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मध्या - पु० [सं०] रजःप्राप्त स्त्री; विचली उँगली; वह नायिका जिसमें काम और लज्जा समान हों। मध्यावकाश - पु० [सं०] (रिसेस) दे० 'अल्पावकाश' । मध्याह्न - पु० [सं०] दोपहर |
मध्याह्नोत्तर - पु० [सं०] तीसरा पहर, दोपहर के बादका
समय ।
मध्ये - अ० दे० 'मद्वे' ।
मध्व - पु० एक संप्रदाय प्रवर्तक और वेदांत सूत्रों पर भाष्य लिखनेवाले वैष्णव आचार्य । -संप्रदाय - पु० मध्व द्वारा प्रवर्तित वैष्णव संप्रदाय |
मनः- पु० 'मनस्' का समासगत रूप । - कल्पित - वि० मनगढ़ंत, फर्जीीं । -क्षेप- पु० मनका क्षोभ । - प्रसादपु० चित्तकी प्रसन्नता । - प्रसूत - वि० मनःकल्पित । - शक्ति - स्त्री० मनोबल । - संताप - ५० ग्लानि । - संस्कार - पु० मनपर पड़नेवाला प्रभाव; मनका परिष्कार । मन - पु० चालीस सेरका वजन; * दे० 'मणि' | मन(स्) -पु० [सं०] ज्ञान, संवेदन, संकल्प आदिकी साधनरूप अंतरिंद्रिय, चित्त; अंतःकरणको संकल्प - विकल्प करनेवाली वृत्ति (वे०); इच्छा, जी । ['मन' शब्द से बने हुए नीचे लिखे सामासिक शब्दों का प्रयोग केवल हिंदी में होता है ।] - कामना - स्त्री० दे० 'मनोकामना' । - गढ़ंत - वि० मनका गढ़ा हुआ, कल्पित ।-घडंत - वि० दे० ' मनगढ़ंत ' | - चला - वि० साहसी, हौसलेवाला; निडर; मनमौजी । - चाहा - वि०मनका चाहा हुआ, मनोभिलषित। - चीता - वि० सोचा हुआ, चाहा हुआ, मनभाया । - जात-पु० मनोभव, कामदेव । - बांछित - वि० दे० 'मनोवांछित' । - भाया - वि० मनको भानेवाला, मनोनुकूल, प्रिय । - भावना - भावन* - वि० जो मनको भाये, प्रिय लगे, प्यारा । - मथन- पु० कामदेव । - माना- वि० जो मनको भाये, रुचे; जो मनमें आये, जो जी चाहे । अ० यथेच्छ, जितना जी. चाहे । -मानीस्त्री० मनमाना काम । -मानी घरजानी- स्त्री० स्वेच्छापूर्ण काररवाई। - मुखी* - वि० मनमौजी ।मुटाव - ० मनमें मैल या बुराई आ जाना, वैमनस्य । - मोदक - पु० मनका लड्डू, खयाली पुलाव | - मोहन- वि० मनको मोहनेवाला, प्यारा । पु० कृष्ण । - मौजी - वि० अपनी मौजसे, अपने इच्छानुसार काम करनेवाला, स्वच्छंद । - रंज*-५० दे० 'मनरंजन' । - रंजन* - वि० मनोरंजक | पु० दे० 'मनोरंजन' । - रोचन* - वि० मन लुभानेवाला । -लाडू * - पु० मनमोदक । -हरवि० दे० 'मनोहर' | पु० घनाक्षरी छंद -हरण- वि० मनोहर | पु० मनको हरने, मोहनेकी क्रिया; एक वर्णवृत्त । - हरन - वि, पु० दे० 'मनहरण' । - हार, -हारिवि० दे० 'मनोहारी' | मु० ( किसीसे ) - अटकना, - उलझना - किसीसे दिल फँसना, प्रेम होना। (किसी पर) - आना- किसीपर दिल आना । कच्चा करना - दिल छोटा करना, हिम्मत हारना । -करना-इच्छा होना, जो चाहना । -का कच्चा - कमजोर दिलका । -का मारा - खिन्नहृदय । -का मैल - वैर; दुर्भावना । - का मैला - खोटा, बुरे दिलका । -की मनमें रहना
