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समुच्छेद-सम्मत
८२० समुच्छेद-पु० [सं०] ध्वंस, विनाश; उन्मूलन ।
वाला तार । समुच्छेदन-पु० [सं०] जड़से उखाड़ना; ध्वस्त करना । समुद्रीय-वि० [सं०] समुद्रका; समुद्र-संबंधी । समुच्छास-पु० [सं०] दीर्घ प्रश्वास ।
समुद्वेग-पु० [सं०] घबड़ाहट; भय, त्रास । समुज्ज्वल-वि० [सं०] अत्यंत उज्ज्वल; चमकीला । समुन्नत-वि० [सं०] ऊपर उठाया हुआ; विशेष रूपसे समुझ*-स्त्री० दे० 'समझ'।
उन्नत, ऊँचा गौरवान्वित । समुझना*-अ०क्रि० दे० 'समझना।
| समुन्नति-स्त्री० [सं०] ऊपर उठाना; ऊँचाई, उच्चता; समुझनि*-स्त्री० समझनेकी क्रिया।
गौरव; उच्च पद प्राधान्य; उन्नति, समृद्धि । समुत्कंटकित-वि० [सं०] रोमांचयुक्त ।
समुन्मूलन-पु० [सं०] जड़से उखाड़ देना, निर्मूलन । समुत्कंठा-स्त्री० [सं०] गहरी इच्छा ।
समुपकरण-पु० [सं०] सामग्री, सामान । समुत्कीर्ण-वि० [सं०] अच्छी तरह खोदा हुआ; पूरे तौर- समुपस्थित-वि० [सं०] उपस्थित, आया हुआ; प्रकट । से छेदा हुआ।
समुल्लास-पु० [सं०] विशेष आनंद, उमंग, क्रीड़ा; समुत्थान-पु० :[सं०] ऊपर उठना; उन्नति; उत्तोलन | ग्रंथका परिच्छेद ।। (ध्वजाका); उद्भव।
समुल्लेख-पु० [सं०] चारों ओर जमीन खोदना ( पैर समुत्थापक-वि० [सं०] उठानेवाला;जगानेवाला (बौद्ध)। आदिसे); उत्सादन, उन्मूलन । समुत्सुक-वि० [सं०] अधीर, विशेष इच्छुक, उत्कंठित । । समुहा*-वि० आगे, सामनेका । अ० आगे, सामने । समुद-वि० [सं०] प्रसन्नतायुक्त । अ० प्रसन्नतापूर्वक । समुहाना*-अ० क्रि० सामने आना, होना-'अति भय
* पु० समुद्र । -लहर*-पु. एक कपड़ा (५०)। त्रसित न कोउ समुहाई'-रामा । समुदय-पु० [सं०] (सूर्यका) ऊपर आना, उदित होना; समुह*-अ० सामने । विकास; उत्थान; अभ्युदय राशि, समूह, समुदाय । समूचा-वि० संपूर्ण, समग्र, पूरा। समुदाय-पु० [सं०] समूह, राशि, झुंड ।
समूढ-वि० [सं०] एकत्र किया हुआ राशीकृत विवाहित समुदायि* -पु०समूह, झुंड ।
नीत सद्योजात; भुक्त; संगत । समुदाव-पु० समूह, झुंड, राशि ।
समूर-पु० [सं०] दे० 'समूर' । * वि०, अ० दे० 'समूल'। समुदित-वि० [सं०] ऊपर उठा हुआ; ऊँचा; उत्पन्न । समूरू, समूहक-पु० [सं०] साबर हिरन । समुद्गीर्ण-वि० [सं०] वमित; उत्तोलित; कथित । समूल-वि० [सं०] जड़वाला, मूल युक्तः सकारण । अ० समुद्धरण-पु० [सं०] ऊपर उठाना खींचकर निकालना, जड़से, मूलसहित ।। उद्धार करना हटाना, दूर करना उन्मूलन ।
