आक्रमण किया गया हो,। वृत्तांत; शिक्षा देनेवाली कल्पित कथा; वह आख्यान आक्रांत । जिसमें पात्र भी कहीं-कहीं अपना चरित्र अपने मुँहसे आऋमिता-वि० स्त्री० [सं०] (वह नायिका) जो मनसा- | कहते है। वाचा-कर्मणा नायकको अपने वशमें करे । आगंतक-वि० [सं०] बिना बुलाये आनेवाला; अचानक आक्रांत-वि० [सं०] जिसपर हमला किया गया हो। प्राप्त; आने या होनेवाला; अजनबी प्रक्षिप्त भूला-भटका (जानपराभूत; जिसपर कब्जा किया गया हो; कष्टग्रस्त । वर); आकस्मिक । पु०क्षेपक; अजनबी; अतिथि। आक्रामक-वि० [सं०] आक्रमण करनेवाला। आग-स्त्री० अग्नि; कामाग्नि, वात्सल्य प्रेम; जलन; आक्रोश-पु० [सं०] कोसना शाप निंदा, कुत्सा; कटूक्ति झगड़ा संताप, अंताला । पु० ऊखका अगौर, हरसेकी आक्रोशक-वि० [सं०] कोसने, शाप देनेवाला । नोकके पास बना हुआ खड्डा । वि० जलता हुआ, गरम; आक्रोशन-पु०[सं०] कोसना, शाप देना बुरा-भला कहना। (ला०) अति ऋद्ध ।*अ० आगे। मु०-उठाना-झगड़ा आक्रोष्टा (ष्ट)-वि० [सं०] आक्रोशक । उठाना; दबी वेदनाको जगाना। -का पुतला-क्रोधी, आक्षिप्त-वि० [सं०] फेंका, गिराया हुआ; छीना हुआ अग्निशर्मा। -के मोल-बहुत महँगा। -खाना अंगार जिसपर आक्षेप किया गया हो; अभिभूत; लांछित; परित्यत्तः । हगना-जैसी करनी वैसी भरनी। -देना-दाहकर्म निर्दिष्ट; जिसे चुनौती दी गयी हो करना; आतशबाजीमें आग लगाना; जलाना; नष्ट करना; "ना हुआ सामु. ला-प्राय For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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