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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org बलाइ - बसंती बलाइ* - स्त्री० दे० 'बला' [अ०] । बलाक - पु० [सं०] बगला; एक पुराण वर्णित राजा । बलाका - स्त्री० [सं०] प्रिया; कामुकी स्त्री; बगली; वकपंक्ति । बलाढ्य - वि० [सं०] बलवान् । पु० उरद | बलात् - अ० [सं०] बलपूर्वक, जबर्दस्ती । - कार - पु० स्त्रीकी इच्छा के विरुद्ध बलपूर्वक किया जानेवाला संभोग; बलपूर्वक, जबर्दस्ती कुछ करना; बलप्रयोग; अन्याय । - सत्तापहरण - पु० (कूडेटा) दे० 'शासनिक विपर्यय' । बलादवतरण - पु० [सं०] (फोर्ड लैंडिंग) इंजनकी खराबी आदि के कारण हवाई जहाजका हठात् भूमिपर उतर पड़ना । बलादवतरित - वि० [सं०] (फोर्ड लंडेड) जो इंजनकी खराबी आदि के कारण भूमिपर उतर पड़नेको बाध्य हो गया हो ( विमान) । बलाद्ग्रहण - पु० [सं०] ( एग्जैक्शन ) रुपया-पैसा आदि किसी से बलपूर्वक ले लेना; धन-संबंधी अनुचित माँग । बलाधिकृत - पु० [सं० ] ( मार्शल ) सेनाका सर्वोच्च पदाधिकारी । बलाधिक्य - पु० [सं०] बलकी अधिकता | बलाध्यक्ष - पु० [सं०] सेनापति । बलाबल - पु० [सं०] बल और बलाभाव: (दो पक्षों आदिका) तुलनात्मक बल और निर्बलता, महत्त्व और महत्त्व - हीनता । बलाय-स्त्री० दे०‘बला’[अ०] । मु० - लेना-दे० 'बलायें लेना' । बलाराति - पु० [सं०] इंद्र | बलाहक - पु० [सं०] बादल; मोथा । बलिंदम - पु० [सं०] विष्णु । बलि - स्त्री० [सं०] देवताको चढ़ायी जानेवाली चीज, चढ़ावा, नैवेद्यः पूजा; बलिपशु; जमीनकी उपजका भाग जो राजाको मिले, राजकर; पंच महायज्ञोंके अंतर्गत चौथा, भूतयश बल, सिकुड़न, पेटमें नाभिके ऊपर पड़नेवाली रेखा; बवासीरका मस्सा; गुदावर्तके पास होनेवाला एक फोड़ा । सखी | पु० विरोचनका पुत्र दैत्यराज जिसे पुराणों के अनुसार विष्णुने वामनरूप धरकर छला; चैवरका दंड । - कर्म (न्) - पु० भूतयज्ञ; पूजा; राजकर देना। - दान-पु० देवताको पूजन-सामग्रीका अर्पण; देवता के उद्देश्य से पशुवध करना, कुरबानी । - द्विट् ( ) - पु० विष्णु । - ध्वंसी (सिन्) - पु० विष्णु । -नंदन, - पुत्र, - सुत-पु० बाणासुर ।-पशु-पु० वह पशु जिसका किसी देवता के प्रीत्यर्थ वध किया जाय । - पुष्ट, - भुक् ( ज्) - पु० कौआ । - भोज, -भोजन-पु० कौआ । मु०चढ़ना - बलिदान होना, मारा जाना। - चढ़ाना - बलि देना । - जाना - निछावर होना । बलित* - वि० बलि चढ़ाया हुआ, मारा हुआ; दे० ' वलित'। बलिवर्द - पु० [सं०] दे० 'बलीवर्द' । बलिष्ठ - वि० [सं०] सबसे अधिक बली, अतिशय बलवान् । बलिष्ठातिजीवन - पु० [सं०] ( सर्वाइवल ऑफ दि फिटेस्ट) सामाजिक और प्राकृतिक जीवन-संघर्ष में सबसे योग्यों या बलिष्ठोंका जीवित बचे रहना । बलिहारना * - स० क्रि० निछावर करना । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ५५८ बलिहारी - स्त्री० निछावर होना, कुर्बान जाना । मु०जाना - निछावर होना । बली - स्त्री० त्वचापर शिकनसे पड़ी हुई रेखा, बलि;*लता । बली (लिन्) - वि० [सं०] वलवान्, ताकतवर । बलीमुख * - पु० बंदर | बलीवर्द- पु० [सं०] साँड़; बैल | बलुआ - वि० जिसमें बालू अधिक मिला हो, रेतीला । पु० बलुई जमीन | बलूची - पु० बलूचिस्तानका निवासी । स्त्री० बलूचिस्तानकी भाषा । बलूला-पु० पानीका बुलबुला | बलैया * - स्त्री० दे० 'बला' । मु० - लेना-दे० 'बलायें लेना' । बल्कल - पु० दे० 'वल्कल' | बल्कि अ० [फा०] किंतु, प्रत्युत; अच्छा हो कि । बल्ब - पु० [अ०] शीशेकी नलीका अधिक चौड़ा भाग; पतले शीशेका खोखला लट्ठ जिसके भीतर बिजलीकी बत्ती होती है। बल्लभ - वि०, पु० दे० 'वल्लभ' । बल्लभी - स्त्री० प्रिया; दे० 'वल्लभी' ( गोपिका ) । बल्लम- पु० डंडा; भाला; चाँदी या सोनेका पत्तर चढ़ा हुआ सोंटा जिसे राजाओं, दूल्हों आदिकी सवारी के अगलबगल चार आदमी लेकर चलते हैं, सोंटा । -बरदारपु० बल्लम लेकर चलनेवाला, अनुचर । बल्लमटेर- पु० स्वयंसेवक (वालंटियर) | बल्लरी - स्त्री० दे० 'वल्लरी' | बल्लव - पु० [सं०] चरवाहा, ग्वाला; रसोइया, पाचक; विराट के यहाँ पाचकका काम करते समय भीमका नाम । बल्लवी - स्त्री० [सं०] ग्वालिन, गोपी । बल्ला - पु० लकड़ीका लंबा, सीधा लट्ठा; नाव खेनेका डाँड़ा; गेंद मारने का चपटा डंडा, बैट | बल्लेबाज - पु० (बैट्समैन) क्रिकेट या गेंद बल्लेके खेल में वह खिलाड़ी जो अपनी ओर आते हुए गेंदपर प्रहार करता है और अवसर देखकर 'रन' बनाने के लिए एक विकेट से दूसरे विकेटकी ओर दौड़ता है। बल्लेबाजी - स्त्री० (बैट्समैनशिप ) ( गेंद बल्लेके खेल में ) बल्लेसे गेंद पर प्रहार करनेकी क्रिया या कला । बवंडर - पु० बगूला, अंधड़ । बवंडा* - पु० बवंडर | बव-पु० [सं०] ज्योतिपके करणों से पहला । बवघूरा - पु० बगूला । बवन* - पु० दे० 'वमन' | बवना* - स० क्रि० बोना; बिखेरना । अ० कि० विखरना । पु० बौना । बवरना - अ० क्रि० दे० 'बौरना' । बवासीर - स्त्री० [अ०] एक रोग जिसमें गुदा में मस्से पैदा हो जाते हैं, अर्श । बशिष्ठ - पु० [सं०] दे० 'वसिष्ठ' । बशीरी- पु० एक तरहका बारीक रेशमी कपड़ा । बसंत - पु० दे० 'वसंत'; एक पौधा । बसंती - वि० बसंतका; बसंती रंगका । पु० हलका पीला For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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