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मरतबा-मरु
६२२ मरतबा-पु० दे० 'मर्तबा'।
संबंधी। मरतबान-पु० रोगन किया हुआ मिट्टीका बरतन जिसमें मरवाना-स० क्रि० मारनेका काम दूसरेसे कराना, मारनेअचार, मुरब्बा आदि रखते हैं ।
को उकसाना। मरता-वि० मरता हुआ; दुर्बल । मु०-क्या न करता- मरसा-पु० बरसातमें होनेवाला एक साग। जीवनसे निराश व्यक्ति सब कुछ करनेको तैयार हो जाता | मरसिया-पु० [अ०] करुण रसकी कविता जिसमें किसीकी है। -(ते)को मारना-दुखियाको और सताना। मृत्यु या वीरगतिका वर्णन हो; करबलाके शहीदोंके विषय-जीते-किसी तरह, ज्यों-त्यों करके। -दमतक- में रचित इस प्रकारका काव्य; मृत व्यक्तिकी गुणावली; आखिरी वक्ततक, जिंदगीभर । -मरते-मरते समय मातम, सियापा । (कहना, पढ़ना।) मौतके पास पहुँचकर।
मरहट*-पु० दे० 'मरघट' । मरद*-पु० दे० 'मर्द'।
मरहटा, मरहठा-पु० दे० 'मराठा'। मरदई-स्त्री० मरदानगी, वीरता।
मरहठी-वि० मरहठोंसे संबद्ध । स्त्री० मराठी। मरदना-स० क्रि० मसलना; माँड़ना; रौंदना, तहस-नहस | मरहम-पु० [अ०] घावपर लगानेका लेप; धावकी दवा । करना।
-पट्टी-स्त्री० धावपर मरहम लगाकर पट्टी बाँधना; मरदनिया-पु० मालिश करनेवाला टहलू ।
जख्मका इलाज। मरदानगी-स्त्री० दे० 'मर्दानगी'।
| मरहला-पु० [अ०] यात्रियोंके टिकनेकी जगह, पड़ाव मरदाना-वि०, अ० दे० 'मर्दाना'।
किलेके इर्द-गिर्द बनी हुई इमारत जिसपर बैठकर सैनिक मरदूद-वि० [अ०] रद्द किया हुआ; बहिष्कृत; तिरस्कृत युद्ध करते हैं; कठिन काम, झमेला; दर्जा । निकम्मा; नीच।
मरहन-वि० [अ०] रेहन किया हुआ। मरन-पु० दे० 'मरण ।
मरहना-वि० स्त्री० [अ०] बंधक रखी हुई (संपत्ति)। मरना-अ० क्रि० जीता न रहना, जीवन-क्रियाका बंद मरहम-वि० [अ०] वख्शा हुआ; स्वर्गवासी । हो जाना, मृत्यु होना; सूखना, मुरझाना; मृतप्राय हो | मराठा-पु. महाराष्ट्र देशका निवासी; महाराष्ट्र देशका जाना, गड़ जाना (शर्मसे मर जाना); अति श्रम, अति । अब्राहाण निवासी।। कष्ट करना, खपना बुझना, प्रभावरहित हो जाना (चूना, । मराठी-स्त्री० महाराष्ट्रकी भाषा। वि० मराठोंसे संबंध सुहागा); दब जाना, नष्ट हो जाना (भूख, प्यास, पाखाने- रखनेवाला; मराठोंका । की हाजत इ०); तबाह हो जाना; भस्म, कुरता हो जाना मरातिब-पु० [अ०] पद, दरजा ('मरतबा'का बहु०); (धातु इ० का); भीतर जाना, सोखना (पानी); डूबना, पताका; मकानका खंड । वसूल न होना (पावना, रुपया); पिटना, मारा जाना. मराना-स० क्रि० दे० 'मरवाना' । (गोट, मोहरा); खेलनेका अधिकारी न रहना; आसक्त, मरायल* - वि० मारा, पीटा हुआ; मार खानेवालामोहित होना (किसीपर मरना)। मु० मरकर जीना- 'सठहु सदा तुम मोर मरायल'-रामा०; हराया हुआ; मरते-मरते बचना। मर-खप जाना-मरकर नष्ट हो| मरियल । जाना । मरना-जीना-जीवन-मरण; जीवन-मरणका मरार-पु० काछी (छत्तीसगढ़में); [सं०] अन्नभंडार । चक्र; शादी-गमी। -पचना-अति श्रम करना; अति | मराल-पु० [सं०] राजहंस, कारंडव; बादल; काजल कष्ट सहना; जान तोड़कर मेहनत, कोशिश करना। घोड़ा। मर-पिटकर-बड़ी कठिनाईसे। मर-मरकर-बड़ी मेह- मरिंद*-पु० दे० 'मलिंद'; मरंद । नतसे, जान तोड़कर। -(ने) तककी फरसत न | मरिखम-पु० दे० 'मलखंभ' । होना-दम मारनेको फुरसत न मिलना, कामकी भारी | मरिच-स्त्री० [सं०] काली मिर्च । भीड़में होना। मर मिटना-मरकर मिट जाना, जान | मरिचा-पु० दे० 'मिरचा'। दे देना; तबाह हो जाना।
मरियम-स्त्री० [अ०] ईसाकी माता; कुमारी । मरनि*-स्त्री० दे० 'भरनी' ।
मरियल-वि० बहुत दुबला, कमजोर, बेदम । मरनी-स्त्री० मौत; अंत्येष्टि; मृत्युशोक, गमी।
मरी-स्त्री० बबाई बीमारी, महामारी; प्रेतोंका एक भेद; मरभखा-वि० पेटू; भूखों मरता, कंगाल ।
सागूदानेका पेड़। मरम-पु० दे० 'मर्म।
मरीचि-पु० [सं०] ब्रह्माके दस मानसपुत्रोंमें सबसे बड़े मरमर-पु० [यू०] एक तरहका पत्थर जो बहुत चिकना जिनकी गणना सप्तर्षियोंमें है; किरण; ज्योति; मरीचिका । होता और रगड़नेसे खूब चमकता है, संगमरमर ।
-जल-पु० मृगतृष्णा । -माली(लिन् )-पु० सूर्य । मरमराना-अ० क्रि० 'मर-मर'की आवाज करना; डाल | वि० जो किरणोंकी माला धारण किये हुए हो । आदिका दबकर टूटना।
मरीचिका-स्त्री० [सं०] मृगतृष्णा। . मरम्मत-स्त्री० [अ०] टूटी-फूटी चीजको फिरसे दुरुस्त मरीची(चिन)-वि० [सं०] किरणोंवाला । पु० सूर्य । करना, सुधार, दुरुस्ती; (ला०) मार, पिटाई, शारीरिक मरीज़-वि० [अ०] जिसे रोग हो, रोगी। दंड । -तलब-वि० दे० 'मरम्मती' ।
मरु-पु० [सं०] मरुभूमि, रेगिस्तान, मारवाड़, पर्वत मरम्मती-वि० [अ०] मरम्मत करने लायक; मरम्मत- कुरुवक वृक्ष; मरुआ नामक पौधा। -देश-पु० रेगि
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