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फ्राज़िल-फिकैती फ्राज़िल-वि० [अ०] बढ़ा हुआ, आवश्यकतासे अधिक जिसमें वैज्ञानिक ढंगसे खेती की जाय । हिसाबसे बढ़ा या खर्चसे बचा हुआ; विद्वान् , गुणी। फाल-स्त्री० कटी हुई सुपारी। पु० डग; एक डगका -बाकी-स्त्री० देने-पावने या आमद-खर्वके हिसाबके फासला; [सं०] हलकी अँकड़ीमें लगाया जानेवाला बाद निकलने या फाजिल रहनेवाली रकम ।
नुकीला लोहा जिससे जमीन खुदती है, कुसी; एक दिव्य फाटक-पु०बड़ा दरवाजा, सिंहद्वार तोरण; मवेशीखाना, या दैवी परीक्षा माँगकी पट्टी, सीगंत भाग; गुलदस्ता; काँ जीहौस; * फटकन-'फाटक देकर हाटक माँगत'-सू०। । एक तरहका फावड़ा; ललाट; सूती वस्त्र, जोती हुई -दार-पु० काँजी हाउसका प्रबंधक ।
जमीन । वि० सूती । -कृष्ट-वि० जुता हुआ। फाटका-पु० सट्टा, सट्टेया जुआ। (फाटके)वाज-पु० फालतू-वि० आवश्यकतासे अधिक, फाजिल; बेकार, सट्टेबाज।
निकम्मा। फाटना*-अ० क्रि० दे० 'फटना'।
फालसई-वि० फालसेके रंगका । पु० फालसेके रंगसे फाड़न-पु० फाइनेसे निकला हुआ टुकड़ा, छेनेका पानी। मिलता हुआ रंग । फाड़ना-स० क्रि० चीरना, विदीर्ण करना; टुकड़े करना; फालसा-पु० [फा०] गरमीके दिनोंमें होनेवाला एक छोटा फैलाना, बाना, (आँख, मुँह); खटाई आदिक योगसे दूधके फल जिसके खड़ा (शर्बती) और मीठा (शकरी) दो भेद जलीय और ठोस भागको अलग-अलग कर देना। फाड़- होते हैं। खाऊ-वि० फाइखानेवाला, बिगडैल । मु० फाड़ खाना फालिज-पु० [अ०] पक्षाघात रोग, आधे अंगका सुन्न हो -भेटिये आदिका किमीको चीरकर खा जाना; दालाना, जाना, लकवा । काटने दौड़ना।
फालूदा-पु० [फा०] एक तरहकी सेवई जो मैदे के बारीक फातिमा-स्त्री० [अ०] मुहम्मदकी बेटी जो अलीको ब्याही टुकड़े दूध, शकरमें डालकर तैयार की जाती है। गयी, हसन-हुमैनकी माता।
फाल्गुन-पु० [सं०] फागुनका महीना; अर्जुन अर्जुन वृक्ष। फातिहा-स्त्री०, पु० [अ०] आरंभ; कुरानकी पहली सूरत फाल्गुनी-स्त्री० [सं०] फाल्गुनकी पूर्णिमा, पूर्वा फाल्गुनी परलोकगत आत्माकी सद्गतिके लिए सूरए फातिहा, वरूद या उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र । आदि पढ़े जानेकी रस्म । -स्वानी-स्त्री० फातिहा पढ़ने- फावड़ा-पु० चौड़े फलकी कुदाल, वेलचा। -(३)से की रस्म । मु०-पढ़ना-निराश होना।
दाँत-चौड़े, बदशकल दाँत । मु०-बजाना-खोदकर फादर-पु० [अं०] पिता; पादरियोंकी उपाधि ।
गिराना, ढाना। फानना-स० क्रि० (रुई) धुनना; + किसी कामको शुरू फावड़ी-स्त्री० छोटा फावड़ा; काठकी कुदाल जिससे घोड़े. करना।
की लीद आदि हटाते हैं। फ़ानी-वि० [अ०] फना होनेवाला, मरने-मिटनेवाला, फाश-वि० [फा०] खुला हुआ, प्रकट, सरीह । मु. नाशवान् ।
(परदा)-करना-गुप्त बात प्रकट कर देना। फानूस-पु० [फा०] एक तरहका शमादान जिसपर बारीक फासफरस-पु० [अं॰] एक ज्वलनशील मौलिक पदार्थ कपड़े या कागजका ग्लोबसा बना होता है, एक तरहका जो साधारण तापमानमें खुला रखनेसे धीरे-धीरे जलता बड़ा कंदील शीशेका गिलास जिसमें मोमबत्ती जलायी और अँधेरे में दीप्तिमान दिखाई देता है। जाती है।
फासला-पु० दे० 'कासिला'। फाउँदा*-पु० फतिंगा।
तासिद-वि० [अ०] फसाद करनेवाला, खराबी, बिगाड़ फाय*-स्त्री० फबन, शोभा।
पैदा करनेवाला, बुरा, खोटा। फाबना*.-अ० कि० दे० 'फवना' ।
फ़ासिला-पु० [अ०] दूरी, अंतर ।। फायदा-पु० [अ०] लाभ, नफाप्राति प्रयोजनकी सिद्धि फाहा-पु० धी-तेल आदिमें तर की हुई रुई या कपड़ा,
नतीजा; गुण । -(दे)मंद-वि० लाभ जनक; गुणकारी । मरहम चुपड़ी हुई पट्टी। फाया-पु० दे० 'फाहा'।
फ्राहिशा-स्त्री० [अ०] दुश्चरित्र स्त्री, पुंश्चली । फार*-पु० दे० 'फाल'।
फिकरना-अ० क्रि० गीदड़का बोलना। फारना*-स० कि० दे० 'फाइना'।
फिकवाना-स० क्रि० फेंकनेका काम दूसरेसे कराना। फ्रारम-पु० दे० 'फार्म'।
फ्रिकर-स्त्री० दे० 'फिक्र'। फारस-पु० [अ०] ईरान, पारस ।
फिरा-पु० [अ०] उद्देश्य-विधेययुक्त पदसमूह, वाक्य, फारसी-स्त्री० फारसकी भाषा। वि० फारसका । पु० फारस- । जुमला; रीदकी हड्डी, फरेबकी बात, चकमा, झाँसा ।
का रहनेवाला, ईरानी। -दा-वि० फारसी पढ़ा हुआ। -बंदी-स्त्री० तुकबंदी। (फ्रिकरे)बाज़-वि० चकमा फ़ारिश-वि० [अ०] जो फरागत हो चुका हो, कार्यसे देनेवाला, धोखेबाज ।-बाज़ी-स्त्री० चकमा देना, धोखेनिवृत्त, निश्चित । मु०-होना-निवृत्त होना शौचजाना। बाजी । मु० (फिकरे)जड़ना-फबती, आवाजा कसना । फार्म-पु० [अं॰] आकृति, नकशा, नमूना साँचा; दर्खास्त -जोड़ना-झूठी बात बनाकर कहना। आदिका छपा हुआ नमूना कंपोज किया और चेसमें कसा | फिकवाना-स० क्रि० दे० 'फिकवाना' ।
के लिए तैयार मैटर; पुस्तक आदिका एक बार-फिकैत-पु० गतका-फरी, पटा-बनेठीका खिलाड़ी, पटेबाज। में छपा हुआ अंश, जुज; बड़े रकबेका खेत, खासकर | फिकैती-स्त्री० गतके-पटे आदिकी कुशलता, पटेबाजी ।
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