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बाड़-बात * वाटिका।
सँदेसा, इच्छा, कामना । -चीत-स्त्री० दो या अधिक बाड़-स्त्री० फसलकी रक्षाके लिए बनाया हुआ काँटे-बाँस आदमियोंका आपसमें बातें करना, वार्तालाप, गुफ्तगू। आदिका घेरा, झाड़बंदी, टट्टी, दे० 'बाद'।
-फरोश-वि०, पु० बातें बनानेवाला, झूठी बातें आदि बाडव-पु० [सं०] बडवाग्नि ब्राह्मण; घोड़ियोंका झुंड । करनेवाला; चापलूस । मु०-आँचलमें बाँधना-दे० बाड़ा-पु० इहाता, धेरा पशुशाला।
'बात गाँठ बाँधना' । -आना-चर्चा छिड़ना । (किसीबादि*-स्त्री० टट्टर में बाड़ी।
पर)-आना-दोषारोप होना। -आ पड़ना-प्रसंग बाडी-स्त्री० फलोंका बागा वाटिका; घिरी जगह; घर । आना; संयोग उपस्थित होना। -उठना-चर्चा चलना, बाड़ी*-पु० दे० 'बाडव' ।
जिक्र होना ।-उठाना-चर्चा चलाना; बात न मानना । बाढ़-स्त्री०बढ़नेकी क्रिया या भाव, वृद्धि विकास बहुतायत, -उड़ना-चर्चा फैलना । -उड़ाना-बात टालना । अधिकता; नफा; नदी आदिके जलका बढ़ना, फैलना; -उलटना-बात पलटना विरुद्ध बात कहना ।-कहतेअतिवृष्टिसे धरतीका जलमग्न होनाबहुतसी तोपों,बंदूकोंका तुरत, झट । -का ओर-छोर-बातका मतलब, बातका एक साथ दगना; तलवार आदिकी धारकोर सान; सिर-पैर । -काटना-बीचमें बोलना, टोकना, बातका किनारा । मु०-का डोरा-तलवारकी धारकी रेखा ।- खंडन करना। -का धनी,-का पूरा-जो कहे वह पर चढ़ाना-सान देना; उकसाना, भड़काना ।-मरना- करनेवाला । -का बतंगड़ करना या बनाना-छोटीसी (रोगादिसे) बाढ़का रुक जाना।
बातको बहुत बड़ी बना देना, तिलका ताड़ बनाना। - बाढ़ना*-अ० कि० दे० 'बढ़ना।
की तह-असल मतलब, तात्पर्य । -की पुड़िया-बहुत बादि*-स्त्री० बाद, वृद्धि ।
बातूनी। -की बातमें-छन भर में, तुरत । -खुलनाबाढ़ी-स्त्री० बाढ़; उधार दिये हुए अन्नके ब्याजरूपमें छिपी बातका प्रकट हो जाना। -गढ़ना-झूठी बात मिलनेवाला अन्न; नफा ।
कहना। -गाँठ बाँधना-बात दिल में बैठा लेना, अच्छी बाढ़ीवाना-पु० धार तेज करनेवाला, सान चढ़ानेवाला । तरह याद कर लेना। -धूंट जाना-दे० 'बात पी बाण-पु० [सं०] लोहेका फल लगा हुआ नरसल या जाना' । -चबा जाना-बातको कहते-कहते बीच में उड़ा पतली सीधी लकड़ीका टुकड़ा जिसे धनुष्पर चढ़ाकर | देना; बातका रुख दूसरी ओर कर देना । -जाना-साख मारते हैं, तीर, शर; बाणका फल, गाँसी; निशाना सर- जाना, एतबार उठना । -टलना-बातका अन्यथा होना, पत; गायका थन; ५ की संख्या बाणासुर; बाणभट्टाअग्नि । कहे मुताबिक न होना । -टालना-बात न मानना; -गंगा-स्त्री. गंगाकी एक सहायक नदी जो कहा जाता सुनी अनसुनी करना। -दुहराना-दूसरेकी बातको है कि एक पहाड़में रावणके बाण मारनेसे निकली है। उलटकर जवाब