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फ्रिक-फ्री
५३८ फ़िक्र-स्त्री० [अ०] सोच, चिंता; अंदेशा; काव्य-रचनाके फिरकैयाँ-स्त्री० चक्कर । लिए किया जानेवाला चिंतन; परवाह; यत्न । -मंद- फिरगाना*-पु० यूरोप-निवासी; अंग्रेज । वि० जिसे किसी बातकी चिंता लगी हो, चितित । फिरता-वि० वापस । पु० वापसी; अस्वीकार । फिटकरी-स्त्री. एक मिश्र खनिज पदार्थ जो स्फटिककी फिरना-अ० क्रि० कभी इधर, कभी उधर जाना, घूमना, तरह सफेद होता और दवा, रँगाई आदिके काम आता | भ्रमण करना; चक्कर खाना; मंडलाकार घूमना; लौटना, है, स्फटिक।
पलटना, मुड़ना; बदलना; मुकरना; लौटाया जाना, फिटकार-स्त्री० लानत, धिक्कार; शाप
फिराया जाना प्रसिद्ध याप्रचारित होना; फेरा या चलाया चेहरेपर)-बरसना-चेहरेका मलिन, उतरा हुआ होना। जाना (छुरी फिरना): पोता जाना। फिरकर-मुड़कर फिटकारना-स० क्रि०धिकार-फटकार बताना।
पलटकर। फिटकिरी-स्त्री० दे० 'फिटकरी'।
फिरनी-स्त्री० [फा०] पिसे हुए चावलकी खीर । फिटकी-स्त्री० छोटा; कपड़ेकी बुनावटमें निकले हुए फुचरे फिरवाना-म० क्रि० फिराने या फेरनेका काम दूसरेसे * फिटकरी।
- कराना। फिटाना*-स० फि० हटा देना, भगा देना।
फिराऊ-वि० जो फिरता हो सके, जाकड़ (माल)। फिट्टा-वि० (फटकार, अपमानसे) उतरा, खिसियाया हुआ फिराका-पु० फेर, चिंता टोह । (चेहरा)।
| फिराक-पु० [अ०] वियोग, जुदाई। (फ़िराके)यारफितरत-स्त्री० [अ०] स्वभाव पैदाइश; सृष्टि; चाल चालाकी। पु० प्रियतम, प्रेमपात्रसे बिछोह । फ़ितरतनू-अ० [अ०] प्रकृतिसे, स्वभावतः । | फिराकिया-वि० [अ०] वियोगात्मक, जिसका विषय वियोग फितरती-वि० [अ०] प्रकृतिगत, पैदाइशी (इस अर्थ में हो।-नज्म-स्त्री० वह काव्य जिसमें विरहका वर्णन हो।
अब फ़ितरी चलता है); शरारती, चालबाज़ । फिराद, फिरादि-स्त्री० फरियाद । फितरी-वि० [अ०] पैदाइशी, प्रकृतिगत; प्रकृतिक । फिराना-स० क्रि० इधर-उधर चलाना, धुमाना, भ्रमण या फितूर-पु० दे० 'फतूर'।
सैर कराना; चकर खिलाना; साथ लिये फिरना; मोड़ना, फितूरी-वि० दे० 'फुतूरी' ।
लौटाना; औरका और करना। फिदधी-वि० दे० 'फ़िद्दवी' ।
फिरार-पु० [अ०] भाग जाना, पलायन करना । फिदा--वि० [अ०] मुग्ध, आसक्त; किसीपर जान देने-फिरारी-वि० [अ०] भागा हुआ, पलायित (अभियुक्त इ०)। वाला । मु०-होना-आशिक होना; किसीके लिए जान फिरि*-अ० दे० 'फिर'। देना।
फिरिकी*-स्त्री० दे० 'फिरकी' । फिदाई-वि० [अ०] प्राण निछावर करनेवाला । फिरियाद, फिरियादि*-स्त्री० दे० 'फरियाद' । फ़िहवी-वि० [अ०] फिदा होनेवाला; किसीको लिए जान फिरियादी-वि०, पु० दे० 'फरियादी'। देनेवाला । पु० सेवक, दास (प्रार्थना-पत्रमें)।
फ़िरिश्ता-पु० [फा०] देवता; मुसलमानोंके विश्वासानुसार फिनिया*-स्त्री० कानमें पहननेका एक गहना।
ज्योतिसे निर्मित एक दिव्य योनि, देवदूत । फिफरी*-स्त्री० पपड़ी-'उड़िगे बदनकी लालिमा फिफरी फिरिहरी -स्त्री० दे० 'फिरकी' । परी अधरान'-रघु०।
फिर्का-पु० [अ०] दे० 'फिरका'। फ़िरंग-पु० यूरोप; यूरोपीय; गरमीकी बीमारी । * स्त्री. फिलहकीक़त-अ० हकीकतमें, सचमुच । विलायती तलवार-'चमकती चपला न फेरत फिरंग भट' फिलहाल-अ० तत्काल, अभी, इस समय । भू०।-रोग-पु० (वेनेरियल डिजीज) दे०रतिज रोग'। फिस-वि० सारहीन; कुछ नहीं । मु०-हो जाना-बेकार फिरंगिस्तान-पु० यूरोप ।
सिद्ध होना; कुछ न रह जाना । फिरंगी-पु० यूरोपियन । वि० यूरोपीय, विलायती । स्त्री० फिसड़ी-वि० पीछे रह जाने, काममें पिछड़ा रहनेवाला; विलायती तलवार ।
निकम्मा। फिरंट-वि०फिरा हुआ, विरुद्ध नाराज ।
फिसफिसाना-अ० कि० फिस होना; ढीला, कमजोर हो फिर-अ० पीछे, अनंतर दूसरे समय; तब पुनः, दोबारा जाना। इसके अलावा । -फिर-अ० बार-बार । -भी-अ० फिसलन-स्त्री० फिसलनेकी क्रिया; फिसलाहट, रपटन; तब भी।
फिसलनेको जगह । फिरकना-अ० क्रि० थिरकना, नाचना।
फिसलना-अ० कि० चिकनाईकी अधिकतासे पाँवका न फ़िरका-पु० [अ०] जमात, समुदाय, जाति, संप्रदाय । टिकना, सरकना (ला०) लुभाना, मनका झुकाव होना;
-बंदी-स्त्री० जमात बनाना, गरोहबंदी। -बार-अ० चूकना, धर्म या नीतिसे डिगना । वि० फिसलनवाला । फिरके, संप्रदायके अनुसार। -वाराना-वि० सांप्रदा- फिसलाहट-स्त्री० फिसलनेका भाव, फिसलना पिच्छलता। यिक।
| फ़िहरिस्त-स्त्री० [अ०] सूची, फर्द । फिरकी-स्त्री० चकई फिरहरी; तकलेमें लगा हुआ चमड़ेका फाँचना-सक्रि० कचारना । टुकड़ा; मालखंभकी एक कसरता कुश्तीका एक पेंच फ्री-स्त्री० दोष, त्रुटि, खोट । अ० [अ०] में, बीच से; धागा लपेटनेकी रील ।
प्रति, हर, पीछे।-कस-अप्रति व्यक्ति, आदमी पीछे ।
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