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महोला * - पु० बहाना, छल । महौघ - वि० [सं०] जिसकी धारा प्रखर हो । महौजा (जस) - वि० [सं०] अति ओज, तेजवाला, परम तेजस्वी ।
माँ - स्त्री० माता, जननी । - जाया - पु० सगा भाई वि० [मातृ-पितृतुल्य ( सरकार) । माँख * - ५० दे० 'माख' । माँखना * - अ० क्रि० क्रोध करना, नाराज होना । माँग- स्त्री० वालोंको सँवारकर बनायी हुई रेखा । -चोटी - स्त्री० माँग-पट्टी, बनाब सिंगार - टीका - पु० माथेपर पहनने का एक गहना । - फूल - पु० दे० 'माँगटीका' । मु० - उजड़ना- विधवा होना ।
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माँग - स्त्री० माँगनेकी क्रिया, भाव; याचना; चाह; तलब; अधिकाररूप में की हुई याचना (आ० ) । -जाँचकर, ताँगकर - अ० इधर-उधर से लेकर ।
माँगन * - पु० माँगना, माँग; दे० 'मंगन' | माँगना - स० क्रि० याचना करना, कुछ देनेकी प्रार्थना करना; चाहना; प्रार्थना करना; बुला मँगाना - 'चौं आजु मांगों घरि केसा' - प० । * पु० भिक्षुक । मांगलिक - वि० [सं०] मंगलजनक, मंगलसूचक | [स्त्री० मांगलिकी ।] पु० नाटकमें मंगलपाठ करनेवाला पात्र | मांगल्य - वि० [सं०] मंगलकारी । पु० मंगलका भाव, मांगलिकता
- जाई - स्त्री० सगी बहन । - बाप-पु० माता-पिता ।
माँचना* - अ० क्रि० फैलना, प्रसिद्ध होना - 'कीरति जासु
सकल जग माँची' - रामा०; शुरू होना ।
माँजना - स० क्रि० रगड़कर साफ करना; रगड़कर चमकाना; माँझा देना । अ० क्रि० मश्क करना । माँजा - पु० पहली वर्षाका फेन ।
मांजिष्ठ- वि० [सं०] मजीठके रंगका, लाल । पु० लाल रंग । माँझ * - अ० मध्य, भीतर ।
माँझा - पु० पतंग की डोरपर, उसे कड़ा और मजबूत करने - के लिए, मला जानेवाला मसाला; हलदी चढ़ाने के बाद वर-कन्याको पहनाये जानेवाले पीले कपड़े; नदीकी धाराके बीच छोटा टापू । मु० - ढीला होना - कमजोरी मालूम होना । - (झे ) का जोड़ा - हलदीकी रस्म के बाद वरकन्याको पहनाये जानेवाले कपड़े । - बैठना - वर-कन्याका ब्याह के दो-तीन दिन पूर्व पीले कपड़े पहनकर एकांत वास करने लगना ।
माँझिल * - वि० दे० 'मँझला' ।
माँझी- पु० नाव खेनेवाला, मल्लाह; * मध्यस्थ । माँट - पु० मटका |
माँठ- पु० मटका; नील घोलनेका मटका; बड़ी मठली । माँड़ - पु० पकाये हुए चावलका पानी, मंड, पसाव । माँड़ना - स० क्रि० रौंदना; मसलना; गूंधना; अनाजकी बालोंको कुचलवाकर दाने निकालना;* लगाना, पोतना; सजाना; पूजा या सेवा करना; ठानना, शुरू करना - 'हौं तुमसे फिर युद्धहिं माँडौं' - राम० ।
मांडलिक - पु० [सं०] मंडलका राजा, मंडलाधीश । माँडव* - पु० मंडप |
४०-क्र
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महोला-माई