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मध्या-मनसूखी
इच्छा पूरी न होना । की मौज-मनकी लहर । के लड्डू खाना-न होनेवाली बातकी आशा करके प्रसन्न होना, खयाली पुलाव पकाना ।-चलना -जी चाहना, इच्छा होना। डोलना-इच्छा होना, ललचना; ( मनका) विचलित होना । - देना- मन लगाना । - धरना* - ध्यान देना ।-फटना - चाह प्रीति न रहना, विरक्ति हो जाना। -बढ़ना - हौसला बढ़ना, उत्साहित होना । - बढ़ाना - उत्साह बढ़ाना, बढ़ावा देना ।-भरना - तृप्ति होना, अघाना; तुष्टि, समाधान होना। -भाना - रुचना, अच्छा लगना । - मानना - संतोष होना; निश्चय होना; भाना; दिल मिलना, प्रीति होना; अक्कु ठिकाने लगना । -मारना- इच्छाओं को दबाना, मनोनिग्रह करना । - मारे ( हुए ) - खिन्नचित्त, उदास । -मिलना - रुचि, प्रवृत्ति में समानता होना; प्रीति होना। - में आना - खयाल उठना, इच्छा होना । - में मैल आना - ( किसीके विषय में) मनमें बुराई, दुर्भाव पैदा होना । - मैला करना- उदास होना; मनमें दुर्भाव लाना। - मैला होना- किसीके बारेमें खयालका खराब हो जाना, खिन्न होना । - मोहना-मन लुभाना । - लाना * - मन लगाना। -से उतरना - मनमें अनादर या तिरस्कार हो जाना। हरना-भन मोहना । -ही मन-अंदर ही अंदर, चुपचाप । -होना-इच्छा होना । मनई + - पु० आदमी, मानव ।
मनकना - अ० क्रि० हिलना, हाथ-पाँव आदि से कोई चेष्टा करना - '... जापता करन हारे नेकहू न मनके' - भू० । मनका पु० माला, सुमिरनी आदिका दाना, गुरिया | मनकूला- वि० स्त्री० [अ०] चर, चल, जिसे दूसरी जगह ले जा सकें । -जायदाद - स्त्री० चल संपत्ति । मनन- पु० [सं०] सोचना, समझने के लिए बार-बार विचार करना; अनुमान । - शील- वि० जिसे मनन करनेकी आदत हो, विचारशील ।
मननीय - वि० [सं०] मनन करने योग्य । मनवाना - स० क्रि० माननेको प्रेरित करना; मनानेका काम दूसरे से कराना ।
मनशा पु० [अ०] इच्छा, इरादा; भाव, विचार । मनश्चक्षु पु० [सं०] मनकी आँख, अंतर्दृष्टि । मनसना * - स० क्रि० इच्छा, इरादा करना । मनसब - पु० [अ०] पद, उहदा; अधिकार; दरजा; सेवा; वंशपरंपरा से मिलनेवाली वृत्ति । -दार - पु० अधिकारी; मनसब (वृत्ति) पानेवाला ।
मनसा - * वि० मनसे उत्पन्न, मानस । स्त्री० मन; इच्छा; अभिलाष; इरादा; अभिप्रायः बुद्धि; [सं०] जरत्कार मुनिको पत्नी और वासुकि नाग की बहिन । अ० मनसे, मनके द्वारा (मनसा, वाचा, कर्मणा ) । मनसाना - अ० क्रि० उत्साहित होना, उमंगमें आना; दे० ' मनुसाना' |
मनसायन - पु० चहल-पहल |
मनसिज - पु० [सं०] कामदेव; काम; चंद्रमा । मनसुख - वि० [अ०] रद्द किया हुआ, काटा हुआ । मनसुखी-स्त्री० [अ०] मनसुख होनेका भाव ।
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