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वार्तमानिक-वासुकि रहनेवाला पहरेदार ।
-वृष्टि-स्त्री०आँसुओंकी वर्षा ।-शील-वि० (वोलेटाइल) वार्तमानिक-वि० [सं०] वर्तमानकाल-संबंधी; जो विद्य- जो शीघ्रतापूर्वक वाष्प बनकर उड़ जाय; अस्थिर (ला०)। मान हो।
वाष्पाकुल-वि० [सं०] जो आँसुओंके कारण धुंधला हो वार्ता-स्त्री० दे० 'वार्ता'।
गया हो। वार्ता-स्त्री० [सं०] जनश्रुति, अफवाह घटना; वृत्तांत, वाष्पीकरण-पु० [सं०] ( इवैपोरेशन) किसी पदार्थका, हाला विषय, प्रसंग; बातचीत; वृत्ति, जीविका (कृषि, विशेषकर द्रवपदार्थका, वाष्परूपमें परिणत होना या वाणिज्य आदि); दुर्गा; भंटा, अन्य द्वारा खरीदा-बेचा किया जाना, भाफ बन जाना या बनाया जाना। जाना । -वह-पु० संदेश ले जानेवाला-दूत । -हर,- वासंतिक-पु० [सं०] विदूषक, भाँड़; नर्तक; अभिनेता; हर्ता(१),-हार-पु० दूत ।।
वसंतोत्सव । वि० वसंत-संबंधी; वसंतकालीन । वार्तालाप-पु० [सं०] बातचीत ।
वासंतिकता-स्त्री० [सं०] वसंतका आनंद । वाविह-पु० संदेश पहुँचानेवाला, दूत ।
वासंती-स्त्री० [सं०] जूही; माधवी; नेवारी गनियारी । वार्तिक-पु० [सं०] व्याख्या ग्रंथ (कात्यायन आदिका); | वास-पु० [सं०] निवास, रहना; घर, मकान; कपड़ा, किसान; व्यवसायी; वैद्य; व्याख्या विवाहका भोजन पोशाक; अवस्थिति, स्थान; असा; सुगंध; गंध; एक आचारशास्त्रका अध्ययन करनेवाला; दूत, चर, जासूस; दिनकी यात्रा; पत्रक -गृह,-गेहा-भवन, वेश्म(न) भंटा । वि० व्यवसाय कुशल समाचार-संबंधी; व्याख्या- पु. अंतःपुर, शयनागार । -यष्टि-स्त्री० पालतू पक्षियों के स्मक ! -कार-पु० कात्यायन ।
लिए बनी हुई छतरी । -व्यवस्था-स्त्री. (ऐक्कोमोडेशन) वार्धक्य-पु० [सं०] बुढ़ापा ।
रहने या ठहरनेका स्थान, सुविधा या प्रबंध । वार्षभ-वि० [सं०] वृष, बैल-संबंधी।
वासक-पु० [सं०] वस्त्र; गंध; अडूसा; वासर, दिन । वार्षिक-वि० [सं०] वर्ष-संबंधी प्रति वर्ष होनेवाला; वर्षा- वि० वासने, सुगंधित करनेवाला; रहनेके लिए प्रेरित कालमें होनेवाला; एक वर्ष टिकनेवाला । -वित्तविवरण | | करनेवाला । -सज्जा,-सजिका-स्त्री० श्रृंगार करके -पु० (एन्नुअल फाइनैनशल स्टेटमेंट) राज्यकी या नायककी प्रतीक्षा करनेवाली नायिका । किसी संस्थाकी वर्ष भरकी वित्तीय स्थितिका विवरण। वासतेय-वि० [सं०] रहने, वसने योग्य । वार्षिकी-स्त्री० [सं०] प्रति वर्ष दी जानेवाली छात्रवृत्ति | वासन-पु० [सं०] बासना, सुगंधित करना; वस्त्र, वास; वर्ष में नियमित रूपसे होनेवाली पूजादिः (एन्नुइटीज) बसाना; ज्ञान; जलपात्र; संदूक मंजूषा । वार्षिक रूपसे मिलनेवाली वृत्ति, लाभांश, अनुदान | वासना-स० क्रि० दे० 'बासना' । स्त्री० [सं०] संस्कार आदि।
