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मनसूषा-मनो
६२० मनसुबा-पुण्योजना, तजबीज; जोड़-तोड़,युक्ति इरादा। मनुजाधिप-पु० [सं०] राजा।
-बाज़-पु० योजना बनानेवाला, युक्ति सोचनेवाला। मनुजेंद्र, मनुजेश्वर-पु० [सं०] राजा। मनसूर-पु० [अ०] ९वीं शतीका एक प्रसिद्ध मुसलमान मनुजोत्तम-पु० [सं०] वह जो मनुष्योंमें श्रेष्ठ हों।
सूफी जो 'अनलहक़' (अहं ब्रह्मास्मि) कहा करता था। | मनुष-पु० दे० 'मनुष्य'। मनस-पु० [सं०] दे० 'मन(स)| -कांत-वि० | मनुष्य-पु० [सं०] आदमी, मानव, इनसान । -कृतप्यारा, मनको प्रिय लगनेवाला। -काम-पु० मनोरथ, | वि० मनुष्यका किया, बनाया हुआ। -गणना-स्त्री० मनकी इच्छा । -ताप-पु० मनका ताप, दुःख, अनु- मर्दुमशुमारी। -लोक-पु० मृत्युलोक, धरती। ताप। -तुष्टि-स्त्री० मनका संतोष । -तृप्ति-स्त्री.
मनुष्यता-स्त्री० [सं०] मनुष्योचित भाव, गुण, दया, मनकी तृप्ति ।
धर्मबुद्धि, सौजन्य आदि, इनसानियत । मनस्वी(स्विन)-वि० [सं०] अच्छे, ऊँचे मनवाला, ' मनुसा-पु० मनुष्य; जवान, मर्द ।
बुद्धिमान् । स्थिरचित्त, दृढनिश्चय । (स्त्री० मनस्विनी।) मनुसाई*-स्त्री० पुरुषार्थ, मर्दानगी । मनहु*-अ० मानों।
मनुसाना-अ० क्रि० पुरुषत्वका अभिमान, मर्दानगीकी मनहूस-वि० [अ०] अभागा; अशुभसूचक; उदासीसे | भावना जगना । भरा हुआ (मनहूस सूरत)।
मनुहार-पु० मनानेके लिए की जानेवाली बिनती, मनानेमनहसी-स्त्री० [अ०] मनहूस होनेका भाव, उदासी। का यत्न; बिनती, खुशामद । -नीति-स्त्री० मनाने, मना-पु० [अ०] रोकना,निषेध । वि०निषिद्ध, अविहित।
प्रसन्न करनेकी नीति । मनाई-स्त्री० दे० 'मनाही' ।
मनुहारना*-स० क्रि० मनुहार करना, मनाना । मनाक(ग)-अ० [सं०] थोड़ासा, जरासा धीरे-धीरे। मनूरी-स्त्री. मुरादाबादी कलई करने में काम आनेवाला मनादी-स्त्री० दे० 'मुनादी'।
एक चूरा। मनाना-स० क्रि० रूठे, बिगड़े हुएको प्रसन्न करना, राजी | मने-पु०, वि० दे० 'मना'। करना; किसी बातके होनेकी ईश्वरसे प्रार्थना करना; मनौँ*-अ० दे० 'मानों'। प्रार्थना करना, मनुहार करना।
| मनो-पु०[सं०] 'मनस्' का समासगत रूप ।-कामनामनार-पु० [अ०] मीनार, ज्योतिस्तंभ, मसजिदका वह स्त्री० [हिं०] मनकी कामना, अभिलाष ।-गत-वि० मनमें
स्तंभ जिसपर खड़ा होकर मुअज्जिन अजाँ देता है। भरा, छिपा हुआ । पु० इच्छा; विचार । -गति-स्त्री० मनावनो-पु० मनानेकी क्रिया।
इच्छा ; मनकी गति ।-ज-पु०कामदेव ।-ज्ञ-वि० सुंदर, मनाही-स्त्री० मुमानियत, निषेध ।
मनोहर । [स्त्री० 'मनोज्ञा'।] -दंड-पु० मनोनिग्रह । मनि-पु०,स्त्री० दे० 'मणि' । -धर-पु० दे० 'मणिधर'। -दाह-पु० मनका केश, पीडा, मनस्ताप । -नयनमनिका*-पु० दे० 'मनका'।
