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भूआ - भूमयी
गोवर । - पाल - पु० राजा; [हिं०] मध्य भारतका भोपाल राज्य; उसकी राजधानी । - पुत्र- पु० मंगल ग्रह; नरकासुर । पुत्री - स्त्री० सीता । भर्ता (तृ) - पु० राजा । - भाग - पु० भूखंड, प्रदेश । - भार - पु० धरतीपर होनेवाले पापका भार ।-भार-हारी (रिन् ) - पु० परमेश्वर । - भुक ( ज ) - पु० राजा । भृत्पु० पहाड़ राजा; विष्णुः सातकी संख्या । - मंडल - पु० धरती, भूगोल | - मध्यसागर - पु० यूरोप और एशियाके बीच अवस्थित समुद्र । - महेंद्र - पु० राजा । -मापन - पु० (सर्वे) सीमा आदि निर्धारित करनेकी दृष्टिसे किसी खेत, भूमिके टुकड़े या देश-प्रदेश आदिकी नाप-जोख ( पैमाइश ) करना । -रह- पु० वृक्ष अर्जुन वृक्ष । - रुहा - स्त्री० दूव । - लता - स्त्री० केचुआ । -लोड़पु० मर्त्यलोक | - लोटन - वि० [हिं०] धरतीपर लोटनेवाला । - वलय- पु० पृथ्वीकी परिधि । -वल्लभपु० राजा । - शक्र पु० राजा । -शय-पु० विष्णु; बिल में रहनेवाला जंतु । - शय्या - स्त्री० जमीनपर सोना । - शायी (यिन) - वि०जमीनपर सोनेवाला; भूमिपर गिरा हुआ; गृत । -संपत्ति - स्त्री० जमीन के रूपमें संपत्ति (खेत, जमींदारी) । - संस्कार - पु० यज्ञके लिए भूमिको लीपना, नापना, रेखाएँ खींचना आदि । -सुत - पु० मंगल; नरकासुर - सुता - स्त्री० सीता । - सुर-पु० ब्राह्मण । - स्पृक् (श्) - पु० मनुष्य !- स्फोट - पु० कुकुरमुत्ता । - स्वर्ग पु० धरतीपर स्वर्गरूप स्थान; सुमेरु पर्वत । - स्वामी ( मिनू ) - पु० जमीनका मालिक, जमींदार | - हरा* - पु० दे० 'भुइँहरा' ।
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भूआ - पु० रुई । वि० सफेद । * स्त्री० बुआ ।
भूई - स्त्री० रुईका छोटा गाला ।
भूक- स्त्री० भूख ।
भूकना - अ० क्रि० दे० 'भूँकना' । भूख - स्त्री० आहारकी आवश्यकता से उत्पन्न विकलता, भोजनकी इच्छा, क्षुधा; इच्छा । - हड़ताल - स्त्री० बंदियों आदिका विरोध में खाना न खाना । मु०-मर जानाक्षुधाका नष्ट हो जाना; भूख न लगना । (भूखाँ ) मरनाक्षुधा कष्टसे पीड़ित होना, निराहार रहना ।
भूखण, भूखन- पु० दे० 'भूषण' | भूखना - * स० क्रि० सजाना, भूषित करना । अ० क्रि०
उपवास करना ।
भूखा - वि० जिसे भूख लगी हो, क्षुधित; किसी चीजको चाह रखनेवाला, इच्छुक; भुक्खड़ । -नंगा - वि० अन्नवस्त्र के कष्ट से पीड़ित, दीन, दरिद्र । मु०-रहना - उपवास करना; व्रत रखना ।
भूटानी पु० भूटानका निवासी; भूटानका घोड़ा । स्त्री० भूटानकी भाषा । वि० भूटान संबंधी; भूटानका । भूटिया - वि० भूटानका । पु० भूटानका रहनेवाला । भूड़ - स्त्री० बलुई जमीन; कुएँका सोता । भूत - वि० [सं०] जो हो चुका हो, अतीत, बीता हुआ; वस्तुतः घटित; उत्पन्न; सत्य; प्राप्त; युक्त; रूप या अव स्थाविशेषको प्राप्त ( घनीभूत, पुंजीभूत ); सध्श । पु० पंचमहाभूतों- पृथ्वी, जल, तेज, वायु, आकाश मेंसे
