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सरवनी-सरित् सरवनी*-स्त्री० सुमिरनी।
सराई-स्त्री० कसोरा दीया; + सलाई; सरकंडेकी पतली सरवर*-पु० सरोवर । स्त्री० बराबरी।
लंबी छड़ी; पाजामा; * ठंढक । सरवरि*-स्त्री० बराबरी, स्पर्धा ।
सराग-* पु० सीखचा, शलाका-'विरह सरागन्हि भू जै सरवरिया-वि० सरयूपार, सरवारका । पु० वह ब्राह्मण माँसू'-५०% कुलाबेके बीचकी लकड़ी। वि० [सं०] रंगजो सरयूपारका हो।
वाला, रंगदार; लाखसे रँगा हुआ; प्रेमाविष्ट; सुंदर । सरवाक*-पु० संपुट प्याला, कसोरा, दीय।।
सराजाम -पु० सामान, सामग्री। सरवानी-पु० खेमा, तंबू ।
सराध*-पु० दे० 'श्राद्ध। सरवार--पु० सरयूपारका भूखंड ।
सराना*-स० क्रि० संपादित कराना, पूरा कराना। सरस-वि० [सं०] रसयुक्त, रसीला; स्वादिष्ठ; गीला; सराप-पु० दे० 'शाप'। पसीनेसे तरबतर ताजा; सुंदर, मोहका रसपूर्ण (काव्य)। सरापना*-स० क्रि० शाप देना, बुरा-भला कहना। सरसई-स्त्री० सरसों जैसे फलके दाने; * सरस्वती (नदी, सरापा-अ० [फा०] सिरसे पैरतक, संपूर्ण । पु० सर्वांग, देवी); सरसता, ताजगी।
नख शिख; वह पद्य जिसमें नख-शिखका वर्णन हो। सरसठ-वि० साठ और सात । पु० सरसठकी संख्या, ६७। सराफ-पु० [अ० 'सर्राफ'] रुपये, गहने इत्यादिका लेनसरसना*-अ० कि० रसयुक्त होना; पनपना, हरा भरा देन करनेवाला सोने-चाँदीके गहने, बरतन आदि बेचनेहोना, लहलहाना; शोभा देना; भावाविष्ट होना। वाला; भाँज लेकर नोट, रुपये आदिके बदले में छोटे सर-सर-पु. हवाके चलने या साँप आदिके रेंगनेका शब्द । सिक्के देनेवाला । -ख़ाना-पु० बंक, कोठी । अ० 'सर-सर' ध्वनिके साथ ।
सराफा-पु० सराफी सराफोंका बाजार बंक, कोठी। सरसराना-अ० कि. 'सर-सर' आवाज होना; हवाका सराफ्री-स्त्री० सराफका धंधा; भाँज, भुनाई; कोठीवाली तेजीसे चलना; साँप आदिका रेंगना ।
लिपि । -पारचा-पु० हुंडी, चेक । मु०-करना-रुपयेसरसराहट-स्त्री० हवा, साँप आदिके चलनेका शब्द । । पैसे परखना; सराफका काम करना । सरसरी-वि० जल्दी या रवारवीका, लापरवाईसे किया सराब-पु० [अ०] रेतीले मैदानपर सूर्यको किरणें पड़नेसे जानेवाला, चलता (काम) । अ० जल्दी में, बिना अधिक होनेवाली जलकी भ्रांति, मृगमरीचिका; धोखा, भ्रांति । सोचे-विचारे, चलते तौरपर, बिना बारीकीसे देखे-समझे। स्त्री० दे० 'शराब। -तहकीकात-स्त्री. वह जाँच या तहकीकात जिसमें सराबोर-वि० तरबतर, अच्छी तरह भीगा हुआ। पूरी शहादत न लिखी जाय । -नज़र-निगाह-स्त्री० सराय-स्त्री० [फा०] सरा, मुसाफिरखाना ।-ए-फानीचलती निगाह । -तौरपर-मोटे तौरपर ।
स्त्री० दुनिया । -का कुत्ता-(ला०) अति लोभी । सरसाई*-स्त्री० सरसता; आधिक्य; सुंदरता।
सराव*-पु० प्याला, मधुपात्र; कसोरा; दीया। सरसाना*-स० क्रि० हरा-भरा करना; रसपूर्ण करना। सरावगी-पु० जैनमतानुयायी। अ० क्रि० दे० 'सरसना'।
सरावनी -पु० पटेला, हेंगा । सरसिका-स्त्री० [सं०] बावली; छोटा ताल, सरोवर । सरास*-पु० भूसी-'कहो कौन पैकढो जाइ कन बहुत सरसिज-पु० [सं०] कमल । -योनि-पु० ब्रह्मा । सरास पछोरी-सू० । सरसी-स्त्री० [सं०] छोटा ताल बावली ।-रुह-पु०कमल । | सरासन-पु० धनुष , कमान । सरसुति*-सी० सरस्वती।
सरासर-अ० इस सिरेसे उस सिरेतक, सोलहों आने, सरसेटना-स० क्रि० फटकार बतलाना, डाँटना । पूर्णतया। वि० [सं०] इतस्ततः भ्रमण करनेवाला । सरसौं-स्त्री० एक तेलहन, सर्षप ।
सरासरी-वि०अ० दे० सरसरी' । स्त्री० जल्दी; आसानी सरसौहाँ*-वि० सरस बनाया हुआ, रसयुक्त ।
अनुमान। सरस्वती-स्त्री० [सं०] एक प्रसिद्ध नदी; विद्यादेवी जो | सराह*-स्त्री० प्रशंसा, स्तुति, बड़ाई। ब्रह्माकी पत्नी मानी जाती हैं, वाग्देवी; देववाणी; वाणी, सराहना-स० क्रि० प्रशंसा, स्तुति, बड़ाई करना। स्त्री० शब्द, स्वर । -पूजन-पु०,-पूजा-स्त्री० सरस्वतीके तारीफ, बड़ाई। जन्मदिनके उपलक्ष्य में होनेवाली पूजा जो माघ-शुक्ला | सराहनीय*-वि० प्रशंसनीय, उत्तम । पंचमीको होती है।
सरि-स्त्री० [सं०] झरना; जलप्रपात; दिशा; * नदी सरहंग-पु० सेनापति कोतवाल ।
लड़, माला; बराबरी, समता । * वि० तुल्य, सदृश । सरह*-पु० शलभ, पतंग ।
* अ० तक, पर्यंत-'आऊ सरि राजा पहँ रहा'-प०। सरहज-स्त्री० सालेकी स्त्री।
सरिका-स्त्री० [सं०] गमन, प्रस्थान हिंगुपत्री; जानेवाली सरहद-स्त्री० दे० 'सर'के साथ ।
स्त्री; मोतियोंकी लड़ी; मुक्ता; ताल, झील; एक तीर्थ । सरहरा-वि० ऊपरको सीधे बढ़ा हुआ (पेड़), लंबोतरा। सरिगम-पु० दे० 'सरगम' । सरहरी-स्त्री० सरपत जैसा एक तृण; सर्पाक्षी ।
सरित*-स्त्री० नदी। सरहिंद-पु० यमुना और सतलजके बीचका भूभाग । । सरितांपति-पु० [सं०] समुद्रा चारको संख्या। सरा--* स्त्री०चिता-'सत कहँ सती सँवारै सरा'-५०% सरिता-स्त्री. नदी; धारा । [फा०] घर: मुसाफिरखाना, धर्मशाला ।
|सरित्-स्त्री० [सं०] नदी सूत्र, डोरी ।-पति-पु०समुद्र ।
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