देना । (मुँहसे)-न आना-मुँहसे बोल -मुक्ति-स्त्री०,-मोक्षण-पु० तीर छोड़ना । -वर्षण- न निकलना । -न करना-धमंडको मारे न बोलना। पु० दे० 'बाणवृष्टि'। -वर्षी(र्षिन्)-वि० वाणोंकी -न पूछना-खोज-खबर न लेना; तुच्छ समझना । वर्षा करनेवाला। -विद्या-स्त्री० बाण चलानेकी विद्या, -निकलना-चर्चा चलना। -नीचे डालना-अपनी तीरंदाजी। -वृष्टि-स्त्री० बाणोंकी वर्षा । -संधान- बातको कट जाने देना, अपनी बातका आग्रह त्याग देना। पु० बाणको धनुषपर चढ़ाना। -सुता-स्त्री. उषा, -पकड़ना-कथनमें गलती, असंगति बताना; नुक्ताचीनी अनिरुद्धकी पत्नी । -हा(हन्)-पु. विष्णु ।
करना। -पचना-सुनी हुई बातको दूसरोंसे न कहना। बाणाभ्यास-पु० [सं०] बाण चलानेका अभ्यास, तीरंदाजी। -पर आना-अपनी बातका पक्ष, हठ करना । -पर बाणावलि-स्त्री० [सं०] बाणोंकी पंक्ति ।
जाना-किसीके कहे पर विश्वास कर लेना, बात मानना। बाणाश्रय-पु० [सं०] तरकश ।
-पर बात कहना-जबाब देना। -पर बात निकलना बाणासन-पु० [सं०] धनुष ।
-चर्चा या प्रसंग, दूसरेके कुछ कहनेके कारण किसी बाणासुर-पु० [सं०] राजा बलिक सौ बेटों में सबसे बड़ा बातका कहा जाना । -पलटना-बात बदलना । -पी जिसके, पुराणोंके अनुसार, हजार हाथ थे और जिसकी जाना-बातको अनसुनी करना, बातको सह लेना। बेटी उषासे कृष्णके पोते अनिरुद्ध का ब्याह हुआ।
-पूछना-खोज-खबर लेना, ध्यान देना; * कद्र करना । बाणि, बाणी-स्त्री० [सं०] दे० 'वाणि', 'वाणी'।
-फेरना-बात पलटना । -फैलना-चर्चा फैलना। बाणिज्य-पु० [सं०] दे० 'वाणिज्य' ।
-बढ़ना-बातका बहस या झगड़ेका रूप ले लेना; मामबात-पु०दे०'वात' । स्त्री० कथन, वचन वार्ता, बातचीत लेका तूल खींचना; साख, मान-प्रतिष्ठा बढ़ना। -बढ़ाना वक्तव्य (भेरी बात तो सुन लो); चर्चा,प्रसंग, कौल, वचन; -बहस, झगड़ा करना; मामलेको तूल देना। -बदलना विषय, मामला; घटना; संयोग, प्रसंग; बहाना, बनावट -बातपर कायम न रहना, दूसरी बात कहना; बातका गूढ़ अर्थ, भेद, मर्म; कथनमात्र; कड़ी बात, डाँट, भर्त्सना विषय, पहलू बदलना। -बनना--काम बनना; मान, (-सहना, सुनना); बातका विश्वास, साख (वात जाना); साख बढ़ना। -बनाना-बहाना करना; काम सँभाल तात्पर्य, मतलब; खूबी, प्रशंसाकी बात काम; लगाव लेना, बिगड़ने न देना। -बातमें-हर बातमें । - चीज, वस्तु; आदत, गुण ( अच्छी, बुरी बातें); स्थिति बिगड़ना-काम बिगड़ना; साख नष्ट होना । -मारना हालत; मोल, दाम (एक बात); रास्ता, उपाय ( मेरे लिए | -असल बात छिपा लेना; व्यंग्य बोलना। -महपर एक ही बात रह गयी है); आदेश (बड़ोंकी बात मानो) लाना-बात बोलना। -में फर्क आना-बात झूठी ठह
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