भावना, कल्पनाइच्छा, कामना; अज्ञान, भ्रम, मिथ्यावार्हस्पत्य-वि० [सं०] वृहस्पति-संबंधी । पु० वृहस्पतिका । संस्कार, स्मृतिहेतु; प्रमाण । शिष्य; नास्तिक; अग्नि ।
वासयिता(त)-पु०[सं०] वस्त्राच्छादित करनेवाला; रक्षा वालंटियर-पु० [अं०] पुरस्कार या वेतन न लेकर सेना | करनेवाला। आदिमें काम करनेवाला व्यक्ति, स्वयंसेवक ।
वासर-पु० [सं०] दिन; एक नाग, नवदंपतीका पहली वाल-पु० [सं०] ( घोड़े आदिकी) पूँछके बाल । -धि- रातका शयनमंदिर; बारी । वि० प्रातःकाल-संबंधी। - पु० पूँछ; एक मुनि भैसा। -प्रिय,-मृग-पु० गायकी | कन्यका-स्त्री० रात्रि। -कृत्-मणि-पु० सूर्य ।
जातिका एक जानवर जिसकी पूँछका चँवर बनता है। । वासराधीश, वासरेश-पु० [सं०] सूर्य । वालि-पु० [सं०] एक वानर, सुग्रीवका भाई; एक मुनि ।। वासव-पु० [सं०] इंद्र । वि. वसु-संबंधी; इंद्र-संबंधी। वालिका-स्त्री० [सं०] मुहरकी अँगूठी, मुद्रा; बालू दे. -चाप-पु० इंद्रधनुष् । -ज-पु० अर्जुन; जयंत; 'बालिका'।
बालि । -दिक(श)-स्त्री० पूर्व दिशा। वालिद-पु० [अ०] बाप, पिता।
वासा-स्त्री० [सं०] असा माधवी लता। वालिदा-स्त्री० [अ०] माँ।
वासागार-पु० [सं०] दे० 'वासगृह' । वालिदैन-पु० [अ०] माँ-बाप ।
वासित-वि० [सं०] बसाया, सुगंधित किया हुआ; मसाला वालुका-स्त्री० [सं०] रेत, बालू चूर्ण; कपूर ककड़ी। डाला हुआ; कपड़ेसे ढका, वस्त्राच्छादित; ठहराया हुआ, वालुकाब्धि, वालुकार्णव-पु० [सं०] रेगिस्तान ।
रोका हुआ; किसी स्थानपर बसाया हुआ। वाल्कल-वि० [सं०] छालका बना हुआ। पु० छालका | वासिल-वि० [अ०] जुड़ा, मिला हुआ; जो वसूल हो बना वस्त्र।
चुका हो । -नवीस-पु० तहसीलका कर्मचारी जो वाल्मीकि-पु० [सं०] रामायणके प्रणेता एक मुनि । वसूलशुदा और बाकी मालगुजारीका हिसाब रखता है। वाल्मीकीय-वि० [सं०] वाल्मीकि-संबंधी; वाल्मीकिप्रणीत । -बाकी-स्त्री० वसूल हो चुकी और बाकी रकमें ऐसी वाल्लभ्य-पु० [सं०] प्यार; प्रिय होनेका भाव लोकप्रियता। रकमोंका हिसाब। पावैला-पु० [अ०] रोना-पीटना, कंदन (-मचाना)। वासी(सिन)-वि० [सं०] रहनेवाला, अधिवासी । वाष्प-पु० [सं०] भाफ; आँसू ; उष्मा, भटकटैया लोहा।। वासुकि-पु० [सं०] एक देवता; तीन प्रमुख नागराजों -कंठ-वि० जिसका कंठ वाष्पसे भर आया हो।-पूर- मेंसे एक (समुद्र मंथनमें इसका रज्जुके रूप में उपयोग पु० आँसुओंकी बाढ़ ।-मोक्षा-मोक्षण-पु० अश्रुपात । किया गया था)।
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