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चढ़ाना (धनुष्) ।
समारोपित - वि० [सं०] चढ़ाया हुआ; ताना हुआ (धनुष); रखा हुआ; स्थानांतरित । समारोह-पु०[सं०]धूमधाम; धूमधाम से होनेवाला उत्सव । समार्हता - स्त्री० [सं०] ( पैरिटी ) मूल्य, योग्यता आदिमें समान होना ।
समालिंगन - पु० [सं०] प्रगाढ आलिंगन ।
समालोचक - पु० [सं०] किसी वस्तुकी सम्यक् परीक्षा करनेवाला; किसी पदार्थके गुण-दोष आदिका सम्यक् विवेचन करनेवाला; किसी कृति, रचना, ग्रंथ आदिके गुण, दोष, महत्त्व आदिका प्रतिपादन करनेवाला । समालोचन - पु० [सं०] समालोचना ।
समालोचना - स्त्री० [सं०] अच्छी तरह देखना, निरीक्षण करना; किसी वस्तु, कृति, व्यक्ति आदिमें गुण-दोषका सम्यक विचार करना; गुण-दोषका विचार प्रस्तुत करने वाला निबंध, ग्रंथ आदि, आलोचना । समावर्तन - पु० [सं०] लौटना, वापस होना; अध्ययन पूर्ण करने के बाद ब्रह्मचारीका घर लौटना; इस अवसर पर होनेवाला संस्कार; पदवीदान समारोह | समावह - वि० [सं०] उत्पन्न, प्रस्तुत करनेवाला; कारण समिध - पु० [सं०] अग्नि; ईंधन ।
बननेवाला (आ० वे० ) ।
समावास पु० [सं०] निवास स्थान; टिकनेका स्थान; शिविर, पड़ाव ।
समावासित वि० [सं०] बसाया, ठहराया हुआ । समाविष्ट - वि० [सं०] पूर्णतः प्रविष्ट; जिसका समावेश हुआ हो; समाया हुआ ।
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समारोपित - समुच्छिन
समासोक्ति - स्त्री० [सं०] एक अर्थालंकार, जहाँ विशेष शब्दरचना के कारण प्रस्तुतसे अप्रस्तुतका भान हो । समाहरण - पु० [सं०] संयुक्त करना; एकत्र करना । समाहर्ता (तृ)- वि० [सं०] मिलाने, जमा करनेवाला । पु० (कर आदिका) संग्राहक |
समिधा, समिधि-स्त्री० यज्ञमें जलानेकी लकड़ी ।
समावाय - पु० [सं०] संबंध, साथ; अभेध संबंध; समूह, समिध स्त्री० [सं०] ईंधन; यज्ञीय लकड़ी । राशि ।
गुरुकुलसे लौटा हुआ; पूरा किया हुआ । समावेश - पु० [सं०] प्रवेश; साथ रहना; मिलना, एकत्र होना; अंतर्भाव शामिल होना; प्रेतावेश; घुसना, व्याप्त होना; साथ-साथ होना या घटित होना । समाश्लिष्ट - वि० [सं०] सम्यक् रूपमें आलिंगित; संलग्न । समाश्लेष - पु० [सं०] प्रगाढ़ आलिंगन । समाश्वस्त - वि० [सं०] जिसे जीमें जी आया हो, तसल्ली
हो गयी हो, ढाढ़स बँध गया हो; प्रोत्साहित; विश्वासपूर्ण । समाश्वासन - पु० [सं०] ढाढ़स बँधाना; उत्साह बढ़ाना। समास - पु० [सं०] योग, मेल; समर्थन; संबंध; साथ रहना; संक्षिप्त करना; संक्षेप - 'कपि सब चरित समास बखाने' - रामा० दो या अधिक पदोंको मिलाकर एक पदका रूप देना । - चिह्न - पु० ( हाइफन ) दे० 'समास - रेखा' । - प्राय, - बहुल - वि० जिसमें समासोंकी बहुलता हो । - रेखा - स्त्री० (हाइफन) दो या दो से अधिक शब्दोंको मिलाकर संयुक्त शब्द बनानेके लिए उनके बीचमें दी जानेवाली लघु रेखा | समासीन - वि० [सं०] सम्यक् प्रकारसे बैठा हुआ; साथ
