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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ३८९ नंदि-नवकाश नंदि-पु० [सं०] आनंद; परमानंद-स्वरूप विष्णु; नंदि- नकटी-वि० स्त्री० (वह स्त्री) जिसकी नाक कटी हो या केश्वर; नाटकमें नांदीपाठ करनेवाला व्यक्ति; द्यत । जो बेहया हो । स्त्री० नाकका मैल । -ग्राम-पु. वह गाँव जहाँ भरतने रामके वनसे लौटने- नक़द-वि०, पु० दे० 'नवद' । तक निवास किया था। -घोष-पु० अर्जुनका रथा नकना*-अ० क्रि० दे० 'नकाना'; लाँधा जाना । स० हर्षध्वनि; मंगलघोषणा; वंदिजनका घोष ।। क्रि० लाँधना, फाँदना; छोड़ना; नाकमें दम करना । नंदिकेश, नंदिकेश्वर-पु० [सं०] शिवका वाहन नंदी। । नक्रब-स्त्री० [अ०] सेंध । -जनी-स्त्री० सेंध लगाना । नंदित-वि० [सं०] आनंदयुक्त, हृष्ट, प्रसन्न; * बजता हुआ। नक़ल-स्त्री० [अ०] वह जो किसीसे रूप, बनावट आदिमें नंदिन-स्त्री० पुत्री। हूबहू मिलता-जुलता हो, प्रतिरूप, अनुकृति; लेख आदिनंदिनी-स्त्री० [सं०] दुर्गा; पुत्री गंगा; कामधेनुकी पुत्री की प्रतिलिपि, कापी; किसीके वेश, वाणी आदिका यथाजिसके प्रसादसे दिलीपके यहाँ रघुका जन्म हुआ ननद ।। वत् अनुकरण, स्वाँग। -ची-पु० नकल करनेवाला । नंदी(दिन)-पु० [सं०] पुत्र; नाटक में नांदीपाठ करने -नवीस-पु. कागजातकी नकल करनेवाला कर्मचारी। वाला व्यक्ति शिवका वाहन; शिवका गणविशेष; विष्णु; -बही-स्त्री. वह बही जिसपर हुंडियों आदिकी नकल दागकर छोड़ा हुआ साँड़ । -गण-पु० शिवके द्वारपाल, की जाय। बैल; साँड़ । -पति-पु० शिव, शंकर । नकली-वि० [अ०] जो किसीका अनुकरणमात्र हो, अवानंदीमुख-पु० दे० 'नांदीमुख' । स्तव, असलीका उलटा; खोटा, जाली; झूठा, बना हुआ। नंदीश, नंदीश्वर-पु० [सं०] शिवः शिवके पाश्र्वचरोंका। नकशा-पु० दे० 'नक्शा'। -नवीस-पु० दे० 'नक्शाअधिपति । नवीस'। नंदेऊ*-पु० दे० 'नंदोई। नकस-पु० दे० 'नवश'। -मार-पु० दे० 'नक्शमार'। नंदोई, नंदोसी-पु० ननदका पति, पतिका बहनोई । नकाना*-अ० क्रि० आजिज आना। स० कि० परेशान नंबर-पु० [अं०] संख्या, गिनती; अंक; ३६ इंचकी एक करना, नाकमें दम करना; लाँघने में प्रवृत्त करना । भाप ।-दार-पु० [हिं०] एक तरहका जमींदार ।-वार- नक़ाब-स्त्री०, पु० [अ०] मुँह ढकनेका सिरसे गलेतकका अ० [हिं०] क्रमानुसार, सिलसिलेवार । रंगीन या जालीदार कपड़ा, चूँघट । -पोश-वि० जिसने नंबरी-वि० नंबरवाला; मशहूर, कुख्यात ।