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बालकपन-बासी बालकपन-पु० बचपन; नासमझी।
बालेंदु-पु० [सं०] दूजका चाँद । बालकीय-वि० [सं०] बालक-संबंधी; बालकोंका। बालेय-वि० [सं०] बालकोंके लिए हितकर; बलिके योग्य बालटी-स्त्री० लोहे, पीतल आदिका बना डोल ।
मृदु, मुलायम; बलिसे उत्पन्न । पु० बलिका बेटा; गदहा । बालटू-पु० पेचको दूसरे सिरेसे कसनेवाला पेचदार छल्ला । बालोपचार-पु० [सं०] बच्चोंका इलाज । बालना-स० क्रि० जलाना।
बाल्य-पु० [सं०] बचपन, बालकाल; १६ बरसतककी बालपन-पु० बचपन ।
अवस्था नासमझी। -काल-पु० बचपन । बालम-पु० पति प्रेमी ।-खीरा-पु० एक तरहका खीरा। बाल्हक, बाल्हिक, बाल्हीक-पु० [सं०] बलखदेश; बाला-पु. कान में पहननेका एक गहना, बड़ी बाली; गेहूँ- बलखका रहनेवाला; बलखका घोड़ा; केसर; हींग । जौकी फसल में लगनेवाला एक कीड़ा । स्त्री० [सं०] लड़की, बाव*-पु० दे० 'वायु'; अपानवायु, वातदोष । बालिका १६ बरससे कम उम्रकी युवती; युवती। वि० बावड़ी-स्त्री० दे० 'बावली'। [हिं०] कमसिन; बालस्वभाव, भोला। -जोबन-पु. बावन-वि० पचास और दो। पु० पचास और दोकी संख्या, उठती जवानी। -पन-पु० लड़कपन । -भोला-वि० ५२ + दे० 'वाभन'।-तोले पाव रत्ती-बिलकुल ठीक । सीधासाधा, सरल।
-बीर-बहुत चतुर और बहादुर । बाला-वि० [फा०] ऊपरका; ऊँचा। पु० डील; लंबाई- बावर*-वि० दे० 'बावला'। ऊँचाई ।-खाना-पु० ऊपरकी मंजिलका कमरा,अटारी। बावरची-पु० खाना पकानेवाला, रसोइया (मुसल०)। -नशीन-पु० बैठनेकी ऊँची जगह । वि० सबसे अच्छा,
-खाना-पु० रसोई, पाकशाला। बढ़िया। -बाला-अ० ऊपर-ऊपर बाहर-बाहर । -य बावरा*-वि० पागल । ताक-वि० अलग, दूर (रखना)।
बावरि, बावरी-स्त्री० दे० 'बावली' । बालाई-वि० [फा०] ऊपरका (हिस्सा)। स्त्री० मलाई । बावला-वि० वातरोगी; पागल, सिड़ी।-पन-पु० पागल
-आमदनी-स्त्री० ऊपरकी आमदनी, वेतन या बँधी पन; सनक, सिड़। वृसिके अतिरिक्त मिलनेवाली रकम ।
बावली-स्त्री. चौड़ा कुआँ जिसमें नीचे जानेके लिए बालातप-पु० [सं०] सबेरेकी धूप ।।
सीढ़ियाँ बनी हों; छोटा सोपानयुक्त तालाब । बालादित्य-पु० [सं०] नवोदित सूर्य ।
बावा-वि० दे० 'बायाँ'। बालाध्यापक-पु० [सं०] बच्चोंको पढ़ानेवाला ।
बाशिंदा-पु० [फा०] बसनेवाला । बालामय-पु० [सं०] बच्चोंका रोग।
बाष्प-पु० [सं०] आँसू भाप लोहा ।-कंठ-वि.जिसका बालार्क-पु० [सं०] बालसूर्य; कन्याराशिमें स्थित सूर्य । | गला भर आया हो। -मोचन-पु० आँसू बहाना । बालावस्था-स्त्री० [सं०] बचपन ।
-सलिल-पु० अश्रुजल । बालि-* स्त्री० मंजरी । पु० [सं०] दे० 'बाली'। -हंता- बाप्पांबु-पु० [सं०] अश्रुजल । (त),-हा(हिन्)-पु० राम । -कुमार-अंगद । बासंतिक-वि० 'वासंतिक', वसंत-संबंधी। पु० विदूषक । बालिका-स्त्री० [सं०] छोटी लड़की; बेटी; बाली।-विद्या- बास-पु० निवास वासस्थान, वस्त्र, * दिन । स्त्री० गंध लय-पु. लड़कियोंका मदरसा ।
वासना; आग; एक हथियार । -फूल-पु० एक सुगंधित बालिग़-वि० [अ०] वयःप्राप्त, सयाना। पु० सयाना | धान । -मती-पु० एक खुशबूदार चावल । आदमी।
बासकसजा-स्त्री० दे० 'वासकसज्जा' । बालिग़ा-स्त्री० सयानी, १५ वर्षसे अधिक उम्रकी लड़की । बासठ-वि० साठ और दो। पु० ६२की संख्या । बालिश-वि० [सं०] बालोचित बालबुद्धि, नासमझ; बासन*-पु० बरतन, वस्त्र । लापरवाह । पु० शिशुः मूर्ख व्यक्तिः [फा०] तकिया,
बासनवारा*-पु० सुगंधित करनेवाला । मसनदा बढ़ती।
बासना-स० क्रि० बसाना, सुवासित करना; स्त्री० दे० बालिश्त-पु० [फा०] अँगूठेके सिरेसे छिंगुनीके छोरतक- | 'वासना'; गंध । की लंबाई, बित्ता।
बासर*-पु० दे० 'वासर'। बालिस*-वि०, पु० दे० 'बालिश' ।
बासव-पु० इन्द्र। बाली--स्त्री० सोने या चाँदीके तारका छल्ला जो कानमें
बाससी*-स्त्री० कपड़ा, वस्त्र । पहना जाता है। गेहूँ-जौ आदिकी बाल, खोशा। बासा-पु० अडूसा; एक पक्षी; भोजनालय * निवासबाली(लिन्)-पु० [सं०] सुग्रीवका बड़ा भाई । -कुमार, | स्थान । वि० बासी। -तनय-पु० अंगद ।
बासिग*-पु० 'वासुकि नाग । बालुका-स्त्री० [सं०] बालू , रेत ।
बासित*-वि० वासित, सुगंधित किया हुआ। कपड़ेसे बालू-स्त्री०, पु० रेत ।-दानी-स्त्री० वह डिबिया जिसमें | ढका हुआ। स्याही सुखानेके लिए बालू रखी जाती है।-शाही-स्त्री० | बासी-वि०, पु० रहनेवाला । वि० देरका पका हुआ, दूसरे एक प्रसिद्ध मिठाई ।-की घड़ी-शीशेका अंडाकार पात्र | जून या रातका बचा हुआ (खाना); पिछले दिनका जिसमें भरी हुई रेत उसके छेदसे एक घंटेमें नीचे के पात्र में तोड़ा, रखा हुआ (फल, पानी); सूखा, कुम्हलाया हुआ। गिर जाती है। -की भीत-क्षणभंगुर वस्तु ।
-ईद-स्त्री० ईदका दूसरा दिन । -तिबासी-वि० कई
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