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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ५६७ बाप- पु० पिता, जनक। -का-वि० पैतृक, मौरूसी । - दादा - पु० पुरखे, पूर्व पुरुष । - रे, रे बाप- अ० दुःख या गय सूचित करनेवाला उद्द्वार । मु०- की चीज़ समझना - अपनी मिलकीयत समझना । - दादाका नाम डुबाना-कुलकी प्रतिष्ठा मिटाना। - दादा बखा नना - बाप-दादाको बुरा-भला कहना, गाली देना । - दादा से पीढ़ियोंसे । - बनाना - अति सम्मान करना; चापलूसी करना । बापी - स्त्री० दे० 'वापी' | बापुरा - वि० गरीब, बेचारा; तुच्छ, नगण्य | बापू | - पु० दे० 'बाप'; पिता या अन्य गुरुजनका संबोधन । बाप्पा - पु०मेवाड़ के राजवंशका आदिपुरुष (जन्म७६९ वि० ) । बाफ़ता, बाफ़्ता - पु० [फा०] एक तरहका रेशमी कपड़ा । बाब- पु० [अ०]द्वार, दरवाजा; दरबार; पुस्तकका अध्याय । बाबत - स्त्री० [फा०] विषय; जरीया । (किसीकी बाबत - किसी के विषय, बारेमें) । बावरची- पु० दे० 'बावरची' । बाबा- पु० [फा०] बाप दादा; बूढ़ा, पके बालोंवाला आदमी; साधु-संन्यासी; साधु-संन्यासियों के लिए प्रयुक्त एक आदरसूचक शब्द; बच्चोंके लिए प्यारका शब्द । बाबी* - स्त्री० साधुनी । बाबुल - पु० बाप, पिता, बाबू । बाबू - पु० बड़ा क्षत्रिय जमींदार; ठाकुर; शिक्षित, प्रतिष्ठित जन; क्लर्क (बड़े बाबू हेड शर्क ); दे० 'बाबूजी' । -जीपु० पिता पिता या अन्य आदरणीय जनका संबोधन । - साहब - पु० आदरणीय जनके लिए प्रयुक्त शब्द । बाबूना - पु० दवा के काम आनेवाला एक पौधा । बाम - वि० दे० 'वाम' | बामा - वि०, स्त्री० दे० 'वामा' | बामी - स्त्री० बाँबी । वि० वाममार्गी । बाम्हन - पु० दे० 'ब्राह्मण' । बायँ*-वि० दे० 'बायाँ’; चूका हुआ । मु० -देना - तरह देना; फेरा देना | बाय * - स्त्री० वायुः वातका प्रकोप - 'भटा एकको पित करै, करे एकको बाय'-; वापी, बावली । बायक* - पु० वाचक; दूत । बायन - पु० मित्रों, संबंधियं के यहाँ भेजी जानेवाली मिठाई आदि (बाँटना); + दे० 'बयाना' । मु० -देनाछेड़छाड़ करना (भले घर बायन दिया) । बायवी - वि० बाहरी, गैर, अजनबी। वायव्य - वि०, पु० दे० 'वायव्य' । बायलर - पु० [अ० 'ब्वायलर'] बड़ा बरतन जिसमें कोई चीज उबाली जाय; इंजनका वह भाग जहाँ भाप तैयार करनेके लिए पानी खौलाया जाता है । वायला - वि० वातकारक । वायली* - वि० दे० 'वायत्री' | बायस * - पु० दे० 'वायस' । बायस्कोप - पु० [अ०] परदेपर चलते-फिरते चित्र दिखलानेवाला एक यंत्र । बायाँ - वि० पूरबकी ओर मुँह होनेपर उत्तरकी ओर पड़ने ३६-क Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir बाप- वारह वाला (अंग), दाहनाका उलटा, वाम; विरुद्ध, प्रतिकूल । [स्त्री० 'वाय' ।] पु० बायें हाथसे बजाया जानेवाला तबला । सु० - कदम लेना-दे० 'बायाँ पाँव पूजना' । - देना - कतरा जाना; त्याग देना। -पाँव या पैर पूजना -- गुरु मानना; हार मानना; उस्तादीका कायल होना । ( बायें हाथका काम, खेल-बहुत आसान काम । - हाथसे गिनवा या रखवा लेना - जबरदस्ती लेना, धरवा लेना । बायु - स्त्री० दे० 'वायु' । बायें - अ० बायीं ओर; प्रतिकूल (होना) । मु० - होना - प्रतिकूल होना । बारंबार - अ० फिर-फिर, कई बार । बार - पु० द्वार (घर-बार); जनसमूह; टट्टर, घेरा; किनारा; धार; * केश, बाल; * बालक; ठिकाना; * वारि, जल । स्त्री० समय दे दफा, मर्तबा । -तिय, -बधू, - बधूटी* - स्त्री० दे० 'वारवधू' । - मुखी* - स्त्री० वारवधू । - बार- अ० पुनः पुनः, अनेक बार । बार - पु० [फा०] बोझ, भार; ऋणभार; फल; वृक्षशाखा; गर्भ, भ्रूण; दरबार, इजलास; दखल, पहुँच । स्त्री० दफा, मर्तबा । -गह, -गाह - स्त्री० दरवा; कचहरी; शाही खेमा । - दान, दाना-पु० वह चीज जिसमें कुछ रखा जाय, बोरा, थैला आदि; रसद; टूटे-फूटे सामान । -बरदार - वि० बोझ ढोनेवाला । पु० मोटिया, मजदूर । -बरदारी - स्त्री० बोझ सामान ढोनेका काम; ढुलाई, ढोनेकी उजरत; दुलाईका साधन, वाहन । -हा-अ० अनेक वार | बारजा - पु० बालाखानेके सामने पाटकर बनाया हुआ खुला या छतदार बरामदा । बारण- पु० दे० 'वारण' । बारता * - स्त्री० दे० 'वार्ता' | बारना - सु० क्रि० रोकना, निवारण करना; न्योछावर करना; जलाना । बारनिश - स्त्री० [अं० 'वारनिश'।] लकड़ी चमड़े आदिपर चमक लाने के लिए लगाया जानेवाला रोगन | बारह - वि० दससे दो अधिक । पु० दस और दोकी संख्या, १२ । - खड़ी - स्त्री० व्यंजनोंके बारहों स्वरोंसे युक्त रूप । - दरी - स्त्री० वह कमरा जिसमें सब ओर बारह या अधिक दरवाजे हों । - पानीका बारह बरसका ( सूअर ) । - बान, - बाना - वि० दे० 'बारहबानी' । - बानी - वि० खरा, खालिस (सोना); निर्दोष, बेऐव; पूरा, कामिल । - मासा - पु० वह पद्य या गीत जिसमें बारहों महीनों की प्राकृतिक विशेषताओंका वर्णन हो । -मासी - वि० बारहों महीने फलने-फूलनेवाला, सदाबहार; जो बारहों महीने रहे, काम करे । - मुकाम पु० ईरानी संगीतके बारह परदे । - वफात - स्त्री० रवीउल - औवलकी १२ वीं तिथि जो मुहम्मदकी निधन तिथि है । - सिंगा, -सिंघा - पु० हिरनका एक भेद जिसके नरके सींगों में अनेक शाखाएँ होती हैं। मु० बाट करना - तितर-बितर करना, बरबाद, नष्ट-भ्रष्ट करना । - बाट छालना* - दे० 'बारह बाट 'करना' । - बाट जाना या होना - तितर-बितर होना; For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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