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मुद्राध्यक्ष-मुरदा मुद्राध्यक्ष-पु० [सं०] अन्य राज्यमें जानेका परवाना मुबाहसा-पु० [अ०] बहस, वाद; वाद-विवाद करना। (पासपोर्ट) देनेवाला अधिकारी (हि. का०)। मुब्तला-वि० [अ०] पकड़ा हुआ फँसा हुआ, लगा हुआ। मुद्रिक*-स्त्री० दे० 'मुद्रिका' ।
-ए-बला-वि० मुसीबत में फँसा हुआ, विपद्ग्रस्त । मुद्रिका-स्त्री० [सं०] मुहर; नाम खुदी हुई अँगूठी; अँगूठी। मुमकिन-वि० [अ०] जो हो सके, होनेवाला, संभाव्य । मुद्रित-वि० [सं०] मुहर किया हुआ; छापा हुआ; मुँदा मुमानित, मुमानियत-स्त्री० [अ०] रोक,निषेध,मनाही। हुआ, बंद; बिनखिला।
मुमुक्षा-स्त्री० [सं०] मोक्षकी कामना । मुधा-अ० [सं०] व्यर्थ, बेफायदा । * पु० झूठ । मुमुक्षु-वि० [सं०] मोक्षका अभिलाषी। मुनक्का-पु० [अ०] सुखाया हुरा अंभूर, द्राक्षा।
मुमूर्षा-स्त्री० [सं०] भरनेकी इच्छा । मुनहसर-वि० दे० 'मुनहसिर'।
मुमूर्षु-वि० [सं०] जो मर रहा हो, आसन्न-मरण; मुनहसिर-वि० [अ०] धरा हुआ; अवलंबित; आश्रित । मरणका इच्छुक । मुनादी-पु० [अ०] पुकारनेवाला; ढिंढोरा पीटनेवाला। मयस्सर-वि० [अ०] आसानीसे मिलनेवाला; उपलब्ध
स्त्री० ढिंढोरा, ढोल पीटकर किसी बातकी घोषणा करना। प्रस्तुत । मुनाफ़ा-पु० [अ०] नफा, लाभ ( शुद्ध 'मनाफा' )। मुरंडा, मुरंदा-पु० भूने गेहूँ का लड्डू लडडू (प०) । मुनार, मुनारा-पु० दे० 'मनार'-'मुल्ला मुनारे क्या मुर-पु० [सं०] एक दैत्य जो विष्णुके हाथों मारा गया; चढहि साई न बहरा होइ'-कबीर ।
| बेठन । -जित्,-दर-रिपु-पु० मुरारि, कृष्ण । मुनासिब-स्त्री० [अ०] वाजिब, ठीक, उचित ।
-हा (हन्),-हारी (रिन्)-पु० विष्णुः कृष्ण । मनि-वि० [सं०] मननशील । पु० मौनव्रती, वाक्संयमी, मई-स्त्री० दे० 'मली। ऋषि; तपस्वी; जिन; बुद्धः सातकी संख्या ।-कुमार-पु० | मुरक-स्त्री० मुरकनेकी क्रिया या भाव । अल्पवयस्क मुनि ।-भक्त-भोजन-पुतिन्नीका चावल । | मुरकना-अ० क्रि० मुड़ना; मोच खाना; लौटना; * हिचमुनियाँ-स्त्री० लाल पक्षीकी मादा।
कना; नष्ट होना। मुनींद्र-पु० [सं०] मुनिश्रेष्ठ; बुद्धदेव ।
मुरकाना-स० कि० मुरकनेका कारण होना; मोड़ना; मुनी-पु० दे० 'मुनि'।
फेरना; नष्ट करना। मनीम-पु० हिसाब-किताब रखनेवाला कर्मचारी।
मरकी-स्त्री० कानमें पहननेकी छोटीसी बाली। मुनीमी-स्त्री० हिसाब-किताब रखनेका काम ।
