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लरकी-लेखा
७१० लुरकी-स्त्री० कानका झुमका, कानकी बाली।
लूमना*-अ० क्रि० झूलना, लटकना । लुरना*-अ० क्रि० लटकना, झूलना; झुक पड़ना; हिलना- | लूरना*-अ० कि० दे० 'लुरना'। डोलना; एक बारगी आ जाना; मुग्ध, आकृष्ट होना। लूला-वि० बिना हाथका; बेकाम; असहाय । लुरियाना*-अ० क्रि० एकाएक आ आना; प्रवृत्त होना; लूही-स्त्री० लू । प्रेमपूर्वक स्पर्श करना, लपटना-झपटना-'बाघनके लेरुवा लूहर*-स्त्री० लू; पु० लूका, लूघर । लरत लुरियात हैं'-रत्ना० ।
लड़-पु० बधा हुआ मल जी बत्तीके रूप में निकलता है। लुरी-स्त्री० हालकी ब्यायी गाय ।
लैंडी-स्त्री० बकरी आदिका गोल बैंधा हुआ मल । लुलना*-अ० क्रि० लहराना, लटकते हुए झूलना। | लेहड़ा-पु० (चौपायोंका) समूह, झुंड । लुलित-वि० [सं०] लटकता, झूलता हुआ; अशांत; बिखरा | ले हड़ी-स्त्री० (भेड़ों, बकरियों आदिका) झुंड । हुआ। -कुंडल-वि०जिसके कुंडल हिलते हों। लेई-स्त्री० लपसी चिपकानेके कामके लिए घोलकर पकाया लुवार*-स्त्री० गरम और तपी हुई हवा, लू ।
हुआ आटा; ईंटोंकी जोड़ाई के लिए गाढ़ा घोला हुआ लहना*-अ० क्रि० मोहित होना; ललचना ।
सुरखी मिश्रित बरीका चूना ।-पूजी-स्त्री० सारी जमा। लुहार-पु० लोहेका काम करनेवाला लोहेका काम करने- लेख-* वि० लिखने या लेखा करने योग्य । * स्त्री० पक्की वाली एक जाति । [स्त्री० 'लुहारिन'।]
बात; रेखा । पु० [सं०] पंक्ति लिपि; लिखावट; लिखी लुहारी-स्त्री० लोहेका काम; लुहारकी स्त्री।
बात, लिखकर प्रकट किये गये विचार पत्र लेखा, लूंबरी*-स्त्री० लोमड़ी।
हिसाब-किताब । -पद्धति,-प्रणाली-स्त्री० लिखनेकी लू-स्त्री० तपी हुई वायु या उसका झोंका । मु०-मारना, शैली। -पाल-पु० दे० 'पटवारी'। -हार,-हारक
-लगना-तप्त हवा लगनेसे ज्वर आदिका हो जाना। | पु० पत्रवाहक । -हारी (रिन)-वि० पत्र ले जानेवाला। लूक-पु. टूटा हुआ तारा, उल्का; आगकी लपट, ज्वाला; लेखक-पु० [सं०] लिपिकार; लिखनेवाला, कुर्क; चित्रजलती लकड़ी (जिसका कोई छोर जल रहा हो)-'यक कार; ग्रंथ रचयिता; पत्रादिके लिए लेख लिखनेवाला। लूक लीन्हों बार'-रघु। स्त्री० गरमीकी तपी हुई हवा,लू । -प्रमाद-पु० लिपिकारकी भूल । लूकट*-पु० आग; लुआठी।
लेखन-पु० [सं०] लिखनेका काम; लिखनेकी कला लूकना*-स० कि० आग लगाना, जलाना। अ० क्रि० चित्रकारी कूतना, लेखा लगाना। -सामनी-स्त्री. छिपना।
