________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
वारंवार - वार्डर
किसी सरकारी कर्मचारीको किसी स्थान या व्यक्तिकी तलाशी लेनेके लिए दिया गया अधिकारपत्र । - रिहाईपु० [हिं०] अदालतका आज्ञापत्र जिसके अनुसार सरकारी कर्मचारी बंदीको मुक्त कर सके या कुर्क जायदाद वापस कर सके ।
वारंवार - अ० दे० 'बारंबार' |
वार - पु० आक्रमण; आघात; नदी आदिका इधरका किनारा; [सं०] रोक; ढक्कन; द्वार; घिरा हुआ स्थान; नियत समय; बारी, दफा दिन (सोम, भौम आदि); अवसर ; जनसमूह; बाणः शिवः मदिरापात्र, पानपात्र; एक कृत्रिम विप; कुंज वृक्ष; जलराशि । कन्यका, कन्या, नारी, -मुखी, - युवती, - योषित् - स्त्री० वेश्या । -तिय* - स्त्री० वेश्या । - पार पु० [हिं०] नदी आदिके दोनों किनारे | अ० इस ओरसे उस ओरतक। -पार करनापूरी मोटाई बेधकर दूसरी ओर निकलना । मु० - पार होना - पूरा विस्तार तै करना ।] -वधू - वनिता, - वाणी, विलासिनी, - सुंदरी, - स्त्री - स्त्री० वेश्या । - सेवा - स्त्री० कसब, वेश्यावृत्ति । मु०-खाली जानाआघातका निशाने पर न लगना, युक्तिका सफल न होना । वारक - पु० [सं०] रोकनेवाला, प्रतिरोधक | वारण-पु० [सं०] निवारण; प्रतिरोध; निषेध; हाथी; अंकुश कवच, प्रतिरोधका साधन । -शाला - स्त्री० हस्तिशाला ।
वारणीय - वि० [सं०] निषेध करने योग्य, मना करने लायक । वारद* - पु० बादल ।
वारदात - स्त्री० दे० 'वारिदात' ।
वारन * - स्त्री० निछावर | पु० बंदनवार; हाथी । वारना - स० क्रि० बलि जाना; उत्सर्ग करना; राई, नोन
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
७२३
।
- त्रा - स्त्री० छाता । - दु-पु० मेघ; नागरमोथा । वि० जल देनेवाला । - दुर्ग-वि० जलके कारण दुर्गम । -धर - वि० जल धारण करनेवाला | पु० बादल । - धानी - स्त्री० जलाधार । - धारा- स्त्री० जलकी धारा - वर्षा । - धि - निधि - पु० समुद्र । - नाथ- पु० बादल; वरुण; समुद्र; नागलोक -प-वि० जल पीनेवाला; जलकी रक्षा करनेवाला । - पथिक - वि० जलके मार्ग से गमन करनेवाला । - पर्णी, पूर्णी, - पृश्नी - स्त्री० जलकुंभी, पानीकी काई । प्रवाह पु० जलधारा; जलप्रपात । - बंधन - पु० बाँध बाँधकर जलको रोकना । - बालक - पु० एक गंधद्रव्य । -भव- पु० रसांजन । - मुकू (च्) - पु० बादल । -मूली-स्त्री० दे० 'वारिपण' । - यंत्र - पु० पानी खींचनेका यंत्र फौवारा । - रथ- पु० नाव । -राज-पु० वरुण । - राशि - पु० समुद्र । - रुह - पु० कमल - वदन- पु० पानी- आमला । - वर- पु० करौंदा । वर्त - पु० एक मेष । वल्लभास्त्री० विदारी । वह - वि० पानी ले जानेवाला | वाहपु० मेघ; मोथा । वि० जल ले जानेवाला । - वाहन - पु० मेघ । - वाही ( हिन्) - वि० जल ढोनेवाला । - विहारपु० जलक्रीड़ा । -श-पु० विष्णु । -शय-वि० जलमें सोनेवाला । - शास्त्र - पु० गर्गप्रणीत फलित ज्योतिषका एक ग्रंथ (इससे वृष्टिके स्थान और समयका पता लगाया जाता है) । -संभव - पु० लौंग; एक तरहका सीसा; उशीर ।
