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अनाड़ी, बेशऊर । - हूदगी - स्त्री० बेहूदापन; अशिष्टता, असभ्यता । - हूदा - वि० असंगत, बेतुका; अशिष्ट, भद्दा । - हैफ़ * - वि०" बेफिक्र, निश्चित -होश-वि० जिसे
होश न हो, अचेत । - होशी - स्त्री० अचेतपन, मूर्च्छा । मु०- परकी उड़ाना-बेतुकी हाँकना, गप मारना । - परके कबूतर उड़ाना - चतुराईके बलसे अनहोनी बात कर लेना; हवामें गिरह बाँधना । - पँदीका लोटा ( बधना ) - जो किसी बातपर स्थिर न रहे, जिसका मत बदलता रहे, ढुलमुल ।
बेइलि* - पु०, स्त्री० दे० 'बेला' तथा 'वेल' ।
बेकारयो* - ५० जोर से बुलाने की आवाज । बेख* - ५० दे० 'वेष' ।
बेग - पु० दे० 'वेग' ; [तु०] अमीर, सरदार | [अं० 'बेग'] किरमित्र, चमड़े आदिका लंबोतरा, बकसका काम देनेवाला थैला । - पाइप - पु० बैंड के साथ बजाया जानेवाला एक बाजा, मशकवीन ।
बेगड़ी - ५० जौहरी; नगीने तराशनेवाला । बेगना * - अ० क्रि० वेगपूर्वक करना, जल्दी करना । बेगम - स्त्री० [तु० 'बेगुम'] बड़े आदमीकी बीबी, खातून; रानी रानीकी शकलवाला ताशका पत्ता ।
बेगर - वि० पृथक्, भिन्न । बेगार - स्त्री० [फा०] जबर्दस्ती, बिना उजरत दिये कराया जानेवाला काम; बेभनका काम । मु० टालना - बिना मन लगाये, बेगारकी तरह काम करना । बेगारी - स्त्री० दे० 'वेगार' |
बेगि * - अ० जल्दी, वेगपूर्वक, झटपट ।
बेचक* - पु० बेचनेवाला ।
बेचना - स० क्रि० दाम लेकर देना, बिक्री करना; पैसेके बदले में देना ( धर्म, ईमान इ० ) । मु० बेच खानानष्ट कर देना; उड़ा डालना ।
बेचवाना, बेचाना-स० क्रि० दे० 'विकवाना' | बेचवाल - ५० दे० 'वेचू’। बेची - स्त्री० विक्री, विक्रय । बेचू - ५० बेचनेवाला | बेझ* - पु० दे० 'बेझा' ।
बेश- पु० जौ, चना, मटर आदिकी मिली हुई फसल; ऐसा अनाज |
बेझना * - स० क्रि० निशाना लगाना, बेधना । बेझा* - पु० बेध, निशाना ।
बेटकी * - स्त्री० दे० 'बेटी' |
बेटला, बेटवा * - ५० दे० 'बेटा' |
बेटा - पु० पुत्र, लड़का; स्नेहका संबोधन, बच्चा । -बेटीस्त्री॰ बाल-बच्चे, संतान | ( बेटे ) वाला - पु० बरका पिता । बेटी - स्त्री० लड़की, पुत्री; बड़े की ओरसे बालिका या युवती का स्नेहसूचक संबोधन । -वाला- पु० कन्याका पिता । - व्यवहार - पु० विवाह संबंध | मु०-देना- बेटी
ब्याहना । - लेना- किसीकी बेटी से ब्याह करना । बेटन - ५० पुस्तक आदिको गर्दसे बचाने के लिए उसपर लपेटा जानेवाला कपड़ा, खोल ।
बेड़ - स्त्री० बाड़, थाला ।
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बेइलि - बेलंद
बेड़ना-स० क्रि० बाड़ लगाना, थाला बनाना । बेड़ा - पु० लट्ठों या तख्तोंको बाँधकर और उनपर बाँसका टट्टर रखकर बनायी हुई नाव; नावों या जहाजका समूह; नाव | मु० - डूबना - काम बिगड़ना, नष्ट, तबाह होना । - पार होना - संकट कटना, काम हो जाना । बेदिन, बेड़िनी - स्त्री० नाचने-गानेका पेशा करनेवाली स्त्री, नटिनी ।
बेड़ी - स्त्री० कैदियों, हाथी-घोड़ों आदिके पाँवों में पहनायी जानेवाली लोहे की जंजीर, निगड (कटना, पड़ना); बंधन; छोटा बेड़ा, नाव; दे० 'बेंड़ी' |
बेढ़ - पु० घेरनेका कार्य; नाश; अंकुरित बीज ।
बेदई - स्त्री० पीठी भरकर बनायी हुई रोटी या पूरी । बेदना - स० क्रि० बाड़ बनाना, रूघना; ढोरोंको घेरकर लेजाना ।
बेदा- पु० एक तरहका कडा; मकान की बारी; घेरा । बेणी - स्त्री० दे० 'वेणी' । - फूल - पु० सीसफूल । बेत - पु० दे० 'त' । - पानि - वि० जिसके हाथमें बेत या दंड हो । मु० -की तरह काँपना-बहुत डरना । बेतना* - अ० क्रि० जान पड़ना । बेताल - पु० दे० 'बेताल' ; * चारण । बेद - पु० दे० 'वेद' ; [फा०] बेत | बेदन* स्त्री० दे० 'वेदन' । बेदना - स्त्री० दे० 'वेदना' ।
बेदार - वि० [फा०] जागता हुआ, जागरूक; चौकन्ना । - बख्त - वि० भाग्यशाली ।
बेदारी - स्त्री० [फा०] जागरण, जागरूकता ।
बेध-५० छेद; मोती, मूँगे आदिमें किया हुआ छेद; दे० 'वेध' ।
बेधक - वि० वेधनेवाला ।
बेधना-स० फि० छेद करना; धाव करना ।
बेधिया - ५० वेधनेवाला; अंकुश ।
बेन* - ५० दे० 'वेणु'; मद्दुवर ।
बेना- पु० बाँसके छिलकेका बना हुआ पंखा एक गहना; * खस; बॉस ।
बेनी-स्त्री० स्त्रियोंकी चोटी; त्रिवेणी; किवाड़ के पल्लेके किनारे लगायी जानेवाली वह लकड़ी जो दूसरे पल्लेको खुलने से रोकती है।
बेनु- ५० दे० 'वेणु' |
बेनौरा - पु० दे० 'बिनौला' ।
बेनौरी - स्त्री० विनोलेके समान छोटे छोटे ओले, बनौरी । बेमौसम - वि० दे० 'वे' के साथ ।
बेर-पु० एक प्रसिद्ध फल; उसका पेड़ । स्त्री० देर, समय; बार, दफा ।
बेरवा - पु० कलाई में पहननेका कड़ा ।
बेरा - स्त्री० समय; सबेरा; दफा, बार। * पु० बेड़ा, नाव; पोत- समूह |
बेरामा - वि० दे० 'बीमार' |
बेरिआ, बेरियाँ - स्त्री० बेला, समय । बेरी* - स्त्री० दे० 'बेड़ी'; नौका । बेलंद* - वि० बुलंद, ऊँचा ।
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