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लोकायतिक-लोम रखनेवाला व्यक्ति चार्वाकका अनुयायी; चार्वाक दर्शन | लोटिया-स्त्री० छोटा लोटा। (परोक्ष, परलोकवादका खंडन करनेवाला नास्तिक मत)। लोडम-पु० [सं०] हिलाने-डुलाने, क्षुब्ध या प्रशांत लोकायतिक-पु० [सं०] नास्तिक चार्वाकका अनुयायी। करनेकी क्रिया, मंथन । लोकेश्वर-पु० [सं०] लोकका स्वामी; ईश्वरः बुद्ध । लोड़ना*-स० क्रि० चाहना, जरूरत महसूस करना। लोकैषणा-स्त्री० [सं०] उत्कर्ष, सम्मान आदिकी कामना लोडित-वि० [सं०] मथित, क्षुब्ध किया हुआ। सुखकी अभिलाषा।
लोढ़ना-सक्रि० ओटना साफ करना; * (फूल) तोड़ना। लोकोक्ति-स्त्री० [सं०] कहावत; एक अलंकार (इसमें * अ० क्रि० लोटना, जमीनपर घसिटना। लोकोक्तिका प्रयोग किया जाता है)।
लोढ़ा-पु० सिलपर पीसनेके लिए बना हुआ पत्थरका लोकोत्तर-वि० [सं०] लोकमें प्राप्त पदार्थों से उत्तम, श्रेष्ठ, | गोल, लंबा टुकड़ा, बट्टा। असाधारण, विलक्षण ।
| लोढ़िया-स्त्री० छोटा लोढ़ा । लोकोपकार-पु० [सं०] सार्वजनिक लाभका काम । लोथ-स्त्री० शव, लाश ।-पांथ-वि० लथपथ, थका हुआ। लोकोपयोगी(गिन)-वि० [सं०] लोगोंके लिए उपयोगी, लोथड़ा-पु० मांसका बड़ा टुकड़ा। जनताके कामका। -सेवा-स्त्री० (पब्लिक यूटिलिटी | लोथरा*-पु० दे० 'लोथड़ा'। सर्विस) वह सेवा, कार्य या व्यवस्था जो जनताके लिए लोथि*-स्त्री० दे० 'लोथ' । विशेष उपयोगी या कामकी हो ( जैसे नगरकी जलकल- लोन*-पु० लवण, नमक; सुंदरता, लावण्य । हरामी*व्यवस्था, बिजली, सफाई आदिका काम)।
वि० नमकहराम, कृतघ्न ( मुहावरे ) नमकके साथ । लोखड़ी -स्त्री० लोमड़ी।
लोना-वि० नमकीन; सलोना, सुंदर। पु० क्षार, नोना; लोखर-पु. नाई, बढ़ई आदिके लोहेके औजार किसबत ।। एक साग, अमलोनी । स्त्री० एक जादूगरनी। स० क्रि० लोग-पु० मनुष्य (बहुवचनमें प्रयुक्त)।-बाग-पु० सर्व | लुनना, काटना। • साधारण, जनता।
लोनाई*-स्त्री० सुंदरता। लोगाई-स्त्री० दे० 'लुगाई।
लोनिया-पु० नमक बनाने और बेचनेका व्यवसाय करनेलोच-स्त्री० लचीलापन, लचका कोमलता, मृदुता; अच्छा वाली एक जाति, नोनियाँ । स्त्री० लोनी साग । ढंग; * रुचि, अभिलाषा; लुंचन, नोचना; उखाड़ना। लोनी-स्त्री० एक साग, अमलोनी, चनेकी पत्तियोंपर लोचन-वि० [सं०] चमकानेवाला । पु० आँख, देखनेकी | मिलनेवाला खार, क्षार; शोरा या नमक निकालनेकी क्रिया । -गोचर,-पथ,-मार्ग-पु० दृष्टिपथ, दृष्टिके मिट्टी; लोना; * सुंदर नायिका । * पु० नवनीत । अंदर पड़नेवाला क्षेत्र।