मुरखाई*-स्त्री० मूर्खता। मुनीश, मुनीश्वर-पु० [सं०] मुनिश्रष्ठ; बुद्धदेवः विष्णु। मुरगा-पु० एक पालतू पक्षी जिसके नरके सिर पर कलगी मुन्ना, मुन्नू-पु० छोटे बच्चोंका प्यारका संबोधन । होती है, नर मुरगी, मुर्ग। मु०-बनाना-किसीको मुन्यन्न-पु० [सं०] तिन्नीका चावल ।
उकड़ बैठाकर और घुटनोंके बीचसे दोनों हाथ निकलवामुफलिस-वि० [अ०] गरीब, कंगाल, निर्धन ।
कर कान पकड़वाना, यंत्रणादंडका एक प्रकार । मुफलिसी-स्त्री० [अ०] गरीबी, निर्धनता।
मुरगाबी-स्त्री० [फा०] मुर्गाबी, एक जलपक्षी जो कदमें मुफसिद-पु० [अ०] फसाद करनेवाला; झगड़ालू झगड़ा| मुरगीके बराबर होता है, जलकुक्कुट ।। लगानेवाला।
मुरगी-स्त्री० मादा मुरगा, कुक्कुटी। -का-मुरगीका मुफस्सल-वि० [अ०] तफसीलवार, विस्तृत । अ० खोल- |
जना ( गाली)। -का गू-निकम्मी चीज । -वालाकर, ब्योरेवार । पु० केंद्रस्थ नगरके इर्द-गिर्दके स्थान ।।
पु० मुरगियाँ बेचनेवाला । वि० मुरगीका जना । मु०मुफ्रीद-वि० [अ०] फायदा करने, देनेवाला, लाभकारी। बिठाना-मरगीको अंडेपर बिठाना । मत-वि० [अ०] बिना दामका, सेंतमें मिला हुआ। अ०
मामला हुआ। अ० मुरचंग-पु० दे० 'मुँहचंग। बिनदामों। -खोर-वि०बिना मेहनत किये, दूसरेकी
मुरचा-पु० दे० 'मोरचा' । कमाई खानेवाला। -खोरा-वि० दे० 'मुफ़्तखोर'।
मुरछना*-अ० क्रि० मूच्छित होना । -का-विना दिये प्राप्त, सेंतका; व्यर्थका; बेफायदा। मरछल-पु० दे० 'मोरछल' । -में-बिनदामों; व्यर्थ, बेकार ।
मुरछा-स्त्री० दे० 'मूर्छा'। -वंत-वि० 'मूच्छित'। मुफ्ती-पु० [अ०] फतवा देनेवाला; इसलामी कानूनके मुरछाना-अ० क्रि० मूच्छित होना । अनुसार दंडाज्ञा करनेवाला, शरहे हाकिम ।
मुरछित-वि० दे० 'मूच्छित' । मुबलग़, मुबलि-वि० [अ०] कुल; थोड़ासा; परखा
मुरज-पु० [सं०] पखावज, मृदंग । हुआ। पु० मात्रा; रकम, रुपयेकी संख्या (मुबलिग |
मुरझना-अ० क्रि० कुम्हलाना । पाँच रुपये)।
मुरझाना-अ० क्रि० फूल-पत्तोंका सूखने लगना, कुम्हमुबारक-वि० [अ०] जिसमें बरकत दी गयी हो; बरकतका लाना; चेहरेसे शुष्कता, उदासी आदि प्रकट होना । हेतु; सौभाग्यशाली; शुभ; भला। स्त्री० खुशखबरी। मुरदा-वि० [फा०] मरा हुआ, मृत; मृतवत् बेजान, अति -बाद-स्त्री० बधाई, शुभकामना; मुबारक हो, खुदा । दुर्बल; सूखा, मुरझाया हुआ; मारा हुआ (धातु), कुश्ता। बरकत दे, बधाई । -बादी-स्त्री० दे० 'मुबारकबाद'; पु० मृतक, शव, लाश। -खोर-वि० मुरदा खानेवाला। बधाईके गीत।
-दिल-वि० जिसकी तबीयत मरी हुई हो, निरुत्साह । मुबारकी-स्त्री० [अ०] मुबारकबादी, बधाई ।
-दिली-स्त्री० मुरदादिल होना। -संख-पु० दे०
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