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भीतर-भुकाना कार्य करने में प्रवृत्त होना ।
भीरू-वि० स्त्री० [सं०] भीरु स्वभाववाली (स्त्री)। भीतर-अ० अंदर; घरके अंदर; मध्यमें । पु० अंतर, अंतः- भीरे*-अ० पास, नजदीक । करण; जनानखाना। -का-अंदरका मनका; अप्रकट, | भील-पु० मध्यभारत, राजपूताना आदिमें पायी जानेमनमें रहनेवाला। -ही भीतर-मन ही मन ।
वाली एक जंगली जाति । - भूषण-पु० धुंघची। भीतरि*-अ० भीतर।
भीलनी-स्त्री० भीलकी स्त्री। भीतरिया-पु० दे० 'भितरिया'।
भीलु-वि० [सं०] भीरु, डरपोक । पु० भालू । भीतरी-वि० भीतरका, अंदरूनी; मनका; अप्रकट । भीलुक, भीलूक-पु० [सं०] भालू । वि० भीरु । भीति-स्त्री० [सं०] भय, डर कंप।-कर,-कारी(रिन्)- भीव*-पु० भीम। वि० भयंकर । -कृत्-वि० भयोत्पादक ।
भीष*-स्त्री० दे० 'भीख' । भीती-स्त्री० भय; दीवार ।
भीपज*-पु. भिषक , वैद्य । भीन-पु० भोर, भिनसार ।
भीषण-वि० [सं०] भय उपजानेवाला, डरावना । पु० भीनना-अ० क्रि० भीगना; पैवस्त होना, जज्ब होना; भयानक रस; शिव कुंदरू; हिताल । भर जाना।
भीषणता-स्त्री० [सं०] डरावनापन । भीनी-वि० स्त्री० हलकी, मीठी (खुशबू )।
भीपणाकार-वि० [सं०] डरावनी शकलवाला। भीम-वि० [सं०] डरावना, भय उपजानेवाला; विशाल• भीपन*-वि० दे० 'भीषण। काय । पु० भयानक रस; शिव, परमेश्वर; पाँचों पांडवों- भीषम --वि० दे० 'भीम' । पु० देवव्रत, गांगेय । भेमे दूसरे जो वायुके पुत्र माने जाते हैं, भीमसेन; भीषा-स्त्री० [सं०] राना, भयप्रदर्शन; भय । दभयंती के पिता विदर्भनरेश; बुभवार्णका बेटा। -कर्मा भीष्म-वि० [सं०] भयानक, भीषण । पु० भयानक रस; (मन)-वि० हराबने काम करनेवाला; महा पराक्रमी। | रुद्रागंगाके गर्भसे उत्पन्न शांतनुके पुत्र, देवव्रत, गांगेय । -कुमार-पु० घटोत्कच । -दर्शन-वि० डरावनी -जननी,-सू-स्त्री० गंगा ।-पंचक-पु० कार्तिक शुक्ला शकलवाला, भीमरूप । -द्वादशी-स्त्री० माघ शुक्ला एकादशीसे पूर्णिमातकके पाँच दिन जिनमें व्रत रखनेका द्वादशी। -नाद-वि० डरावनी आवाजवाला । पु० विधान है। -पितामह-पु. भीष्म । डरावनी आवाज; शेर; प्रलयकालमें प्रकट होनेवाले सात भीष्मक-पु० [सं०] रुक्मिणीके पिता, विदर्भ-नरेश । बादलों से एक । -पराक्रम,-विक्रम-वि० जिसका
पराक्रमा-विक्रम-वि० जिसका -सुता-स्त्री० रुक्मिणी। पराक्रम दूसरोंके दिल में भय पैदा करे, महाबली। भीष्माष्टमी-स्त्री० [सं०] माध-शुक्ला अष्टमी जिस दिन --पूर्वज-पु० युधिष्ठिर । -रथी-स्त्री० ७७३ वर्षके भीष्मने प्राणत्याग किया। ७ मासकी ७वीं रात जिसे पार करना बहुत कठिन माना भीसम-वि०, पु० दे० 'भीष्म' गया है; एक पुराणोक्त नदी । -रूप-वि० डरावनी भुइ-स्त्री० 'भुई', भूमि । शकलवाला। -विग्रह-वि. भयानक शरीर, शकल-भुंजना*-स० क्रि० जलाना, भूनन।। वाला। -वेग-वि० भयानक वेगवाला । -शासन-पु० जना-अ० क्रि० भूना जाना; झुलसना । यम ।-सेन-पु० पाँचों पांडवों में से दूसरे, भीम, दमयंतीके पिताका नाम; भीमसेनी कपूर । -सेनी-वि० [हिं०] भुंजवा --पु० भड़ जा। भीमसेन-संबंधी। पु० भीमसेनी कपूर ।-सेनी एकादशी-भंडा-वि०बिना सींगका (बैल आदि); दुष्ट, बदमाश स्त्री० ज्येष्ठ-शुका एकादशी, निर्जला एकादशी। -सेनी -'कयो न मानै भुंडी रॉड़'-सुंदर। कपूर-पु० एक तरहका कपूर जो अधिक सुगंधित होता भुअंग भुअंगम-* पु० दे० 'भुजंग', 'भुजंगम'। है, बरास । मु०-के हाथी-न लोटनेवाली वस्तु । भु -स्त्री० भी। भीमता-स्त्री० [सं०] डरावनापन ।
भुअन*-पु० दे० 'भुवन'। भीमराज-पु० शृंगराज पक्षी ।
भुअना*-अ०क्रि० भूलना, बहकना। भीमा-वि० स्त्री० [सं०] डरावनी, भीषण रूप, आकार- भुआ-पु० दे० 'भूआ'। वाली। स्त्री० रोचना नामका गंधद्रव्य; दुर्गा; चाबुक
भुआर, भुआल*-पु० भूपाल, राजा। दक्षिण भारतकी एक नदी।
भुइँ-स्त्री० दे० 'भूमि' । - आँवला-पु. एक धास जो भीर-* स्त्री० दे० 'भीड़'; आधिक्य-'उर न समात प्रेमकी दवाके काम आती है। -कंप-पु० दे० 'भूकंप'।-चाल, भीर'-गीता०। वि० * भीत भीरु [सं०] डरानेवाला,
-डोल*-पु० भूकंप । -तरवर-पु० सनायकी जातिभय प्रदर्शित करनेवाला।
का एक पेड़। -धरा-पु० तहखाना; आवाँ लगानेकी भीरना*-अ० क्रि० डरना ।
एक रीति । -हरा*-पु० तहखाना। -हारी-पु० दे० भीरु-वि० [सं०] डरपोक (-से) डरनेवाला (पापभीरू)। 'भूमिहार'; एक जंगली जाति । पु० सियार पाध; कनखजूरा; एक तरहका ऊख । स्त्री० भुक*-पु० भोजन, आहार; अग्नि । सतावर; भटकटैया; डरपोक स्त्री; चाँदीबकरी; छाया। भुकड़ी -स्त्री० फफूंदी। भीरता-स्त्री० [सं०] भयशीलता, बुजदिली।
भुकराँद, भुकरायँध-स्त्री० सइनेसे उत्पन्न दुर्गध । भोरुताई-स्त्री० दे० 'भीरुता'।
भुकाना-स० कि० भूकने, बकवाद करने में प्रवृत्त करना।
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