________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
माई-मात्रा माई-स्त्री० माता, माँ वृद्धा, आदरणीया स्त्रीका संबोधन मातना*-अ० क्रि० मत्त होना, नशेमें होना । किसी भी स्त्रीका संबोधन-हे सखी। -का लाल-मातबर-वि० दे० 'मोतवर'। हिम्मतवाला, वीर, उदार, दानी।
मातबरी-स्त्री० विश्वसनीयता। मानल-वि० [सं०] अक्कमें आनेवाला, बुद्धिग्राह्य ठीक, मातम-पु० [अ०] मृत्युशोक; रोना-पीटना, स्यापा । अच्छा; समझदार; शिष्ट; वादमें पराजित, कायल । -पुरसी-स्त्री. मृत व्यक्तिके घर जाकर समवेदना-पसंद-वि० उचित बातको मान लेनेवाला, समझदार।। प्रकाश । माख*-पु० अप्रसन्नता, रोष; गर्व-'तिनमहुँ रावन कवन मातमी-वि० [अ०] मातम-संबंधी; शोक-सूचक । नै सत्य बदहि तज माख'-रामा।
-लिबास-पु० शोक-सूचक पहनावा, काला या नीले माखन-पु० दे० 'मक्खन' । -चोर-पु० माखन चुराने रंगका कपड़ा। वाला, कृष्ण ।
मातरिपुरुष-पु० [सं०] वह जो माताके सामने या उसके माखना*-अ० क्रि० रोष करना, अप्रसन्न होना।
ऊपर ही मर्दानगी दिखाये, गेहेशूर । माखी*-स्त्री० मक्खी; सोनामक्खी ।
मातलि-पु० [सं०] इंद्रके सारथिका नाम । मागध-वि० [सं०] मगधका; मगधमें उत्पन्न । पु० मगध- मातहत-वि० [अ०] आज्ञाधीन; नीचे काम करनेवाला । नरेश; भाटका पेशा करनेवाली एक वर्णसंकर जाति; पु० अधीन कर्मचारी, सहकारी। * जरासंध ।
| मातहती-स्त्री० [अ०] मातहत होनेका भाव, अधीनता । मागधी-स्त्री० [सं०] मगधकी भाषा; चार मुख्य प्राकृतों- माता(त)-स्त्री० [सं०] माँ, जननी; आदरणीया, वयोमेंसे एक; मगधकी राजकुमारी ।
वृद्ध स्त्रीका संबोधन; गाय; धरती; लक्ष्मी; दुर्गा; मातृका; माघ-पु० [सं०] फाल्गुनके पहलेका महीना: संस्कृतके | शीतला, चेचक । प्रसिद्ध कवि ।
माता(त)-वि० [सं०] मापनेवाला, मापक । माघी-वि० माघका । स्त्री० [सं०] माघकी पूर्णिमा । माता-वि० मतवाला, नशे में चूर । माच*-पु० दे० 'मचान' ।
मातामह-पु० [सं०] नाना। माचना*-अ.क्रि० दे० 'मचना'।
मातामही-स्त्री० [सं०] नानी । माचल*-वि० मचलनेवाला, हठो।
मातुल-पु० [सं०] मामा; धतूरा। माचा -पु० बड़ी मचिया; पलंग; मचान ।
मातुला, मातुलानी, मातुली-स्त्री० [सं०] मामी। माची -स्त्री० मचिया, कुरसी, हलके साथ व्यवहार में | मातुलेय-पु० [सं०] मामाका बेटा। लाया जानेवाला जुआ; गाड़ीवानके बैठनेकी जगह । मात-स्त्री० [सं०] 'माता' शब्दका समासमें व्यवहृत रूप । माछ*-पु० मछली।
-कल्याणगृह-पु० (मैटरनिटी वेलफेयर सेंटर) वह स्थान माछर*-पु० मच्छर।
जहाँ शीघ्र ही माता बननेवाली या पहलेसे मातृत्वको माछी -स्त्री० मक्खी।
प्राप्त स्त्रियोंकी देख-भाल, चिकित्सा, शिशुजन्म आदिका माजरा-पु० [अ०] घटना; वृत्त, हाल ।
विशेष प्रबंध रहता है । -गण-पु० अष्ट (या सप्त) मातृमाजू-पु० सरोंकी शक्लका एक झाड़। -फल-पु० माजूके काएँ। -गामी (मिन)-पु० माताके साथ संभोग करनेझाड़का गोंद ।
वाला। -गोत्र-पु० माताका गोत्र, कुल । -घातक,माजून-स्त्री० [अ०] चाशनीमें उबालकर बनायी हुई दवा। घाती(तिन)-पु० माताकी हत्या करनेवाला । -देवमाट-पु० दही रखनेका मटका; वह मटका जिसमें रंगरेज पु० माताको देवता मानने, पूजनेवाला । -पक्ष-पु० रंग रखता है।
मातृकुल, नाना, मामा आदि । -पितहीन-वि० बिना माटा-पु० चीटोंकी शकलका एक कीड़ा ।
माँ बापका, अनाथ । -पूजन-पु० माताकी पूजा; मातृमाटी*-स्त्री० मिट्टी; धूल; शरीर; शव ।
कापूजन। -भाषा-स्त्री. अपने जन्मस्थानकी, अपने माठ-पु० मैदेकी मोयनदार मोटी पूड़ी जो चाशनीमें पाग घरमें बोली जानेवाली भाषा, स्वभाषा। -भूमि-स्त्री० ली गयी हो, मटकी।
जन्मभूमि । -श्री-स्त्री० माताजी (आदरार्थ प्रयुक्त)। माड़ना-स० क्रि० धारण करना; सजाना; पूजना; * -हवसा-स्त्री० मासी।-सत्तात्मक-वि० (मैट्रिआर्कल) ठानना।
(वह प्रथा या पद्धति) जिसमें माता या गृहस्वामिनीकी माड़वा-पु० मंडप ।
ही सत्ता सर्वोपरि मानी जाती रही हो। -हंता(त)माढा-पु० दूसरी मंजिलकी बैठक मचिया।
पु० माताकी हत्या करनेवाला। माढी*-स्त्री० दे० 'मढ़ी'; मचिया।
मातृका-स्त्री० [सं०] माता; धायसौतेली मा; वर्णमाला; माणिक, माणिक्य-पु० [सं०] गुलाबी या लाल रंगका | ब्राह्मणी, माहेश्वरी, इंदाणी आदि देवियाँ । एक रत्न ।
मातत्व-पु० [सं०] संतानवती होना; माताका पद । मातंग-पु० [सं०] हाथी; चांडाल; किरात; एक ऋषि ।। मात्र-अ० [सं०] केवल, सिर्फ । मात-* स्त्री० माता; [अ०] हार (शतरंज आदिमें) । वि० मात्रा-स्त्री० [सं०] परिमाण; हस्व वर्णके उच्चारणमें लगने. पराजित, हारा हुआ।
वाला काल; (संगीत) स्वरका स्थितिकाल, एक स्वरके मातदिल-वि० दे० 'मोतदिल'।
उच्चारणमें लगनेवाला काल; अक्षर में लगायी जानेवाली
For Private and Personal Use Only