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गगा
श्रोता-श्वेत श्रोता (त)-पु० [सं०] श्रवणकर्ता, सुननेवाला व्यक्ति। कुत्तोंका मालिक, कुत्ते पालनेवाला । -भीरु-पु० (कुत्ते-धर्ग-पु० (आडिएंस) एक स्थानमें समवेत होकर किसी से डरनेवाला) स्यार, शृगाल । -वृत्ति-स्त्री० (कुत्तेके नेता, उपदेशक, व्याख्याता आदिका भाषण, उपदेश, समान) पराधीन वृत्ति, सेवा, नौकरी; कुत्तेकी भाँति प्रवचन सुननेवाले समस्त लोग।
जूठन खाने, चाटनेवाली वृत्ति, पराश्रित रहनेकी आदत । श्रोत्र-पु० [सं०] कर्ण, कान, श्रवणेंद्रियः वेद, श्रुति वेद- श्वशुर, श्वशुरक-पु० [सं०] ससुर-पति या पत्नीका विषयक नैपुण्य । -पेय-वि० कानों द्वारा ग्रहण करने | पिता। योग्य, श्रवणीय । -मूल-पु० कर्णमूल । -सुख-वि०, श्वश्र-स्त्री० [सं०] पति या पत्नीकी माता, सास । पु० दे० 'श्रुतिसुख।
श्वसन-पु० [सं०] साँस लेना; हाँफना; आह भरना; वायु। श्रोत्रिय-वि० [सं०] वेदश, वेदाध्ययनकर्ता। पु० वेदश | श्वसित-पु० [सं०] श्वास आह । वि० श्वास निकालने, ब्राह्मण, वेदाध्ययन करनेवाला ब्राह्मण ।
ग्रहण करनेवाला; श्वासयुक्त, जीवित आह भरनेवाला। श्रोत्री-पु० दे० 'श्रोत्रिय' ।
श्वस्तन-वि० [सं०] आगामी कल-संबंधी; भविष्य-संबंधी । श्रीन*-पु० दे० 'शोण'।
श्वा(श्वन्)-पु० [सं०] कुत्ता । श्रोनित*-पु० दे० 'शोणित' ।
श्वान-पु० [सं०] कुक्कुर, कुत्ता; दोहेका एक प्रकार श्रौत-वि० [सं०] श्रवण, कर्ण-संबंधी; वेद, श्रुति-संबंधी; | छप्पयका एक प्रकार । -निद्रा-स्त्री० कुकुर-नि दिया, वेदोक्त, वेदसम्मत; यज्ञ-संबंधी।
कुत्तेकी भाँति तुरत खुल जानेवाली नींद, हलकी नींद। श्रौत्र-पु० [सं०] कर्ण, कान; श्रोत्रियकर्म ।
-वैखरी-स्त्री० कुत्तेका गुर्राना। श्रीन*-पु० दे० 'श्रवण'।
श्वानी-स्त्री० [सं०] कुतिया। लक्षण-वि० [सं०] अल्प या महीन; चिक्कण, चिकना; श्वापद-वि० [सं०जंगली, बर्बर । पु० हिंस्र पशु । कोमल, नरम, मधुर, मनोहर, सुंदर । -स्वक् (च)- | श्वास-पु० [सं०] नाकसे प्राणवायु, ताजी हवा शरीरके पु० अश्मंतक वृक्ष; सुंदर वस्कल ।
भीतर ले जाने तथा भीतरसे दूषित वायु निकालनेका श्लक्ष्णक-वि० [सं०] श्शक्षण । पु० पूगफल, सुपारी । कार्य, साँस, श्वसित आह; हाँफनेकी क्रिया; वायु, श्वास, श्लथ-वि० [सं०] शिथिल, ढीला ढीला किया हुआ; छूटा | दमा नामक रोग। -कष्ट-पु० साँस लेने और निकाहुआ, बिखरा हुआ (जैसे-बाल); दुर्बल ।
लनेकी तकलीफ ('श्वास-कष्ट' का प्रयोग प्रसंगतः 'दमा' श्लथांग-वि० [सं०] जिसके अंग ढीले हो गये हों। रोगके लिए भी होता है)। -कास-पु० ३वासयुक्त कास श्लाघन-पु० [सं०] ( अपनी) प्रशंसा, तारीफ करना; रोग; श्वासजनित खाँसी, दमा। -क्रिया-स्त्री० श्वासचापलूसी करना।
