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बेलव- बैगनी
बेलंब * - पु० बिलंब, देर । बेल - पु० एक प्रसिद्ध वृक्ष या उसका फल, बिल्व, श्रीफल । - गिरी - स्त्री० बेलके फलका गूदा । - पत्ती - स्त्री०, - पत्र - पु० बेलका पत्ता । -पात-पु० बेलपत्ता । बेल - स्त्री० जमीन, दीवार, पेड़ आदिपर फैलनेवाला बिना तनेका पौधा, लता; वंश; कागज, कपड़े आदिपर रंग, रेशम आदि से बनाये हुए लताकी शकल के फूल-पत्ते; कपड़ेपर टाँका जानेवाला फीता जिसपर जरीके तारोंसे फूलपत्तियाँ बनी हों; दाग-बेल; * बेला । - बूटा-पु० कागज, कपड़े आदिपर बनाये जानेवाले फूल-पत्ते । मु० - बढ़नावंश बढ़ना । - मँढे चढ़ना- कामका पूरा होना । बेल- पु० एक तरहकी कुदाल । -चा-पु० छोटी कुदाल, लंबा खुरपा । - दार - पु० फावड़ा चलानेवाला मजदूर । - दारी - स्त्री० बेलदारका काम । बेलड़ी, बेलरी* - स्त्री० बेल । बेलम - पु० काठका बना लंबा, गोला दस्ता जिससे चकलेपर रोटी, पूरी आदि बेलते हैं; पत्थर, लोहेका भारी गोला जिससे सड़क आदि दबाकर बराबर करते हैं (रोलर); छापने, ईख पेरनेकी कल आदिका बेलनकी शकुका पुरजा । बेलना - स० क्रि० चकलेपर बेलनसे रोटी, पूरी आदि बनाना | पु० दे० ' बेलन' | बेलवाना-स० क्रि० बेलनेका काम दूसरेसे कराना; वेलने में साथ देना ।
बेलसना* - अ० क्रि० मौज करना, विलास में लिप्त रहना । बेला- पु० एक सुगंधित फूल; उसका पौधा; समुद्रतट; मोगरा; कटोरा; सारंगी जैसा एक बाजा । स्त्री० दे० 'वेला'। बेलि - स्त्री० दे० 'बेल' ।
बेली - पु० साथी, सहायक । बेवट* - स्त्री० विवशता, संकट । बेवपार* - पु० दे० 'व्यापार' | बेवपारी* - पु० दे० 'व्यापारी' ।
बेवरा* - पु० दे० 'ब्योरा' (बेवरे ) वार- वि० तफसील के
साथ |
बेवसाउ* - पु० दे० ३ 'व्यवसाय' ।
बेवस्था * - स्त्री० शास्त्रीय विधान; प्रबंध; स्थिति । बेवहरना * - स० क्रि० व्यवहार करना, बरतना । बेवहरिया* - पु० महाजन, साहूकार; मुनीम | बेवहार* - पु० दे० 'व्यवहार' |
बेवा - स्त्री० [फा०] विधवा, राँड़ ।
बेवाई - स्त्री० दे० 'बिवाई' ।
बेवान* - पु० दे० 'विमान' |
बेश - वि० [फा०] ज्यादा, अधिक । क़ीमत- वि० बहुमूल्य, दामी । - क्क़ीमती - वि० दे० 'बेशक़ीमत' । बेशी-स्त्री० अधिकता, वृद्धि; नफा । बेसंदर* - पु० वैश्वानर, अग्नि ।
बेसँभर, बेस भार* - वि० बेसुध, बेहोश | बेस - पु० दे० 'वेश' ।
बेसन - पु० मटर या चनेकी दालका आटा । बेसनी - वि० बेसनका बना हुआ । स्त्री० बेसनकी बनी
हुई पूरी
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बेसर - स्त्री० नाकका एक गहना, एक तरहका बुलाक । पु० गधा, खच्चर; एक अंत्यज जाति । * वि० दे० 'बे' में । बेसरा* - पु० एक शिकारी चिड़िया;खच्चर । वि० निराश्रय । बेसart - स्त्री० वेश्या, रंडी । पन- ५० वेश्यावृत्ति । बेसहना * - स० क्रि० खरीद करना, मोल लेना । बेसा* - स्त्री० वेश्या, रंडी ।
बेसारा* - वि० बैठनेवाला; रखने, जमानेवाला । बेसाहना * - स० क्रि० मोल लेना, खरीदना | बेसाहनी * - स्त्री० सौदा; खरीद | बेसाहा* - पु० सौदा; खरीदी हुई चीज । बेस्वा* - स्त्री० वेश्या ।
बेहँसना * - अ० क्रि० दे० 'विहँसना' |
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बेह - *पु० छेद । वि० [फा०] अच्छा, भला । -तरवि० अधिक अच्छा । अ० बहुत अच्छा, अच्छी बात है ( स्वीकृति सूचित करता है) । - तरी - स्त्री० भलाई, हित । - बूद, - बूदी - स्त्री० भलाई, हितः खुशहाली । बेहड़ - + वि० दे० ' बीहड़' । * पु० जंगल आदि विकट स्थान । बेहना - पु० धुनिया, जुलाहोंकी एक उपजाति । बेहर* - वि० स्थावर; विलग, जुदा । पु० बावली । बेहरना-अ० क्रि० फटना, दरार पड़ना । बेहरा* - वि० अलग, जुदा ।
बेहराना * - अ० क्रि० विदीर्ण होना, फटना । स० क्रि० फाड़ना, विदीर्ण करना ।
बेहरी । - स्त्री० चंद्रा ।
बेहु - पु० दे० 'बेह' ।
बेहून * - अ० बिना, बगैर । वि० विहीन ।
बैंक - पु० [अ०] लोगोंका रुपया जमा करने और माँगनेपर ब्याजसहित लौटा देनेका कारबार करनेवाली कोठी । बैंकर - पु० [अ०] महाजन ।
बैंगन - पु० दे० 'वेगन' ।
बैंगनी, बैजनी - वि० ३० 'बेगनी' । स्त्री० एक पकवान जो बैगनका टुकड़ा बेसनमें लपेटकर तेल में तलनेसे तैयार होता है ।
बेड़ा * - पु० दे० 'बेडा' ।
बैत, बैता* - पु० दे० 'चैत' |
बै - स्त्री० जुलाहोंकी कंघी; दे० 'वय' । - संधि - स्त्री० वयःसंधि |
-स्त्री० [अ०] खेत आदिकी ऐसी बिक्री जिसमें खरीदनेवालेका उस चीजपर स्थायी और पूर्ण अधिकार होता है । - नामा - पु० वह कागज जो बेचनेवाला खरीदनेवालेको लिखता है।
बैकना * - अ० क्रि० बहकना ।
बैकुंठ - पु० दे० 'वैकुंठ' |
बैखरी - स्त्री० दे० 'वैखरी' (वाक्शक्ति: चिल्लाहट) । बैखानस - पु० दे० 'वैखानस' |
बैग - पु० [अ०] बेग, थैला, बोरा । - पाइप - पु० मशकबीन । बैगन- पु० एक पौधा जिसका फल तरकारीके काम आता है, भंटा ।
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बैगनी - वि० बैगनके रंगका । पु० बैगनके रंगसे मिलता हुआ रंग । स्त्री० दे० 'बैंगनी' ।