(स्टेशनरी) कागज, कलम, स्याही आदि सामग्री जो लूका-पु० आगकी लपट चिनगारी; लकड़ी जिसका सिरा लिखनेका कार्य करते समय आवश्यक हो । जलता हो। मु०-लगाना-आग लगाना, जलाना । लेखनहार-वि० लिखनेवाला, लेखक । (मुहमे)-लगाना-मुँह जलाना, तिरस्कार करना। | लेखना*-स०नि० लिखना चित्र बनाना हिसाब लगाना लूखा*-वि० दे० 'रूखा'।
सोचना, समझना । मु०-जोखना-अंदाज लगाना; लूगड़-पु० कपड़ा; चादर, ओढ़नी।
कूतना, जाँच करना।। लूगा-पु० वस्त्र धोती।
लेखनिका-स्त्री० [सं०] तूलिका। लूघर*-पु० लुआठ, जलती हुई लकड़ी।
लेखनी-स्त्री० [सं०] लिखने, अक्षर बनानेका साधन, लूट-स्त्री० लूटनेकी क्रिया, डकैती; अपहृत, लूटा हुआ कलम । -कर्मरोधन-पु. (पेनडाउन स्ट्राइक ) किसी माल । -क*-पु० लुटेरा, डाकू; मुंदरतामें बढ़नेवाला। कार्यालयके कर्मचारियोंका अधिकारियोंके किसी आदेश, -खसोट--स्त्री० लूटमार; आर्थिक शोषण । -खूद,- व्यवहारादिका विरोध करने के लिए लिखने-पढ़नेका काम पाट,-मार-स्त्री० लोगोंको शारीरिक यंत्रणा देकर उनका स्थगित कर अपने स्थानपर चुपचाप बैठ रहना । -जिह्वा धन छीनना।
-स्त्री० (निब) अंग्रेजी ढंगकी कलमोंके सिरेपर खोंसी जानेलूटना-स० क्रि० जबरदस्ती छीनना; बरबाद, तबाह | वाली लोहे, ताँबे आदिकी बनी वह नोकदार वस्तु जिससे करना; धोखे, अन्याय, अनुचित ढंगसे किसीका धन ले | लिखा जाता है । मु०-उठाना-लिखना शुरू करना। लेना उचितसे अधिक दाम लेना, ठगना, वशीभूत करना। | लेखनीय-वि० [सं०] लिखने योग्य । लूटि*-स्त्री० दे० 'लूट' ।
लेखा-स्त्री० [सं०] रेखा; चित्रण; लिपि; चिह्नः किनारा लूत-* स्त्री० मकड़ी। वि० [सं०] खंडित, विभक्त। शरीरपर चंदनादिसे रेखाएँ बनाना । लूता-स्त्री० [सं०] मकड़ी; फफोले जैसी फुसियाँ (कहा लेखा-पु० हिसाब; आय व्ययका ब्योरा; अंदाज; गणना; जाता है, ये मकड़ीके मूतनेसे होती हैं); चींटी ।
विचार । -कर्म-पु० (अकाउंटेंसी) हिसाब-किताब रखनेलूतामय-पु० [सं०] मकड़ी नामक रोग।
का कार्य, मुनीमी । -छलयोजन-पु. (मैनिपुलेशन लूती-स्त्री० लुआठी । मु०-लंगाना-झगड़ा लगाना। ऑफ अकाउंट्स) हिसाब तैयार करने में चालबाजी करना। टूनना*-स० कि० (फसल) काटना।
-पत्तर-पु०,-बही-स्त्री० हिसाब-किताबका कागज; लूम-पु. एक राग (सभी शुद्ध स्वरोंका), मेघ रागका रोकड़वही। -परीक्षक-पु. ( ऑडिटर ) आय-व्ययकी पुत्र; [सं०] पूँछ, लांगुल; चक्कर, फेरा। -विष-पु० जाँच-पड़ताल करनेवाला । -परीक्षण-पु. (ऑडिट) पूँछसे डंक मारनेवाला जीव (बिच्छु आदि)।
हिसाबकी जाँच-पड़ताल |-पाल-पु० (अकाउंटेंट) हिसाब लूमड़ी -स्त्री० लोमड़ी।
(लेखा) रखने या लिखनेवाला, जो लेखा रखने में चतुर
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