ग्रहण और त्यागका कार्य। -कुठार-पु० श्वास रोगकी श्लाघनीय-वि० [सं०] श्लाध्य, प्रशंसनीय ।
एक औषध । -धारण-पु० दम रोकनेका काम, कुंभक श्लाघा-स्त्री० [सं०] प्रशंसा; चापलूसी; आत्म-प्रशंसा, प्राणायाम । -प्रश्वास-पु० साँस लेना और निकालना। आत्मगुण-कथन, अभिलाष; परिचर्या ।
-रोध-पु० साँस लेनेकी क्रियाको बंद रखना; श्वासका श्लाघ्य-वि० [सं०] श्लाघनीय, प्रशस्य ।
रुद्ध होना, दम घुटना। -हिक्का-स्त्री० एक प्रकारकी श्लिष्ट-वि० [सं०] .आलिंगित, परिरंभित; सम्मिलित, हिचकी। -हीन-वि० मृत। संयुक्तः श्लेषयुक्त, द्वयर्थक, अनेकार्थक । -रूपक-पु० | श्वासा-स्त्री० साँस । वह अलंकार जहाँ लिष्ट शब्द द्वारा रूपकका विधान किया श्वासोच्छास-पु० [सं०] वेगपूर्वक साँस लेना और बाहर गया हो।
निकालना। शिलष्टि-स्त्री० [सं०] आलिंगन; सटाव, लगाव । श्वेत-वि० [सं०] सफेद, उज्ज्वल, उजला; बेधब्बेका, इलीपद-पु० [सं०] टाँग या पैर फूलनेका रोग, फीलपाँव। निष्कलंक; गौर, गोरा (जैसे-श्वेत जाति)। पु० शुक्ल वर्ण, श्लीपदी(दिन)-वि० [सं०] फीलपाँवका रोगी। सफेद रंग; चाँदी, रूपा। -काक-पु० सफेद कौमाश्लील-वि० [सं०] जो अश्लील न हो, शिष्ट समाजमें कोई अनहोनीसी बात। -कुष्ट-पु० सफेद कोद । - दिखाये या पढ़े जाने योग्य, सभ्योचित श्रेष्ठ, शोभायुक्त। गज-पु० इंद्रका ऐरावत हाथी । -च्छद-पु० इंस । श्लेष-पु० [सं०] आलिंगन; संयोग, लगाव; एक शब्दा- -दूर्वा-स्त्री० सफेद दूब ।-द्युति-पु० चंद्रमा। -धातु लंकार जिसमें एक शब्द के कई अर्थों द्वारा काव्यमें चम- -स्त्री० खड़िया मिट्टी; सफेद रंगकी धातु । -पत्र-पु. कार उत्पन्न किया जाता है।
हंसा (ह्वाइट पेपर) किसी वार्ता, संधि-चर्चा आदिके अंतमें श्लेष्मा(प्मन्)-पु० [सं०] कफ, बलगम ।
उसमें तय हुई बातों आदिके संबंधमें सरकार द्वारा प्रकाइलैष्मिक-वि० [सं०] कफ-संबंधी; कफ पैदा करनेवाला। शित लिखित विवरण या वक्तव्य । -प्रदर-पु० प्रदरका श्लोक-पु० [सं०] यश, कीर्ति (जैसे-पुण्यश्लोक); एक भेद जिसमें स्त्रियोंकी जननेंद्रियसे सफेद रंगका स्राव प्रशंसा संस्कृतका अनुष्टुप छंद या कोई पद्य ।
होता है। प्रस्तर-पु० सफेद संगमर्मर । -भानु-पु० श्वः (श्वस)-अ० [सं०] आगामी कल ।
चाँद, चंद्रमा ।-मयूख-पु०चंद्रमा ।-सार-पु० खदिर, श्व(न)-पु० [सं०] 'श्वा'का समस्त पदोंमें व्यवहृत | खैर (स्टार्च) सफेद सत्त जैसा खाद्यतत्त्व जो आलू , चावल रूप। -पच,-पाक-पु. चांडाल; वधिक, फाँसी देने इत्यादिमें अधिक मात्रामें पाया जाता है (कपड़ोंपर कलफ वाला कुत्तेका मांस पकाने, खानेवाला । -पति-पु० करनेमें इसका प्रयोग किया जाता है)। -हय-पु०इंद्रका
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