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लोमड़ी लौटना
* लोमड़ी। -कीट-पु० जूं। -कूप,-गत,-रंध्र,- लोहा-पु० एक प्रसिद्ध धातु हथियार, लौहनिर्मित वस्तु विवर-पु० रोएँकी जड़मेंका छेद । -न-पु० बालोंको धोबीका इस्तरी; युद्ध-'दुऔ अनी सनमुख भई लोहा नष्ट करनेवाला रोग, गंजापन । -राजि-स्त्री० लोमा भयेउ असूझ-१०; धाक । मु०-करना-देना-इस्तरी वली। -हर्ष-पु० रोमांच । -हर्षक-वि० रोमांच- करना। -गहना -युद्ध करना; युद्धके लिए तैयार कारी। -हर्षण-पु० रोमांच । वि० अत्यधिक भय, होना । -बजना-युद्ध होना। -बरसना-घमासान हर्ष आदि द्वारा रोएँ खड़े कर देनेवाला (दृश्य, वृत्त युद्ध चलना । (किसीका)-मानना-(किसीका) प्रभाव, आदि)।
प्रभुत्व मानना । (किसीसे)-लेना-लड़ना, साहसलोमड़ी-स्त्री० गीदड़की जातिका एक जानवर ।
पूर्वक सामना करना। -(हे)का दिल-निष्ठुर दिल । लोमा-स्त्री० [सं०] बच ।
-का पानी-तलवार आदिपर चढ़ाया जानेवाला पानी। लोमालि, लोमाली, लोमावली-स्त्री० [सं०] सीनेसे -के चने चबाना-बहुत कठिन कार्य करना। नाभितक उगे हुए धने बाल ।
लोहाना-अ० क्रि० लोहेके पात्र में रहनेके कारण किसी लोय*-पु. लोक, लोग; आँख । स्त्री० ज्वाला, लौ- वस्तुमें उसका स्वाद या रंग आना। 'करनी बिसकी लोय'-साखी । अ० दे० 'लौ'। लोहार-पु. लोहेका काम करनेवाली एक जाति । लोयम-पु० लोचन, आँख ।
-खाना-पु० लोहारके काम करनेका स्थान । म०लोर*-वि० लोल, चंचल, उत्कंठित, उत्सुक । पु० कानकः खानेमें सेवइयाँ बेचना-बेवकूफीका काम करना । लोलकी, ललरी; कानका कुंडल; लटकन, झुमका; आँसू- | लोहारी-स्त्री० लोहारका काम या व्यवसाय । 'चारु आनन लोरधारा बरनि कापै जाय'-सू० । लोहिका-स्त्री० [सं०] लोहेका तसला ।। लोरना*-अ० क्रि० चंचल होना; झुक जाना, झुकना; | लोहित-वि० [सं०] लाल; ताँबेका बना हुआ । पु. लाल लपकना, ललकना; लोटना; लिपटना; तैरना ।
रंग; मंगल ग्रह सर्प, ताँबा रक्त । -ग्रीव-पु० अग्नि । लोरवा -पु० आँसू (ग्राम०)।
-नयन-वि०जिसकी आँखें (क्रोधसे) लाल हों। लोरी-स्त्री० बच्चोंको सुलाते समय गानेका गीत । लोहिया-पु. लोहेका कारबार करनेवाला; मारवाड़ी लोल-वि० [सं०] चंचल, हिलता-डोलता; क्षुब्ध, अशांता बनियोंकी एक जाति; लाल बैल; लोहेको गोली। वि० अस्थिर बदलनेवाला; उत्सुक लोभी। -चक्षु(स),- | लोहेका लाल रंगका (जानवर आदि)। नयन,-नेत्र,-लोचन-वि० जिसकी आँखें चारों तरफ लोही-स्त्री. प्रत्यूषकी लाली-'होत भोर लोही लागत दौड़ती हों। -जिह्व-वि० लालची । पु० सर्प ।
कुस के जनम भये'-ग्राम; लोई; * चुगली । मु०लोलक-पु० [सं०] नथ आदिका लटकन; घंटेका लटकन; फटना-पौ फटना। लोलकी।
लोहू-पु० रक्त, लहू। लोलकी-स्त्री० कानका निचला भाग, ललरी ।
लौं*-अ० तक, पर्यंत; समान, बराबर । लोलना*-अ० कि० हिलना-डोलना; चंचल होना। लौकना-अ० क्रि० चमकना; चकाचौंध होना; सूझना, स० क्रि०हिलाना।
दिखाई देना। लोला-स्त्री० [सं०] जीभ, लक्ष्मी चंचला स्त्री; एक वर्ण- | लौंग-स्त्री० एक प्रकारका वृक्ष या उसकी कली; नाकवृत्त बिजली; एक विशेष प्रकारकी नाव ।
| कानका एक आभूषण । -लता-स्त्री० एक बैंगला मिठाई। लोलाक्षिका, लोलाक्षी-स्त्री० [सं०] चंचल नेत्रोंवाली स्त्री। | लौंडा-पु० छोकरा, लड़का । वि० नादान । -पन-पु० लोलिनी-स्त्री० [सं०] चंचला स्त्री।
लौंडा होना; लड़कपन; छिछोरपन । -(डे)बाज़-पु० लोलुप-वि० [सं०] लालची, लोभी; कोई वस्तु पानेके बालकोंसे प्रेम और अप्राकृतिक संबंध करनेवाला । वि० लिए अधीर, उत्सुक; चटोर ।
स्त्री० किशोरवयके बालकोंसे अनुचित संबंध रखनेवाली लोलुपता-स्त्री०, लोलुपत्व-पु० [सं०] लालची लालसा । प्रौढ़ा (स्त्री)। -बाज़ी-स्त्री. लौंडेबाज होना, लौडोंसे लोवा-स्त्री० लोमड़ी । पु० लवा नामका पक्षी ।
अनुचित संबंध रखना। लोष्ट-पु० [सं०] ढेला।।
लौड़ी-स्त्री० दासी, टहलनी, मजदूरनी। लोहड़ा*-पु. लोहेका पात्र, तसला आदि ।
लौंद-पु० मलमास । लोह-वि० [सं०] ताँबेके रंगका, लाल; लोहेका बना । लौंदरा-पु० पहली वर्षा ।
रक्त हथियार ।-कार-पु. लोहार ।-किट्ट- | लौ-स्त्री० लपट, ज्वाला; दीपशिखा; लोलकी; चाह, धुन । पु० लोहेका मैल । -चून-पु० [हिं०] दे० 'लोहचूर्ण'। लौआ-पु. लौकी, कद् । -चूर्ण-पु० लोहे ? मैल, मोरचा; लोहेका बुरादा । | लौकना -अ० क्रि० देख पड़ना; चमकना ।
| लोकायतिक-पु० [सं०] चार्वाकका अनुयायी, नास्तिक । मोरचा ।-लंगर-पु० [हिं०] जहाजका लंगर कोई बहुत लौकिक-वि० [सं०] लोकका, सांसारिका व्यवहार-संबंधी, भारी चीज । -सार-पु. फौलाद ।
व्यावहारिक; सामान्य । लोहबान-पु० दे० 'लोबान'।
लौकी-स्त्री० धिया, कद्दु । लोहाँगी-स्त्री० वह लाठी जिसमें किसी सिरेपर लोहा लौटपटा-पु० दे० 'लोटपटा। लगा हो।
लौटना-अ०क्रि० वापस आना, फिरना पीछे मुँह फेरना;
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