पु० पसंद करना, चुनना । -निग्रह-पु० मनकी मनिया-स्त्री० मनका, गुरिया ।
इच्छाओं, वृत्तियोंको वशमें रखना। -नियोग,-निवेशमनियार*-वि० चमकता हुआ; सुंदर, शोभायुक्त । पु० मन लगाना । -नीत-वि० पसंद किया हुआ; चुना मनियारा-पु० जौहरी; दे० 'मनिहार' ।।
हुआ।-भंग-पु० उदासी, विषाद, नैराश्य । -भवमनिहार-पु० चूड़ी, टिकली, सिंदूर आदि (फेरी करके) पु० कामदेव । -भाव-पु० मनका भाव, वृत्ति ।बेचनेवाला।
मालिन्य-पु० मनमें मैल आना, मनमोटाव । -योगमनिहारन, मनिहारिन, मनिहारी-स्त्री. चूड़ी बेचने पु० मनको किसी विषयमें एकाग्र करके लगाना ।-रंजक या पहनानेवाली स्त्री, चुड़िहारिन ।-लीला-स्त्री० मनि- -वि० मनोरंजन करनेवाला। -रंजन-पु० मनबहहारिन बनकर राधाको चूड़ी पहनानेकी कृष्णकी लीला । लाव, दिलका खुश होना। -रंजन-कर-पु० (एंटरटेनमनीआर्डर-पु० [अं॰] डाकखानेका चेक जिसके जरिये मेंट टैक्स) दे० 'प्रमोदकर'। -रथ-पु० मनकी कामना, अन्यत्र स्थित जनके पास रुपया भेजा जाता है।
अभिलाष। -रम-वि० सुंदर, मन लुभानेवाला। -रमा मनीजर-पु० [अं० 'मैनेजर] किसी कार्यालय, संपत्ति -स्त्री० गोरोचना; कार्तवीर्यार्जुनकी पत्नी। -राज्यआदिका प्रबंधकर्ता।
पु० कल्पनासृष्टि, जागतेका सपना, खयाली पुलाव । - मनीषा-स्त्री० [सं०] बुद्धि; इच्छा; विचार; स्तुति (वै०)।। रोगचिकित्सक-पु० (साइकिएट्रिस्ट) मानसिक रोगोंका मनीषिका-स्त्री० [सं०] बुद्धि, मनीषा, इच्छा।
उपचार करनेवाला । -लीला-स्त्री० (फैनटम) मनमें ही मनीषी(षिन)-वि० [सं०] बुद्धिमान् ; पंडित, विचार-| विद्यमान कल्पनाकी वस्तु जिसका वस्तुतः कोई अस्तित्व
शील । पु० बुद्धिमान् मनुष्य, पंडित, विचारशील पुरुष । न हो, भ्रांति, सत्य-सी प्रतीत होनेवाली कोई छाया। मनु-पु० अ० मानों । [सं०] ब्रह्माके मानसपुत्र स्वायंभुव -बांछा-स्त्री. मनकी अभिलाषा, इच्छा । -वांछितमनु जो आदि प्रजापति और मनुस्मृतिके कर्ता माने जाते वि० मनका चाहा हुआ, अभिलषित । -विकार-पु० हैं ।-ज,-जात-पु० मनुसंतान, मनुष्य । -जा-स्त्री० मनकी भावना या मनका आवेग । -विज्ञान-पु० मनस्त्री। -संहिता-स्त्री० मनुस्मृति । -स्मृति-स्त्री० की प्रकृति, वृत्तियों आदिका विवेचन करनेवाला विज्ञान, आदि मनुका बनाया धर्मशास्त्र ।
मानसशास्त्र । -विश्लेषण-पु० मनके विचारोंकी समीक्षा, मनुजाद-पु० [सं०] नरभक्षी, राक्षस ।
चित्तविश्लेषण । -वृत्ति-स्त्री० मनका विकार, चित्त
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