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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ६९३ रोनी-रौशन आना-दिल भर आना, अफसोस होना। -पड़ना- रोला-पु० शोरगुल, कोलाहल; घोर युद्ध; एक छंद । मातम होना, कुहराम मचना । -पीटना-चिल्लाकर, रोली-स्त्री० हलदी-चूनेकी बनी लाल बुकनी, श्री। छाती पीटकर रोना। रोवनहार*-वि०, पु० रोनेवाला; मृत्युका शोक करनेरोनी-धोनी-वि० रोनेधोनेवाली, मुहर्रमी। स्त्री० रुदन, । वाला। विलापकी प्रवृत्ति; मनहूसी। रोवना-वि०, पु० बहुत जल्दी रोनेवाला,बुरा माननेवाला; रोपक-वि० [सं०] जमाने, लगाने, स्थापित करनेवाला । चिढ़नेवाला खेल, हँसीमें बुरा माननेबाला । * अ.क्रि. रोपण-पु० [सं०] लगाना, बैठाना (पीज, पौधा); स्थापित | रोना। करना; ऊपर रखना; खड़ा करना, उठाना। रोवनिहारा*-वि०, पु० दे० 'रोवनहार'। रोपना-स० क्रि० लगाना, जमाना; एक जगहसे दूसरी रोवनी-धोवनी-स्त्री० दे० रोनी-धोनी' । जगह गाड़ना; स्थापित करना, रखना ठहराना, टिकाना; रोवा-पु० दे० 'रोयाँ'। बीज बोना; रखना; पसारना । रोवासा-वि० रोनेको तैयार, रोनेका इच्छुक । रोपनी-स्त्री० रोपाई, रोपनेका काम । रोशन-वि० [फा०] जलता हुआ; प्रकाशित; प्रकाशपूर्ण, रोपित-वि० [सं०] जमाया, लगाया हुआ; उठाया, खड़ा चमकदार; प्रसिद्ध, प्रख्यात, मशहूर प्रकट । -चौकीकिया हुआ; रखा हुआ, स्थापित भ्रांत । स्त्री० एक किस्मके बाजेवालोंकी चौकी, शहनाई, नफीरी। रोब-पु० [अ० 'रुआब'] धाक, दबदबा तेज, प्रताप; -ज़मीर,-दिमाग़-वि० अकलमंद, सुबुद्ध । -दान आतंक।-दाब-पु० तेज; आतंक ।-दार-वि० तेजस्वी | पु० मोखा, झरोखा। प्रभावशाली । मु०-मैं आना-धाक, प्रभाव मानना। रोशनाई-स्त्री० [फा०] स्याही, मसि, प्रकाश, रोशनी । रोमंथ-पु० [सं०] जुगाली, पागुर । रोशनी-स्त्री० [फा०] प्रकाश, उजाला; चिराग, दिया रोम(न)-पु० [सं०] रोयाँ, रोंगटा, शरीरपरके बाल, दीपमालाका प्रकाश, दीपोत्सव; ज्ञान, शिक्षाका प्रकाश । पर । -कूप,-द्वार-पु० त्वचाके के छोटे-छोटे छेद जिनसे रोष-पु० [सं०] क्रोध; विद्वेष, चिढ़ लड़नेका जोश। रोथें निकलते हैं। -राजी,-लता-स्त्री० रोमावली, | रोस-पु० दे० 'रोष' । स्त्री० दे० 'रोस'। रोमोंकी श्रेणीनाभिसे ऊपरके बाल । -हर्ष-पु० रोयें, | रोसनाई-स्त्री० दे० 'रोशनाई। रोंगटे खड़े होना, रोमांच । -हर्षण-पु० रोंयोंका खड़ा रोसनी-स्त्री० दे० 'रोशनी' । होना (हर्ष, शोक, भय आदिके कारण)। वि० रोंगटे खड़े रोह-पु० [सं०] चढ़ाई; चढ़ना; अंकुर + नील गाय । करनेवाला,भयंकर, भीषण । मु०-रोममे"-सारे शरीरमें, | रोहक-पु० [सं०] चढ़नेवाला; सवार । अंग-अंगमें । -रोमसे-पूर्ण हृदयसे, तन-मनसे । । रोहण-पु० [सं०] चढ़ना; उगना; ऊपरकी ओर बढ़ना । रोमांच-पु० [सं०] रोयोंका उभरना, खड़ा होना (आनंद, रोहना-अ० क्रि० चढ़ना ऊपरको बढ़ना; सवार होना। भय आदिसे), पुलक । | स० कि० चढ़ाना धारण करना; सवार कराना। रोमांचित-वि० [सं०] पुलकित, हृष्टरोमा, जिसके रोयें | रोहिणी-स्त्री० [सं०] गायबिजली; नववर्षीया कन्या खड़े हों। बसुदेवकी स्त्री, बलरामकी माता; सत्ताईस नक्षत्रोंमेंसे रोमाग्र-पु० [सं०] रोयेंका सिरा, नोक । चौथा । -पति,-वल्लभ-पु० चंद्रमा वसुदेव । रोमानी-वि० जिसमें मुख्य रूपसे शारीरिक प्रेमका रोहिणीश-पु० [सं०] चंद्रमा; वसुदेव । वर्णन हो। रोहित-वि० [सं०] लाल रंगका, लोहित । पु० लाल रंग रोमाली, रोमावलि, रोमावली-स्त्री० [सं०] रोमोंकी रक्त, खून; इंद्रधनुष , केसर कुंकुम । पंक्ति नाभिसे ऊपरकी ओर जानेवाली रोमपंक्ति । रोहिनी*-स्त्री० दे० 'रोहिणी' । रोमिल-वि० रोमयुक्त, रोयेंवाला (गुलाब) । रोही(हिन)-वि० [सं०] चढ़नेवाला । पु० वट वृक्ष; एक रोयाँ-पु० लोम, रोम, रोंगटा । मु०-खड़ा होना-रोमांच | मृग रोहू मछली; * एक अस्त्र । होना ।-टेढ़ा न होना-कुछ न बिगड़ पाना । रोह-पु०,स्त्री० एक मछली जो बहुत अच्छी मानी जाती है। रोर-स्त्री० रौला, कोलाहल, हल्ला; बहुतसे लोगोंकी एक रौंट-स्त्री० खेल-हँसीमें बुरा मानना; बेईमानी करना। साथ निकली हुई समवेत ध्वनि; रोने-चिल्लानेका शब्द; रौंद-स्त्री. रौंदनेका भाव या काम; चक्कर, गश्त, 'राउंड' हलचल, धूमधाम; उपद्रव; निर्धनता, गरीबी-'रोरके (सिपाही)।मु०-पर जाना-गश्तके लिए निकलना। जोरते सोर घरनी कियो...'-सू०; विपत्ति । वि० दर्द- रौंदन-स्त्री० रौंदनेकी क्रिया या भाव, मर्दन । मनीय, प्रचंड; उद्धत; दुष्ट, अत्याचारी । रौंदना-स. क्रि० पैरोंसे कुचलना, पददलित करना; बररोरा-पु० गाँजेका चूर; दे० 'रोर'। बाद, तहस-नहस करना; लातोंसे मारना-पीटना। रोरी -स्त्री० हलदी-चूनेकी बनी लाल रंगकी बुकनी,रोली रौंस-पु० घट्ठा, निशान-'रामहिं राम पुकारतो जिभ्या (इसका तिलक लगाते है); *धूम, चहल-पहल, कोलाहल __ परिगो रौंस-बीजक । -'रोरि परी गोकुलमें जहँ तह गाइ फिरत पय दोहनको' | री-* पु०दे० रव' । स्त्री० [फा०] चाल, गति; वेग पानीका -सू० । वि० स्त्री० रुचिर, सुंदर। बहाव, तोड़, रेला; ढंग, चाल; धुन, खयाल; जोश । रोल-पु० पानीका रेला, तोड़, बहाव; रुखानी जैसा एक रौक्ष्य-पु० [सं०] रूखापन, रुखाई । औजार । स्त्री० हल्ला, कोलाहल; शब्द, ध्वनि । रोगन-पु० [अ०] चिकनी चीज, तेल, घी आदि; लाख For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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