:-गज-पु० नकाब धारण किया हो, जिसका चेहरा नकाबसे ढका हो। कपड़ा नापनेकी एक माप जो ३६ इंचकी होती है। सेर- नकार-पु० [सं०] 'न' अक्षर: निषेध या अस्वीकृति-सूचक पु० तौलका एक मान जो ८० रुपयेभर होता है। शब्द; अस्वीकृति, इनकार । नंस*-वि० नष्ट । नकारना-अ० क्रि० अस्वीकृत करना, इनकार करना। न-अ० [सं०] एक निषेध, वितर्क आदिका सूचक शब्द, नकाराt-पु० नगाड़ा। वि०निकम्मा। नहीं, मत; कि नहीं, या नहीं। नकाशना -स० क्रि० नक्काशी करना । नइहरी-पु० स्त्रियोंका पितृगृह, मायका । नकाशी-स्त्री० दे० 'नक्काशी'। नई-वि० स्त्री० नयाका स्त्री०। * वि० नीतिशा नीति- नकासा-पु० दे० 'नकाश'। पालक नीतिमान् । * स्त्री० नदी। नकासी-स्त्री० दे० 'नक्काशी'। नउँजी*-स्त्री० लीची। नकियाना -अ० क्रि० नाकसे बोलना; नाकोंदम होना। नउ*-वि० नया; नौ। स. क्रि० आजिज कर देना, बहुत तंग करना। नउआ*-पु० नाऊ । नक्रीब-पु० [अ०] वह व्यक्ति जो राजाओं आदिकी नउका*-स्त्री० दे० 'नौका'। सवारीके आगे-आगे उनके वंशका यश गाता चलता है, न उत*-वि० झुका हुआ, नत । बंदी, चारण । नउलि*-वि० नया, ताजा। नकुड़ा, नकुरा-पु० नाक; नथना। नओढ़*-स्त्री० दे० 'नवोढा'। नकुल-पु० [सं०] नेवला युधिष्ठिरके एक छोटे भाई । नक-स्त्री० नाकका संक्षिप्त रूप (प्रायः समासमें व्यवहृत)। नकेल-स्त्री० ऊँट, भालू आदिकी नाकमें पहनायी जाने -कटा-वि० जिसकी नाक कट गयी हो; (ला०) जिसका वाली रस्सी जिसके सहारे उन्हें इधरसे उधर ले जाते हैं । बहुत अपमान हुआ हो; निर्लज्ज । -घिसनी-स्त्री० मु०-हाथमें होना-किसीका पूर्णतया वशमें होना । जमीनपर नाक रगड़ना; बहुत अधिक दीनता प्रकट करना। नका-पु० सुईका छेद, ताशका एक्का; कौड़ी।। -चढ़ा-वि० चिड़चिड़ा, तुनुकमिजाज। -छिकनी- नवकारखाना-पु० [फा०] नगाड़ा रखने और बजानेकी सी० एक धास जिसके फूलोंको सूचनेसे छींके आने लगती जगह, नौबतखाना। मु०-(न) में तूतीको आवाजहैं। -तोड़-पु० कुश्तीका एक पेच । -फूल-पु० नाक- दे० 'तृती'के साथ । में पहनेका फूलके आकारका गहना । -बेसर-स्त्री० दे० नकारची-पु० [फा०] नगाड़ा बजानेवाला। 'बेसर' । -मोती-पु० नाकमें पहननेका मोती । नकारा-पु० [अ०] नगाड़ा; डुगडुगी। मु०-बजाके-वानी*-स्त्री० नाकमें दम-..."हों आयो नकवानी'- खुलमखुल्ला। -(२)की चोट-खुल्लमखुल्ला। विनय० । -सीर-स्त्री० नाकसे खून निकलनेका रोग। नवकाल-पु० [अ०] नकल करनेवाला; स्वाँग बनानेवाला। नकटा-वि० दे० 'नककटा'। पु० एक प्रकारका गीत । नवकाश-पु० [अ०] लकड़ी आदिपर बेल-बूटे बनानेवाला। For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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