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वृत्ति । - वेग-पु० मनका विकार, मनका आवेग । - वैज्ञानिक - वि० मनोविज्ञान संबंधी । पु० मनोविज्ञानका ज्ञाता । -व्याधि-स्त्री० मानस रोग । -हर- वि० मनको हरने, चुरानेवाला, सुंदर । पु० छप्पय छंदका एक भेद । - हारी (रिन्) - वि० मन हरनेवाला, सुंदर | मनोमय - वि० [सं०] मनोरूप, मानस । - कोष-पु० आत्मा के आवरणरूप पंचकोषों में से तीसरा । मनोरा - पु० गोबर से बने चित्र । मनोरा झूमक - पु० एक गीत । मनोसर* - पु० मनोविकार ।
मरूर - वि० [अ०] भागा हुआ (अपराधी ) ( ' राबन') । मम सर्व० [सं०] मेरा, मेरी ।
ममता - स्त्री०, ममत्व - पु० [सं०] किसी चीजको अपनी समझना; अपनापन; स्नेह; अहंकार; बच्चे के प्रति माँका स्नेह; मोह |
ममरखी + - स्त्री० मुबारकबादी, बधावा | ममाखी* - स्त्री० [० 'मौमाछी'] मधुमक्खी । ममिया - वि० ममेरा, मामाके दरजेवाला । -ससुर - पु० पति या पत्नीका मामा । - सास-स्त्री० पति या पत्नीकी मामी ।
ममोला - पु० एक छोटी चिड़िया, धोबिन । मयंक - पु० चंद्रमा ।
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मनोमय-मरणोन्मुख
- ख़ाना - पु० मदिरालय । - कश-वि० शराब पीनेवाला । - कशी - स्त्री० शराब पीना, मद्यपान । - परस्त - वि० शराबी, मदिराभक्त । -फ़रोश- पु० शराब बेचनेवाला ।
मनोहरता - स्त्री० [सं०] सुंदरता । मनोहरता ई * - स्त्री० मनोहरता, सुंदरता । मनौती - स्त्री० मनावन; कार्यसिद्धि होनेपर किसी देवता की विशेष पूजा करनेकी प्रतिज्ञा, मानता, मन्नत मन्नत - स्त्री० किसी कार्यकी सिद्धि या अनिष्टके निवारणपर किसी देवता की पूजा करनेका संकल्प, मनौती । मु० - उतारना - मन्नत पूरी करना । - मानना - मनौती
मयूख - पु० [सं०] किरण; शिखा; दीप्ति; शोभा; कील । मयूर - पु० [सं०] मोर; एक पर्वतका नाम । - नृत्य - पु० एक तरहका नाच । -पुच्छ-पु० मोरकी पूँछ । मयूरी - स्त्री० [सं०] मोरनी । मरंद - पु० [सं०] मकरंद |
मानना ।
मन्मथ - पु० [सं०] कामदेव; कैथका पेड़ ।-प्रिया - स्त्री रति । मन्मथालय - पु० [सं०] आमका पेड़; भग । मन्य - वि० [सं०] (समासांत में) अपने आपको मानने, मरकज़ी - वि० [अ०] केंद्रीय, प्रधान ( कमेटी, हुकूमत ) | समझनेवाला (पंडितम्मन्य लघुम्मन्य ) |
मरक - पु० [सं०] मरी, महामारी । * स्त्री० इशारा, शह, बढ़ावा - 'अर टरत न बर परे, दई मरक मनु मैन'- बि० मरकज़ - पु० [अ०] वृत्त या दायरेका मध्यबिंदु, केंद्र; सदर मुकाम, मुख्य स्थान ।
मरकत - पु० [सं०] पन्ना ।
मरकना - अ० क्रि० दबकर टूटना; दबना ।
मन्यु - पु० [सं०] क्रोध, अहंकार; उत्साह; दैन्य; शोक । मन्युमान् ( मत्) - वि० [सं०] क्रोध, अहंकार या दैन्य इत्यादिसे युक्त ।
मरकहा | - वि० (सींगसे) मारनेवाला (बैल, भैंसा इ० ); हथछुट । [स्त्री० 'मरकही' ।]
मन्वंतर - पु० [सं०] (मनु + अंतर) मनुका अधिकारकाल, मरकाना - स० क्रि० दबाकर तोड़ना ।
इकहत्तर चतुर्युगी; दुर्भिक्ष ।
मरखना - वि० मरकहा, सींगसे मारनेवाला । मरगजा - वि०, पु० दे० 'मलगजा' |
मरघट - पु०मुर्दे जलानेका स्थान, मसान ।- का भुतनामसानका भूत; डरावनी शकलका आदमी ।
मरचा - पु० दे० 'मिरचा' ।
मरज - पु० दे० 'मर्ज़' ।
मयगल * - पु० मस्त हाथी, मद्गल । मयन * - पु० मदन, कामदेव |
मयमंत, मयमत्त* - वि० मदमत्त मस्त । मयस्सर - वि० [अ०] दे० 'मुयस्सर' | मया* - स्त्री० माया; मोह; संसार; प्रेम-बंधन; दया, कृपा । मयार - वि०दयालु, कृपायुक्त । स्त्री०हिंडोलेके बीचका डंडा । मयारी - स्त्री० धरन ।
मरजाद, मरजादा - स्त्री० दे० 'मर्यादा' । मरजिया- पु० पानी में डूबकर चीजें निकालनेवाला, गोताखोर - 'जो मरजिया होइ त सो पावै वह सीप' - प० । वि० जो मरकर जिया हो; जो मरते-मरते बचा हो; अधमरा; मरनेको उद्यत ।
ममियौरा - पु० मामाका घर ।
ममीरा - पु० हलदीकी जातिका एक पौधा जो आँखके मरजीवा - पु० दे० 'मरजिया' ।
रोगोंकी उत्तम औषधि माना जाता है ।
मरज़ी - स्त्री० [अ०] खुशी; स्वीकृति; इच्छा; रुचि ।
मरण - पु० [सं०] मरना, मृत्यु; बछनाग । - गति - स्त्री० (डेथरेट) आबादी के प्रतिसहस्र व्यक्तियोंके पीछे होनेवाली मृत्युओंकी संख्या । - धर्मा (र्मन्), - शील- वि० मरनेवाला, मर्त्य । - शुल्क - पु० ( डेथड्यूटी ) किसीकी मृत्यु के बाद उसकी संपत्तिपर लगनेवाला वह कर जो उसके उत्तराधिकारी से वसूल किया जाय । मरणांतक - वि० [सं०] जिसका अंत मृत्यु हो, जानलेवा । मरणाशौच-पु० [सं०] मृत्युके कारण ज्ञातिजनोंको लगनेवाला अशौच ।
मद* - पु० मृगेंद्र सिंह ।
मय-प्र० [सं०] जिस शब्द में लगता है उससे बना हुआ ( कनकमय), भरा हुआ (जलमय), युक्त (दयामय) आदि अर्थं उत्पन्न करता है । पु० दानव-शिल्पी जिसने इंद्र प्रस्थ में युधिष्ठिर के लिए अद्भुत सभागृह बनाया; खच्चर; घोड़ा; ऊँट मेक्सिको (अमेरिका) में पुराने जमाने में बसनेवाली एक जाति । - तनया- स्त्री० मंदोदरी ।
मरणीय - वि० [सं०] मरनेवाला, मर्त्य ।
मय - अ० [अ०] दे० 'मैं' । स्त्री० [फा०] शराब । -कदा, | मरणोन्मुख - वि० [सं०] जो मर रहा हो, आसन्न-मरण ।
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