वारित - वि० [सं०] जिसका निवारण किया गया हो, रोका हुआ; मना किया हुआ; छिपाया हुआ, ढका हुआ। - साहित्य - पु० (प्रोस्क्राइब्ड लिटरेचर ) वह प्रकाशित पुस्तक, लेख आदि जिसे पढ़ने या पासमें रखनेकी सरकार द्वारा मनाही कर दी गयी हो । वारिद-पु० [सं०] दे० 'वारि' में ।
वारिदात - स्त्री० घटना; दुर्घटना; हाल, वृत्त; जुर्म, चोरीडकैती इत्यादि ।
आदि उतारना । मु० वारने जाना - निछावर होना । वारनिश - स्त्री० [अ० 'वार्निश' ] लकड़ी आदिपर चमक लाने के लिए लगाया जानेवाला एक रोगन । वारांगणा - स्त्री० [सं०] वेश्या ।
वारीफेरी - स्त्री० किसी प्रिय जनकी बाधा दूर करने के लिए उसके सिरके चारों ओर घुमाकर कोई वस्तु उत्सर्ग करना । वारीश - पु० [सं०] समुद्र ।
वारा - पु० बचत, किफायत; लाभ; नदी आदिका इधरका किनारा । वि० सस्ता; उत्सर्गीकृत, जो निछावर हुआ हो। -न्यारा - पु० फैसला, निपटारा मु०-पड़ना, बैठनाबचत होना । - होना - निछावर होना । वाराणसी - स्त्री० [सं०] काशी, बनारस । वाराणसेय - वि० [सं०] काशीमें उत्पन्न या बना हुआ । वाराह - वि० [सं०] शूकर-संबंधी; वराह अवतार - संबंधी । पु० विष्णुका एक अवतार; शूकरांकित ध्वजा । वाराही - स्त्री० [सं०] शूकरी; वाराह रूपधारी विष्णुकी शक्ति । वारि - पु० [सं०] जल; वर्षा । स्त्री० सरस्वती; हाथी बाँधनेकी जंजीर; हाथी फँसानेका गड्ढा या फंदा; हाथी बाँधनेका स्थान; [हिं०] निछावर । -चर- पु० पानीके जीव-जंतु; मछली; शंख । - चामर - पु० सेवार । -चारी (रिन्) - वि० जल में रहनेवाला (जंतु) । -जपु० कमल; मछली; शंख; घोंघा; द्रोणी लवण; कौड़ी; उत्तम, खरा सोना; लौंग; एक साग । वि० जलमें उत्पन्न | - जात-पु० दे० 'वारिज' । -जीवक - वि० जलसे जीविका चलानेवाला | -तस्कर - पु० सूर्य; बादल । | वार्डर- पु० [अ०] रक्षक, रक्षा करनेवाला; जेल के भीतर
वारुणी - स्त्री० [सं०] पश्चिम दिशा; शराब, मदिरा वरुणकी स्त्री या पुत्री; दूब; इँदारुन; हथिनी । वारुणीश- पु० [सं०] विष्णु ।
वार् पु० [सं०] जल; रक्षक | -आसन - पु० जलाधार ।
- धानी - स्त्री० घड़ा । धारा- स्त्री० जलकी धारा । -धि-पु० समुद्र । - धेय-पु० समुद्री नमक । - वाहपु० बादल ।
वार्ड- पु० [अ०] बड़े नगरों में कई मुद्दों का समूह, इलका (प्रबंध आदि की सुविधा के विचारसे बनाया जाता हैं); अलग कमरा, विभाग (जेल, अस्पताल में) ।
वारियाँ - स्त्री० निछावर, बलि ।
वारिस-पु० [अ०] उत्तराधिकारी, मृत जनकी संपत्तिका अधिकारी; मालिक; खोज-खबर लेनेवाला; रक्षक । वारींद्र - पु० [सं०] समुद्र |
For Private and Personal Use Only