बैठा हुआ ।
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समाहार - पु० [सं०] ग्रहण; जोड़; संग्रह; समूह । - द्वंद्व - पु० द्वंद्व समासका एक भेद (जिसमें दो पद आपस में मिलकर वर्ग या समूहके बोधक होते हैं, जैसे 'पंचवटी') । समाहित-वि० [सं०] एकत्र किया हुआ; तै किया हुआ; शांत; लीन; पूरा किया हुआ; व्यवस्थित; स्थापित, प्रतिपादित; स्वीकृत | पु० एक अलंकार ।
समाहूत - वि० [सं०] बुलाया हुआ; ललकारा हुआ। समाह्याता (तृ) - वि० [सं०] आह्वान करनेवाला; ललकारने, चुनौती देनेवाला ।
समाह्वान - पु० [सं०] सम्यक् प्रकार से आह्वान करना; चुनौती देना; जानवरोंकी लड़ाईपर बाजी रखना । समितिंजय-पु० [सं०] युद्धविजेता; सभाविजेता; यम । समिति - स्त्री० [सं०] एकत्र होना; सभा; युद्ध; विशेष कार्यके लिए गठित थोडेसे आदमियोंकी सभा ।
समीक्षण - पु० [सं०] देखना; अन्वेषण; जाँच, परीक्षा ।
समावृत - वि० [सं०] घेरा हुआ; ढका हुआ; छिपाया समीक्षा - स्त्री० [सं०] सम्यक् परीक्षा; छानबीन, अनुहुआ; रक्षित; रोका हुआ । संधान; समालोचना |
समावृत्त - वि० [सं०] लौटा हुआ; अध्ययन समाप्त कर समीचीन - वि० [सं०] संगत, उचित; ठीक, यथार्थ; न्याय्य । समीचीनता - स्त्री० [सं०] संगति, औचित्य; यथार्थता । समीति* - स्त्री० दे० 'समिति'; समाधान ।
समीप - वि०, अ० [सं०] निकट, पास । -वर्ती (तिन) - वि० निकट रहनेवाला, पासका स्थ-वि० दे० 'समीतवत' । समीपता - स्त्री० [सं०] निकटता, सामीप्य । समीर - पु० [सं०] हवा, वायु कुमार पु० हनुमान् । समीरण- पु० [सं०] वायु; पवनदेव ।
समीहा - स्त्री० [सं०] चेष्टा, उद्योग; इच्छा; जाँच, अन्वेषण । समुंद* - पु० समुद्र ।
समुंदर- पु० दे० 'समुद्र' । -फल- पु० दे० 'समुद्र- फल' | समुचित - वि० [सं०] उपयुक्त; ठीक, उचित; यथेष्ट । समुच्चय- पु० [सं०] कई वस्तुओंका एक साथ होना; समूह, राशि, समाहार; एक काव्यालंकार, जहाँ कई भावोंका एक साथ ही प्रकट होना दिखलाया नाय या जहाँ एक ही कार्य के लिए कई कारणोंका विद्यमान रहना वर्णित किया जाय ।
समीकरण - पु० [सं०] समान, बराबर करना; ज्ञात राशि
की सहायता से अज्ञात राशि निकालनेकी क्रिया (गणित); जमीन बराबर करनेका बड़ा बेलन (रोलर ) । समीक्षक - वि० [सं०] सम्यक् रूपसे देखनेवाला, छानबीन करनेवाला; समालोचक ।
समुच्छित्ति - स्त्री० [सं०] टुकड़े-टुकड़े करना; बरबादी, विनाश ।
समुच्छिन्न- वि० [सं०] फटा हुआ; उन्मूलित; नष्ट-विनष्ट ।
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