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कोई एक तत्त्व; प्राणी; प्रेत, पिशाच; बीता हुआ समय, भूत काल | -काल-पु० गत काल । -कालिक - वि० भूत काल-संबंधी - खाना- पु० [हिं०] गंदा घर । - ग्रस्त - वि० जिसे भून लगा हो। - दया- स्त्री० संपूर्ण प्राणियों के प्रति दयाभाव - नाथ- पु० शिव । - नायिका - स्त्री० दुर्गा । - नाशन- पु० रुद्राक्ष; सरसों; भिलावाँ; हींग । - पूर्व- वि० जो पहले हो चुका है, पूर्ववर्ती, पहला । प्रेत- पु० भूत-पिशाच आदि । - भावन- पु० भूतोंके स्रष्टा, ब्रह्मा शिव विष्णु । - भाषा - स्त्री०, - भाषित - पु० प्रेतोंकी भाषा, पैशावी । - वाद - पु० भौतिकवाद | -वाहन- पु० शिव। -विद्या - स्त्री० आयुर्वेदका वह विभाग जिसमें पिशाच आदिकी बाधासे उत्पन्न रोगोंका इलाज बताया गया है। - सिद्ध - वि० जिसने भूत-प्रेत आदिको वशमें कर लिया है। सृष्टिस्त्री० भूर्तीकी राष्टि; भूतावेशसे उत्पन्न भ्रांति । - हत्या - स्त्री० जीववध | मु०-उतरना - पागल कर देनेवाले गुस्सेका उतर जाना; खन्तका दूर हो जाना । का पकवान, - की मिठाई - भ्रमवश दिखाई देनेवाला पदार्थ, जल्द नष्ट हो जानेवाला पदार्थ । चढ़ना, - सवार होना- गुस्से में पागलसा हो जाना। -बनकर लगनाबुरी तरह पीछे लगना। -बनना - नशेमें चूर होना; क्रोधाभिभूत होना; किसी काममें भिड़ जाना । (किसी बातका ) - सवार होना- किसी चीज के पीछे पड़ जाना, उसका हठ पकड़ लेना ।
भूतनी - स्त्री० स्त्रीप्रेत, भुतनी; दे० 'भूतिनी' । भूतांतक - पु० [सं०] यमः रुद्र ।
भूतात्मा (मन्) - पु० [सं०] परब्रहा हिरण्यगर्भः विष्णु; शिव; जीवात्मा; देह |
भूताधिपति - पु० [सं०] शिव । भूतानुकंपा - स्त्री० [सं०] जीवदया | भूताविष्ट - वि० [सं०] जिसे भूत लगा हो । भूतावेश- पु० [सं०] भूत लगना, प्रेतबाधा ! भूति - स्त्री० [सं०] होना, उत्पत्ति; संपत्ति, वैभव; अणिभादि अष्ट सिद्धियाँ; भभूत । - भूषण, वाहन - पु० शिव । - वर्धन- वि० ऐश्वर्य बढ़ानेवाला । भूतिनी - स्त्री० भूतयोनिप्राप्त स्त्री; डाकिनी । भूतेश-५० [सं०] शिव । भूतेश्वर - पु० [सं०] शिव ।
भूतोन्माद - पु० [सं०] प्रेतबाधा उत्पन्न उन्माद । भून* - ५० दे० 'भ्रूण' ।
भूनना - स० क्रि० आगपर रखकर इस तरह पकाना कि छिलका कड़ा हो जाय; धी-तेल में तलना; गरम रेत में डालकर अन्नादिको पकाना; जलाना; बहुत कष्ट देना; बंदूकों की बाढ़ या मेशीनगनकी गोलियोंसे बहुतोंका एक
साथ वध करना ।
भूपेंद्र - पु० [सं०] राजाओं में श्रेष्ठ, सम्राट् । भूभल- स्त्री० गरम रेत या धूल; गरम राख । भूभुर, भूभुरि-स्त्री० दे० 'भूभल' | भूमय - वि० [सं०] मिट्टीका बना हुआ । भूमयी - स्त्री० [सं०] सूर्यपत्नी, छाया ।
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