लोप-पु० [सं०] नाश; अभाव; छिपना; शब्दमेके किसी लोचनांचल-पु० [सं०] आँखका कोना ।
अक्षरका लुप्त होना ।-विभ्रम-पु०(एरर्स एंड ओमिशन्स) लोचना -स० क्रि० रुचि, हविस पैदा करना; इच्छा | (हिसाब, ब्यौरे आदिमें हुई) भूल और छूट, भूल-चूक । करना; * प्रकाशित करना । अ० क्रि० चाहना, ललचना लोपना*-सक्रि० मिटाना, लुप्त करना; भंग करना; बिराजना | + पु० कन्याके संतानवती होनेपर पितृगृहसे छिपाना । अ० क्रि० लुप्त होना; छिपना । भेजा जानेवाला मांगलिक उपहार जिसमें सोंठ, गुड़ आदि लोपांजन-पु० [सं०] एक अंजन जिसे लगानेवाला अश्य चीजें रहती हैं।
__ हो जाता है। लोट-स्त्री० लुढ़कना, लोटनेकी क्रिया । पु० घाट; *बिवली। लोबान-[अ०] एक वृक्षका निर्यास जिसे सुगंधके लिए -पोट-स्त्री० आराम करना, लेटना । वि० हँसीके प्रवेगसे आगपर जलाते हैं और दवाके भी काममें लाते हैं। अधीर । मु०-पोट होना-अधिक हँसनेके कारण गिर | लोबानी-वि० [अ०] जिसमें लोबान हो या जिससे पड़ना । -लगाना-लुढ़कना; लेट जाना; किसी चीजपर | लोबान निकले लोबान जैसा, सफेद ।। आशिक होना; जिद करना। -हो जाना-होना- लोबिया-पु० बोड़ेका एक भेद जिसकी तरकारी बनाते हैं रीझना; व्याकुल होना।
| और बीजोंसे दाल और दालमोठ तैयार करते हैं । लोटन-पु. भूमिपर लुढ़कनेवाला एक कबूतर; गहरी लोभ-पु०[सं०] दूसरेकी कोई वस्तु लेनेकी इच्छा, लालच; जोताई करनेका एक हल; रास्तेपरका कंकड़। -सज्जी- लालसा, आकांक्षा अधीरता कंजुसी। स्त्री० एक तरहकी सज्जी।
लोभना*-अ० क्रि० आसक्त, लुब्ध होना। स० क्रि० लोटना-अ०क्रि० नीचे-ऊपर होते हुए जाना, लुढ़कना| लुभाना, मुग्ध करना। करवटें बदलना, छटपटाना; आराम करना, लेटना। लोभनीय-वि० [सं०] लुभानेवाला, मनोहर, आकर्षक। --पोटना-अ० क्रि० लेटना, सोना। मु० लोट जाना- लोभाना*-स० क्रि० मोहना, मुग्ध करना । अ० क्रि० लुढ़कना; संज्ञाहीन होना या मर जाना । लोटता मोहित, मुग्ध होना। फिरना-तड़पता फिरना, व्याकुल होना । लोट-पोटकर लोभार*-वि० लुभाने, मुग्ध करनेवाला । उठ खड़ा होना-बीमार होकर अच्छा हो जाना। लोभित-वि० [सं०] मुग्ध, लुब्ध । लोटपटा*-पु० विवाह में वर-वधूका पीढ़ा बदलनेकी रीति | लोभी(भिन)-वि० [सं०] किसी वस्तुका लोभ रखनेउलट-फेर ।
वाला, लालची; लुब्ध । लोटा-पु० जल रखनेका धातुका एक छोटा पात्र । लोम(न)-पु० [सं०] शरीरपरके बाल, रोम; "छ,
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