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मुरदार-मुलहा 'मुरदासंग'। -संग-पु० सीसा और सेंदुरका मिश्रण यो मुकुतन दुति पाइ'-बि० दे० 'मुँडासा' । जो दवाके काम आता है।-सन-पु० दे० 'मुरदासंग'। | मुरीद-पु० [अ०] चेला, शिष्य; अनुगमन करनेवाला । मु०-उठना-जनाजा उठना; मरना (शाप-उसका मुरीदी-स्त्री० [अ०] शिष्यत्व, शागिदी। मुरदा उठे) । -उठाना-मुरदेको दाह या दफन करने- मुरु*-पु० दे० 'मुर'। -सुत-पु० वत्सासुर । के लिए ले जाना । (किसीका)-निकले-मर जाय, मुरुआ-पु० पैरका गट्ठा। जनाजा उठे (शाप)।-(दे)की कब (गोर) पहचानना- मुरुख-वि० दे० 'मूर्ख' । दूसरेकी चालाकी, छल-छमको अच्छी तरह समझना मुरुखाई*-स्त्री० मूर्खता। अति चतुर होना। -की नींद सोना-बेखबर होकर मुरुझना*-अ० कि० दे० 'मुरझाना। सोना, खुर्राटे भरना।
मुरेठा-पु० साफा। मुरदार-वि० [फा०] मरा हुआ; बेजान; अपवित्र, नापाक। मुरेर-स्त्री० दे० 'मरोड़। पु० लाश; अपनी मौत मरा हुआ जानवर । -खोर- मुरेरना*-स० क्रि० दे० 'मरोड़ना' । पु० मरे हुए जानवरका मांस खानेवाला। -माल-पु० | मुरेरा-पु० दे० 'मुँडेर'; दे० 'मरोड़' । हराम माल।
| मरौवत-स्त्री० [अ०] उदारता सौजन्य; दूसरोंका लिहाज%B मुरधर*-पु० मरुस्थल, मारवाड़।
मुलाइजा। मुरना*-अ० क्रि० दे० "मुड़ना।
मुरोवती-वि० मुरौवतवाला। मुरब्बा-पु० [अ०] फलोंका पाक जो उन्हें उबालकर और मुर्ग-पु० [अ०] चिड़िया; भुरगा। -बाज़-पु० मुरगे चाशनी में डालकर तैयार किया जाय । -फरोश-पु. लड़ानेवाला । -बाज़ी-स्त्री० मुरगे लड़ाना। मुरब्बे बेचनेवाला।
| मुर्गाबी-स्त्री० [फा०] एक जल-पक्षी जो मुरगीके बराबर मुरब्बा(ब्बअ)-पु० [अ०] चतुष्कोण क्षेत्र जिसके चारों होता है, जलकुक्कुट ।
भुज बराबर और कोण समकोण हों । वि० वर्ग, वर्गीकृत।। मुर्दनी-स्त्री० [फा०] मृत्युके चिह्न जो चेहरेसे प्रकट हों; मुरमुरा-पु० भुने मक्केकी टुरी; भुने हुए चावल, लाई भारी भय या गहरी चिंताकी छाया (-छाना)।
आदि। -(रों)का थैला-मोटा-ताजा आदमी। मुर्दा-वि०, पु० [फा०] दे० 'मुरदा'। मुररिया-स्त्री० मुरीं, ऐंठन ।।
मुर्रा-पु० मरोड़फली; मरोड़, फरवी। स्त्री० भैसोंकी एक मुरला-स्त्री० [सं०] नर्मदा नदी; मुरली ।
जाति जो अधिक दुधार होती है । मुरलिका-स्त्री० [सं०] मुरली।
मरी-स्त्री. ऐंठन, धागों आदिके दो सिरोंको जोड़ने के मुरलिया*-स्त्री० भरली ।
लिए बट देना; धोतीको लपेटकर कमरपर डाला हुआ मुरली-स्त्री० [सं०] चंशा, बाँसुरी। -धर-पु. मुरली बल; कपड़ेकी धज्जी आदिको बटकर वनायी हुई बत्ती।
धारण करनेवाले, कृष्ण । -मनोहर-पु. कृष्ण । -दार-वि० गाँठदार; ऐंठनदार । मुरवा -पु० पेरका गट्टा, मोर ।
मुर्वी-स्त्री० [सं०] धनुष्की डोरी । मुरवी-स्त्री० धनुषकी डारी ।
मुलक-पु० दे० 'मुल्क' । मरशिद-पु० [अ०] सीधी राह (सन्मार्ग) दिखानेवाला; मुलकना*-अ० क्रि० पुलकित होना; भंद-मंद हँसना, गुरु, पीर ।
मुस्कराना। मुरहाँ-पु० सिर ।
मुलकित*-वि० जो मंद-मंद हँस रहा हो। मुरहा-वि० मूल नक्षत्र में जनमा हुआ (बालक); नटखट; मुलज़म, मुलज़िम-वि० [अ०] जिसपर कोई इलजाम, शैतान । पु० दे० 'भुर' में।
दोष लगाया गया हो। पु० वह व्यक्ति जिसपर किसी मुराड़ा*-पु० लुआठी-'हम घर जाल्या आपना लिया जुर्मका इलजाम लगाया जाय, अभियुक्त । मुराडा हाथ'-कबीर ।
मुलतवी-वि० [अ०] दे० 'मुल्तवी' । मुराद-स्त्री० [अ०] भतलब, अभीष्ट; कामना, मनोरथ । मुलतानी-वि० मुलतानका । पु० मुलतानका रहनेवाला। मु०-पाना-बर आना-कामना पूरी होना, मनोरथ | स्त्री० एक रागिनी। -मिट्टी-स्त्री० एक तरहकी चिकनी सिद्ध होना । -(दी)के दिन-युवावस्था ।
मिट्टी जो सिर मलने, रँगाईमें अस्तर देने आदिके काम मुरादी-वि० [अ०] मुराद रखनेवाला, जिसकी कोई आती है। कामना हो।
मुलना*-पु० दे० 'मुल्लाना' । मुराना-स० क्रि० चुभलाना; चबाना दे० 'मोड़ना'। । मुलमची-पु० मुलम्मा करनेवाला। मुराफा-पु० [अ०] ऊँची अदालतमें पुनर्विचारकी प्रार्थना, मुलम्मा-वि० [अ०] चमकाया हुआ; चाँदी या सोनेका अपील ।
पानी चढ़ाया हुआ। पु० चाँदी, सोनेका पानी जो दूसरी मुरार-पु० कमलकी जड़ जिसकी तरकारी बनती है, धातुपर चढ़ाया जाय; गिलट; कलई; मुलम्मेका काम; भसींडा दे० 'मुरारि'।
दिखावा, टीमटाम । -गर,-साज़-पु० मुलम्मा करनेमुरारि-पु० [सं०] (मुर दैत्यको मारनेवाले) कृष्ण; विष्णु । मुरायठा-पु० मुरेठा, पगड़ी (ग्राम०) ।
मुलहठी-स्त्री० दे० 'मुलेठी'। मुरासा*-पु० तरकी, कर्णफूल-'लसै मुरासा तिय स्रवन मुलहा*-वि० 'मुरहा', शैतान; मूल नक्षत्र में उत्पन्न ।
वाला।
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