मांडवी - स्त्री० [सं०] कुशध्वजकी कन्या जो भरतको ब्याही गयी ।
माँड़ा - पु० आँखका एक रोग; उसपर पड़नेवाला सफेद जाला; लुन्नुई, एक तरहका पराठा; मंडप
माँड़ी - स्त्री० मॉड कपड़े या सूतपर दिया जानेवाला कलफ । माडी * - पु० मंडप; विवाहमंडप । माँड्यो * - पु० मंडप, अतिथिशाला ।
माँत * - वि०मत्त, उन्मत्त; फीका, माँद; मात, हारा हुआ । माँतना * - अ० क्रि० मत्त, उन्मत्त होना । माँता * - वि० मत्त, मतवाला ।
मांत्रिक- वि० [सं०] मंत्र संबंधी । पु० मंत्रवेत्ता, वेदमंत्रोंका पाठ करनेमें कुशल; जंतर-मंतर जानने, करनेवाला । माँथ + - पु० दे० 'माथा' - बंधन-पु० सिरके बाल बाँधनेकी डोरी; सिरपर लपेटनेका कपड़ा | मांथर्य - पु० [सं०] मंथरत्व, धीमापन; सुस्ती । माँद-स्त्री० खूँखार जानवरोंके रहनेकी जगह, गुफा । वि० फीका, बेआव, धूमिल । मु०-पड़ना - फीका पड़ना, बेआब होना ।
माँदगी - स्त्री० [फा०] रोग; थकावट ।
माँदा - वि० [फा०] बीमार; थका हुआ; बचा हुआ, छूटा हुआ (बाकी माँदा ) |
मांद्य - पु० [सं०] मंदता; दुर्बलता । माँपना - अ०क्रि० मतवाला होना, नशेसे प्रभावित होना । मांस-पु० [सं०] प्राणियोंके शरीरका मुलायम, चिकना, रक्त वर्णका वह अंश जो हड्डी, चमड़े, नस आदिसे भिन्न होता है, आमिप, गोइत; मछलीका मांस; फलका गुदारा भाग। - ग्रंथि - स्त्री० मांसकी गाँठ जो शरीर में यत्रतत्र निकल आती है। -ज-पु० चरबी । -प-पु० पिशाच, दैत्य । - पिंड - पु० शरीर। - पेशी - स्त्री० शरीरके भीतर एक दूसरेसे जुड़े हुए मांसपिंड, ८वें दिनसे १४वें दिनतकका भ्रूण । भक्ष, भक्षी ( क्षिन् ) - वि० मांस खानेवाला । - भेत्ता (त), भेदी (दिन ) - वि०, पु० जो मांस काटता हो । - भोजी (जिन्) - वि० दे० 'मांसभक्ष' । - रस - पु०मांसका रसा, शोरबा । -विक्रयपु० मांसकी बिक्री | -विक्रयी (यिन् ) - पु० कसाई; धनके लिए पुत्र या पुत्रीको बेचनेवाला । - वृद्धि - स्त्री० मांसका बढ़ जाना । —सार, स्नेह - पु० चरबी । मांसल - वि० [सं०] गुदारा, स्थूल; पुष्ट, बलवान् । मांसाद, मांसादी (दिन) - वि० [सं०] मांस खानेवाला । मांसाशी (शिन् ) - पु० [सं०] मांसाहारी; राक्षस । मांसाहारी (रिन्) - पु० [सं०] मांसका आहार करनेवाला । मांसोदन - पु० [सं०] मांसके साथ पकाया गया चावल, पुलाव |
मांसोपजीवी (विन्) - पु० [सं०] मांस बेचकर जीवननिर्वाह करनेवाला, कसाब । माँहीँ - अ० दे० 'माहँ' ।
मा - अ० [सं०] निषेधार्थक- नहीं, मत । स्त्री० लक्ष्मी; माता; मान, मा । - धव-पु० दे० क्रममें । माइँ, माई - स्त्री० छोटे पुआ जैसा मीठा या नमकीन पकवान जो विवाह के समय बनाया जाता है; मामी; कुलदेवी ।
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