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महार्ह-महोरस्क
६३० महाह-वि० [सं०] बहुमूल्य । पु० सफेद चंदन । लॅबी । स्त्री० दे० 'महुअरी'। महाल-पु० [अ०] महल्ला; वह जमींदारी जिसमें कई महुअरी -स्त्री० महुआ मिलाकर पकायी हुई रोटी। पट्टियाँ हों; विभाग।
महुआ, महुवा-पु० एक प्रसिद्ध पेड़ जिसके फूल, फल महालया-स्त्री० [सं०] आश्विन कृष्णा अमावस्या । खाने और लकड़ी ईधनके तथा इमारती कामों में आती है, महावट-स्त्री० जाड़ेकी वर्षा ।
मधूक । महावत-पु० हाथीवान ।
महुआरी-स्त्री० महुएका बाग । महावर-५० लाखका रंग जिससे स्त्रियाँ पाँव रँगती हैं। । | महुकम*-वि० दे० 'मुहकम' । महावरा-पु० दे० 'मुहावरा'।
महुर्छा*-पु० महोत्सव । महावरी-स्त्री० महावरकी गोली।
महुलिया-पु० महुवा (ग्राम०) । स्त्री० महुवेकी शराब । महाशन-वि० [सं०] बहुत खानेवाला, अतिभोजी।। महुवरि-स्त्री० दे० 'महुअर'। महाशय-वि० [सं०] उच्चाशय, महामना, उदार | पु० | महूख-पु० दे० 'मधूक' । ऊँचे मन, आशयवाला पुरुष, समुद्र, पत्रालाप, संभाषण महूरत-पु० दे० 'मुहूर्त'।
आदिमें किसीके लिए प्रयुक्त सामान्य आदरसूचक शब्द । महष-पु० महुवा; शहद (कविप्रि०)। महाष्टमी-स्त्री० [सं०) आश्विन शुक्ला अष्टमी। महेंद्र-पु० [सं०] विष्णु; इंद्र; एक कुलपर्वत । महास्पद-वि० [सं०] उच्चपदस्थ शक्तिशाली।
महर-स्त्री० दे० 'महेरा'; झगड़ा, अड़चन । महि*-अ० दे० 'महँ' ।
महेरा-पु० मट्टेमें नमक या मीठा डालकर पकाया हुआ महि-स्त्री० [सं०] महिमा; पृथ्वी; महत्तत्व । -देव-पु० | भात; मठा। ब्राह्मण । -सुता-स्त्री० सीता । -सुर-पु० ब्राह्मण । महेरि*-स्त्री० दे० 'महेरा' । महिखर-पु० दे० 'महिष'।
महेरी-स्त्री० उबाली हुई ज्वार दे० 'महेरा'। वि० बाधा महिमा(मन)-स्त्री० [सं०] बड़ाई, बड़प्पन; महत्ता डालनेवाला। माहात्म्य अष्ट सिद्धियोंमेंसे एक, अपनी देहका चाहे जितना महेलिका-स्त्री० [सं०] महिला, स्त्री। विस्तार कर लेनेकी शक्ति ।-मंडित-वि० महिमायुक्त । महेश-पु० [सं०] शिव; परमेश्वर । महिमामयी-वि० स्त्री० [सं०] महिमाशालिनी। महेशानी-स्त्री० पार्वती (पूर्ण०)। महियाँ*-अ० में-'प्रगटे भूतल महियाँ'-सू० । महेश्वर-पु० [सं०] शिव; परमेश्वर । महियाउर*-पु. महेरा।
महेश्वरी-स्त्री० [सं०] दुर्गा । महिला-स्त्री० [सं०] स्त्री; भद्र स्त्री; मदमत्त स्त्री। महेस-पु० दे० 'महे श' । -दीर्घा-स्त्री० (लेडीज़ गैलरी) महिलाओंके बैठनेका महसी*-स्त्री पार्वती । लंबोतरा स्थान ।
महेसुर*-पु० दे० 'महेश्वर' । महिष-पु० [सं०] भैसा; महिषासुर ।
महोक्ष-पु० [सं०] बड़ा बैल । महिषाक्ष-पु० [सं०] भैसा; गुग्गुल ।
महोख-पु० दे० 'महोखा' । महिषासुर-पु० [सं०] एक असुर जो दुर्गाजीके हाथों महोखा-पु० एक चिड़िया जिसकी बोली बहुत तेज होती है। मारा गया। -घातिनी-मर्दिनी-स्त्री० दुर्गा । महोगनी-पु० एक सदाबहार पेड़ जिसकी लकड़ी मेज, महिषी-स्त्री० [सं०] भैस अभिषिक्ता रानी, 'पटरानी'। कुरसी आदि बनाने के काम आती है। महिषेश-पु० [सं०] महिषासुर ।
महोच्छव*-पु० दे० 'महोत्सव' । मही-स्त्री० मट्ठा, छाछ; [सं०] धरती; मिट्टी; भूसंपत्ति, महोत्सव-पु० [सं०] बड़ा उत्सव, समारोह । देश ।-ज-पु० मंगल ग्रह; अदरक ।-जा-स्त्री० सीता। महोदधि-पु० [सं०] समुद्र । -धर-पु. पर्वत; विष्णु । -प,-पाल-पु० राजा। महोदय-वि० [सं०] अति समृद्ध गौरवशाली। पु० महा-पुत्र-पु० मंगल; नरकासुर । -पुत्री,-सुता-स्त्री० नुभाव; कान्यकुब्ज देश । सीता ।-भुक (ज),-भृत्-पु०राजा ।-रुह-पु०वृक्ष । महोदया-स्त्री० [सं०] नागबला; महाशया। -सुत-पु० मंगल ग्रह नरकासुर ।-सुर-पु. ब्राह्मण । महोदर-वि० [सं०] बड़े पेटवाला । पु० धृतराष्ट्रका एक महीन-वि० बारीक पतला ।
पुत्र; एक राक्षस। महीना-पु० वर्षका बारहवाँ भाग, ३० दिनका समय, | महोदार-वि० [सं०] अतिशय उदार । मास; दरमाहा; मासिक धर्म । मु०-(ने)से होना-महोद्यम-वि० [सं०] अतिशय उद्यम, उत्साहवाला। ऋतुमती होना।
महोन्नत-वि० [सं०] अतिशय उन्नत, ऊँचा । महीयान्( यस्)-वि० [सं०] अधिक बड़ा, महान् । महोपाध्याय-पु० [सं०] बड़ा अध्यापक, पंडित । महीर-स्त्री० दे० 'महेरा'; खौलानेपर मक्खनके नीचे बैठा महोबा-पु० हमीरपुर जिलेका एक कसबा जो हिंदूकालमें मैल ।
चंदेल राजाओंकी राजधानी था और आल्हा-ऊदलका महीश-पु० [सं०] पृथिवीपति, राजा।
वासस्थान होनेके कारण बहुत प्रसिद्ध है । महँ*-अ० दे० 'महँ'।
महोबिया, महोबी-वि० महोबेका। महअर-पु० मदारियों द्वारा बजाया जानेवाला एक बाजा, महोरस्क-वि [सं०] चौड़ी छातीवाला।
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