________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
४५
www.kobatirth.org
की, के- इस बार, अगली बार। -जाकर - इतनी देर बाद भी आज भी; इतनेपर भी । -से-आगेसे, आइदा | मु० -तब करना -आज-कल करना, टाल-मटोल करना । - तब लगना या होना - मरणासन्न होना, कुछ देरका मेहमान होना ।
अवतर - वि० [फा०] बिगड़ा हुआ; बुरा, खराब | अवतरी - स्त्री० [फा०] बिगाड़; अवनति, खरावी । अबद्ध - वि० [सं०] न बँधा हुआ, मुक्त, स्वच्छंद, आजाद; - पत्र-प्रपंजी- स्त्री० (लूज लीफ लेजर) वह प्रपंजी जो खुले या बिना सिले पन्नोंके रूपमें हो । - मुख - वि० जो मनमें आये वह बकनेवाला, बदजवान | - मूल - वि० जिसकी जड़ ढ़ न हो ।
अबध* - वि० अबाध ।
अबधू* - पु० अवधूत, संन्यासी । वि० अबोध । अबध्य - वि० [सं०] न मारने योग्य; वधदंडके अयोग्य । अबर* - वि० दे० 'अबल' |
अबरा - पु० [फा०] ऊपरका पल्ला, उपल्ला; न खुलनेवाली गाँठ; उलझन । + वि० निर्बल ।
अबरी - वि० [फा०] बादलकी-सी धारियोंवाला; रंगदार धब्बादार | स्त्री० एक तरहका रंगदार कागज जो जिल्दकें ऊपर लगाया जाता है, 'मार्कुल'; एक तरहका पत्थर; एक तरहकी लाखकी रँगाई ।
अबरक, अबरख - पु० अभ्रक धातु; एक तरहका पत्थर । अबरन* - वि० अवर्णनीय; बिना रंग-रूपकाः भिन्न रंगका । पु० आवरण ।
अबूझ - वि० नासमझ, निर्बुद्धि, अज्ञान ।
अबरस - वि० [अ०] चितकबरा । पु० चितकबरा घोड़ा; अबूत* - वि० व्यर्थ, बेकार । – 'अरु सब गया अबूत' - साखौ । ऐसा रंग । अबे - अ० तिरस्कार सूचक संबोधन, क्योंरे, अरे । मु०तबे करना - अपमान जनक ढंगसे बात करना । अबेध* - वि० जो विधा न हो, अनबिधा । अबेर * - स्त्री० देर, अतिकाल । पु० वरुण । अबेश - वि० अधिक, बहुत । अबैन* - वि० चुप, मौन ।
अबोध - वि० [सं०] अज्ञान, नासमझ; घबड़ाया हुआ । पु० ज्ञानका अभाव । -गम्य-वि० अचिंतनीय, धारणाशक्तिसे परे ।
अबरू (ब्रु) - स्त्री० [फा०] भौं। मु०-पर मैल न आना - (आघात आदिका ) असर न होना; अविचलित रहना ।
अबल - वि० [सं०] कमजोर; अरक्षित । पु० निर्बलता । अबलक - वि० [फा०] सफेद-काला; सफेद और लाल रंगका; चितकबरा । पु० ऐसे रंगका घोड़ा | अबलख - वि० दे० 'अबलक' ।
अबस - वि० निरर्थक, बे फायदा; *जो अपने वशमें न हो । अबाँह * - वि० बिना बाँहका; अनाथ ।
अबाती* - वि० निर्वातः स्थिर रूपसे जलनेवाला । अवाद* - वि० निर्विवाद ।
अबादान - वि० आबाद; समृद्ध ।
अबोल-वि० न बोलनेवाला, मूक, मौन, अनिर्वचनीय | पु० कुबोल | अ० विना बोले हुए ।
अब्ज - वि० [सं०] जलसे उत्पन्न । पु०कमल; शंख; चंद्रमा; धन्वंतरि; निचुल वृक्षः कपूर; अरब (१,००,००,००,०००) । - नयन, नेत्र, - लोचन - वि० कमल जैसे बड़े और सुंदर नेत्रोंवाला । -बांधव - पु० सूर्य । भव, भू, - योनि - ५० ब्रह्मा ।
अबलखा- स्त्री० एक चिड़िया । अबला - स्त्री० [सं०] स्त्री, नारी ।
|
अबवाब - पु० [अ०] मालगुजारी या लगानपर लगनेवाला अतिरिक्त कर गाँव के व्यापारी आदिसे जमींदारको मिलनेवाला कर ।
अब्जा-स्त्री० [सं०] लक्ष्मी; सीपी ( मोतीवाली ) । अब्द-पु० [सं०] वर्ष; बादल; एक पर्वत; आकाश । अब्धि- पु० [सं०] समुद्र, झील, ताल; सातकी संख्या । - कफ- पु० समुद्रका फेन। -ज-पु० चंद्रमा; शंख; अश्विनीकुमार । - जा - स्त्री० लक्ष्मी; वारुणी । अब्बर* - वि० अबल, कमजोर । अब्बा - पु० [अ०] बाप, पिता ।
अब्रह्मण्य - वि० [सं०] ब्राह्मणके अयोग्य, अब्राह्मणोचित । पु० ब्राह्मणके अयोग्य कर्म; हिंसादि कर्म | अब्राह्मण-पु० [सं०] वह जो ब्राह्मण न हो; ब्राह्मणेतर । अभंग - वि० [सं०] अखंडित, न टूटा हुआ; न टूटनेवाला । - पद - पु० इलेष अलंकारका एक भेद जिसमें शब्दको बिना तोड़े दूसरा अर्थ निकाल लिया जाता है । अभंगी (गिन् ) - वि०* जिसका कोई कुछ न ले सके ।
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अबतर - अभंगी
अबाधित- वि० [सं०] जो रोका न गया हो, स्वाधीन; जिसका खंडन न किया गया हो; अनिषिद्ध | अबाध्य - वि० [सं०] जो रोका न जा सके। अबान * - वि० निहत्था ।
अबादानी - स्त्री० दे० ' आबादानी' 1 (सभ्यता, आवादी...) । अबाध - वि० [सं०] बाधारहित, बे रोक; निर्विघ्न; कष्टरहित; * अपार, असीम । पु० बाधा या खंडन न होना । - व्यापार - पु० ( फ्री ट्रेड ) वह व्यापार जिसमें संरक्षक कर आदि लगाकर बाधा न डाली जाय, दे० 'मुक्त वाणिज्य' ।
अबाबील - स्त्री० [फा०] एक छोटी चिड़िया जो प्रायः खँडहरों में घोंसला बनाती है ।
अवार* - स्त्री० अबेर, देर; अ० शीघ्र 'जह स्वयंवर होन हार अबार' (रघु० ) |
अबास * - पु० आवास, घर
अबीर- पु० [अ०] वह लाल रंग जिसे हिंदू अधिकतर होली खेलने के काम में लाते हैं; गुलाल । अबीरी - वि० अबीरके रंगका । अबुझ* - वि० अबूझ, नासमझ । अबुद्ध - वि० [सं०] दे० 'अबुध' । अबुद्धि-स्त्री० [सं०] अज्ञान, नासमझी। वि० नासमझ | अबुध - वि० [सं०] मूर्ख, नासमझ । पु० मूर्ख व्यक्ति । अबुहाना * - अ० क्रि० प्रेतादिसे आविष्ट होकर हाथ-पैर पटकना; बक उठना ।
For Private and Personal Use Only