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बारह-बालकताई
बरबाद, नष्ट-भ्रष्ट होना ।
बारहाँ - वि० बारहवाँ | अ० दे० 'बार-हा' | बारा - वि० बालक, किशोर; कोमलवय, कमसिन । पु० बेटा; बालक । बारते * - बचपन से ।
बारा - पु० [फा०] समय, बार; विषय । ( बारेमें के विषय में) ।
बारात - स्त्री० दे० 'बरात' ।
बाराती - पु० दे० 'बराती' । बारादरी - स्त्री० दे० 'बारहदरी' |
बारानी - वि० [फा०] वर्षापर अवलंबित, सींची न जा सकनेवाली (फसल, जमीन ) । स्त्री० वह जमीन जिसमें केवल वर्षासे सिंचाई हो, कुएँ आदिका सुभीता न हो; बिना सींचे होनेवाली फसल; बरसाती कोट । बाराह - पु० दे० 'वाराह' ।
बारि* - पु० दे० 'वारि' । ( -ज-द-आदि भी ) । - बाह- पु० बादल ।
बारिगर* - पु० हथियारोंपर सान रखनेवाला । बारिगह * - स्त्री० दे० 'बारगह' ( तम्बू) - 'चितउर सौह बारिगह तानी' - प० ।
बारिश - स्त्री० [फा०] वर्षा, मेह; बरसात ।
बारी - स्त्री० अनेक व्यक्तियोंमेंसे प्रत्येकको मिलनेवाला यथा क्रम अवसर, पारी; पारीके बुखारका दिन । -काबारी से आनेवाला (ज्वर) । - बारीसे - एकके बाद दूसरा । बारी - वि० स्त्री० कमसिन (लड़की) । स्त्री० किशोरी, बालिका; नवयुवती; बड़े पेड़ोंका बाग; किनारा; धार; छोर; औंठ; दे० 'बाली'; दे० 'बाड़'; घर; खिड़की । पु० एक हिंदू जाति जो दोने-पत्तल आदि बनानेका धंधा करती है ।
बारीक - वि० [फा०] महीन, बहुत पतला; सूक्ष्म; समझनेमें कठिन, गूढ़ |
बारीकी स्त्री० [फा०] बारीकपन; सूक्ष्मता; खूबी, सूक्ष्म गुण-दोष
बारीस * - पु० दे० 'वारीश' |
बारुणी, बारुनी* - स्त्री० दे० 'वारुणी' | बारू* - स्त्री०, पु० दे० 'वालू' । बारूद-स्त्री॰ शोरे, गंधक और कोयलेका बारीक चूर्ण जो अग्निके संयोगसे भड़क उठता और आतिशबाजी तथा . तोप बंदूक चलाने में काम आता है । खाना-पु० बारूद या गोली बारुदका भंडार ।
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स्त्री० बच्चों का खेल, बालक्रीडा । -क्रीडन - पु० बच्चों की क्रीडा । - क्रीडनक - पु० खिलौना । -क्रीडा-स्त्री० दे० 'बालकेलि' ।-खंडी - [हिं०] पु० ऐबी हाथी । -खोरापु० [हिं०] बाल झड़नेका रोग, गंजापन । -गोपालपु० बालक कृष्ण; बाल-बच्चे । -ग्रह- पु० बालकोंको पीड़ा पहुँचानेवाला उपग्रह या पिशाच ( इनकी संख्या ९ बतायी गयी है); बालरोगविशेष । -चंद्र- पु० दूजका चाँद । -चर- पु० बालकों में चारित्र्य, लोकसेवा और स्वावलंबनका भाव लाने के लिए स्थापित संघका सदस्य ( ब्वायस्काउट ) । -चरित - पु० बाललीला, बचपनके काम । -चर्या स्त्री० बच्चों का रख-रखाव, शिशु पालन । -तोड़ - पु० [हिं०] बाल टूट जानेसे होनेवाला फोड़ा । -धि-स्त्री० पूँछ । - धी* - स्त्री० दे० 'बालधि' । - बच्चे - पु० [हिं०] लड़के वाले, संतान । - बराधर - अ० [हिं०] बहुत बारीक; जरासा, रत्तीभर । - बाँधा गुलामपु० [हिं०] हर आज्ञाका पालन करनेवाला, इशारे पर काम करनेवाला सेवक । -बाल - अ० पूरा; सिर से पैरतक; हरएक; जरासा । - बुद्धि-स्त्री० बालोचित बुद्धि; नासमझी, कम अकली । वि० लड़कोंकीसी अकल रखनेवाला; अल्पबुद्धि । - बोध - वि० बालकोंकी समझमें आनेवाला, आसान । - ब्रह्मचारी (रिन् ) - पु० बचपन से ब्रह्मचर्य रखनेवाला आजन्म ब्रह्मचारी । -भाव-पु० बचपन; बालरूप । - भोग - पु० [हिं०] प्रातःकालका ( कलेवारूप) नैवेद्य । - भोज्य- पु० चना । - मुकुंद - पु० बालक कृष्ण । -रोग - पु० बच्चोंको होनेवाला रोग ।-लीला - स्त्री० बालचरित, बालक्रीडा । - विधवा स्त्री० छोटी उम्र में ही विधवा हो जानेवाली स्त्री । विधु -पु० दूजका चाँद, बालचंद्र | - विवाह - पु० बचपनका, छोटी उम्रका व्याह । - सखा (खि) - पु० बचपन का दोस्त, बच्चोंका दोस्त । -सफ़ा[हिं०] [वि० बाल सफा करने, उड़ानेवाला (साबुन, दवा) । - सूर्य - पु० उगता हुआ सूर्य । - स्थान - पु० बचपन | - हठ-पु० बच्चेका हठ, जिद । मु०- का कंबल बनाना, - की भेड़ बनाना - अतिरंजना करना, तिलका ताड़ बनाना । —की खाल खींचना या निकालना - बहुत छान-बीन करना । - खिचड़ी होना- स्याहसे सफेद बाल अधिक हो जाना। - धूप में पकाना - बूढ़ा हो जानेपर भी शान, अनुभवसे कोरा रहना । (किसी काम में) - पकाना - (कुछ करते हुए) बूढ़ा होना; अनुभव प्राप्त करना । - बाँका होना- कष्ट, चोट पहुँचाना; हानि, अनिष्ट होना । - बाँधा निशान उड़ाना-पक्का, अचूक निशाना लगाना। - बाल गुनहगार होना - हर तरहसे, सिरसे पैरतल, अपराधी होना । - बाल दुश्मन होना- हर एक, का दुश्मन होना, सभीका शत्रु हो जाना ।-बाल बचना - विपद् में पड़ते-पढ़ते बच जाना, पड़ने में तनिकसी ही कसर रहना, साफ बचना । - बाल बँधना या बँधा होना - ( किसीके ऋण - उपकार से ) बहुत अधिक बँधा, दबा होना ।
बालक - पु० [सं०] बच्चा, लड़का; बछेड़ा; नाबालिग, अनजान, नासमझ आदमी; मोथा; हाथीका बच्चा ।
बारे - अ० [फा०] अंतमें, आखिरकार; लेकिन; खैर | बारोठा - पु० द्वार; ब्याहकी एक रस्म द्वारपूजा । बाल-स्त्री० जौ, गेहूँ आदिका वह भाग जिसमें दाने गुछे होते हैं, खोशा । पु० [सं०] बच्चा, बालक; वह जिसकी उम्र सोलह वर्ष से ऊपर न हो; केश, रोम; शीशे आदिकी चीजोंमें पड़ी हुई दरार । वि० जो पूरी बाढ़को न पहुँचा हो; नवोदित; नासमझ, मूर्ख । * स्त्री० बाला, तरुणी । -कमानी - स्त्री० [हिं०] घड़ीके बैलेंसमें लगायी जानेवाकी बारीक कमानी । -कांड-पु० रामायणका पहला खंड जिसमें रामचंद्रके जन्म, बाललीला, विवाह आदिका वर्णन है । -काल- पु० बचपन, बाल्य ।-केलि, केली- | बालकताई * - स्त्री० लड़कपन, नासमझी ।
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