समूह-पु० [सं०] ढेर, राशि, झुंड, समुदाय, समाज, वर्ग । समुद्धर्ता(त)-वि०,पु० [सं०] उठानेवाला, उद्धार करने -कार्य-पु० समाज या वर्गविशेषका कार्य । -वादवाला; उन्मूलन करनेवाला।
पु० ( कलेक्टिविज्म ) उद्योग-व्यवसाय में सामूहिक पूँजीके समुद्धार-पु० [सं०] दे० 'समुद्धरण' ।
प्रयोगका प्रतिपादन करनेवाला सिद्धांत; भूमि तथा समुद्धोधन-पु० [सं०[ पूर्णतः जाग्रत् करना होशमें लाना। उत्पादनके साधनोंपर सामूहिक प्रभुत्वकी आवश्यकतापर समुद्यत-वि० [सं०] ऊपर उठाया हुआ तैयार प्रवृत्त । जोर देनेवाला सिद्धांत ।। समुद्र-पु० [सं०] सागर, चारकी संख्या (ला०) गुण समहोत्पादन-पु०[सं०](मासप्रॉडक्शन)दे० पुंजोत्पादन' ।
आदिका बहुत बड़ा परिमाण (समासमें)। -गमन- समृद्ध-वि० [सं०] उन्नतिशील, प्रसन्न धनी, संपन्न । पु० समुद्रयात्रा । -गा-स्त्री० नदी। -गामी(मिन)- समृद्धि-स्त्री० [सं०] बढ़ती, उन्नति; संपन्नता; बाहुल्य । वि. समुद्र में जाने या समुद्री व्यापार करनेवाला । समेटना-स० क्रि० बटोरना, इकट्ठा करना (बिखरी चीजे); -झाग-पु० [हिं०] समुद्रका फेन । -तटवर्ती प्रदेश- तह करके रखना (जाजिम आदि); अंगीकार करना। पु० (मैरिटाइम प्रॉविंस) किसी देशका वह भूभाग जो समेत-अ० साथ । वि० [सं०] मिला हुआ, एकत्र, संयुक्त। समुद्रके किनारे हो। -दयिता-पत्नी-स्त्री० नदी। समै, समैया-पु० समय । -फल-पु. एक वृक्ष या उसका फल । -फेन-पु० | समो*-पु० समय। समुद्रका झाग । -मंथन,-मथन-पु० समुद्रका विलो- | समोखना*-स० क्रि० ताकीदसे कहना। इन; अनेक ग्रंथों या विषयोंकी छानबीन । -मालिनी-समोना*-सक्रि० मिलाना। स्त्री० पृथ्वी । -मेखला-स्त्री० पृथ्वी। -यात्रा-स्त्री. समोसा-पु० सिंघाड़ेकी शकलका एक नमकीन पकवान । समुद्री सफर |-यान-पु० समुद्रयात्रा पोत ।-लवण- | समौ*-पु० समय । पु० समुद्रजलसे निकलनेवाला नमक । -वल्लभा-स्त्री० समौरिया-वि० समवयस्क, हमउम्र । पृथ्वी ।-वसना-स्त्री० पृथ्वी ।-वति-पु० बडवानल । सम्-उप० [सं०] यह शब्दोंके पूर्व आकर साथ, पूर्णता,
-वासी(सिन्)-वि० समुद्रके पास रहनेवाला। आधिक्य, सामीप्य, अच्छाई आदिका द्योतन करता है। समुद्रांबरा-स्त्री० [सं०] पृथ्वी ।
सम्मंत्रणा-स्त्री० [सं०](कानफरेंस) परस्पर सलाह-मशविरा समुद्री-वि० समुद्रका; समुद्र-संबंधी; समुद्रकी ओरसे | करनेका कार्य । आनेवाली (हवा)समुद्रपर की जानेवाली; नौबल संबंधी। सम्मत-वि० [सं०] एक ही रायका, सहमतः माना हुआ; -तार-पु. (केबिल) समुद्र में पानीके भीतरसे जाने विचारित प्रसिद्ध सम्मानितः प्रिय ।
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