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नवकाशी-नग
चित्रकार, रंगसाज ।
गड़नेसे पड़नेवाला चिह्न पुरुष द्वारा किये मर्दन, स्पर्श नवनाशी-स्त्री० [अ०] बेल-बूटे खोदने, चित्र बनाने आदिसे स्त्रीके स्तन आदिपर पड़नेवाला नखका चिह्न
आदिका काम, चित्रकारी रंगसाजी । -दार-वि० जिस- (सा०)। -चारी (रिन्)-पु० पंजेके बल चलनेवाला पर बेल-बूटे खुदे या चित्र बने हों।
प्राणी । -च्छत, छोलिया*-पु० दे० 'नखक्षत' । नक्की-स्त्री० एकका चिह्न; एकके चिह्नसे जीता जानेवाला -दारण-पु० नहरनी; बाज पक्षी । -निळंतन-पु०,दावँ । -पूर-पु०,-मूठ-स्त्री० कौड़ियोंसे खेला जानेवाला रंजनी-स्त्री० नहरनी। -रेख*-स्त्री० दे० 'नखक्षत' । एक जुआ।
-लेखक-पु० नख रँगनेवाला। -विष-पु. वह जीव नक्कू-वि० जिसकी नाक बड़ी हो, बड़ी नाकवाला; जिसकी। जिसके नाखूनों में विष हो-जैसे मनुष्य, कुत्ता, बंदर,
ओर सभी उँगली उठायें, दोषभाजन, दोषी ठहराया जाने- बिल्ली आदि । -व्रण-पु० नाखून गड़नेका चिह्न। वाला, बदनाम; सबके विपरीत आचरण करनेवाला। -शंख-पु० छोटा शंख। -शस्त्र-पु० नहरनी । नक्तंचर-वि० [सं०] रातको विचरनेवाला, रातको -शिख-पु० पैरके नाखूनसे लेकर सिरतकके अंग; इन निकलनेवाला । पु० राक्षस; चोर; उल्लू ; गुग्गुल । अंगोंका वर्णन (सा०)। नक्त-पु० [सं०] वह समय जब संध्या होने में केवल एक | नख-स्त्री० [फा०] रेशमका बटा हुआ तागा; पतंगकी डोर । क्षणकी देर हो; रात । -चारी(रिन् )-वि० रातमें नखत*-पु० दे० 'नक्षत्र' । -राज,-राय-पु० चंद्रमा । विचरण करनेवाला; रातको निकलनेवाला । पु० चौर; नखतर*-पु० दे० 'नक्षत्र' । बिल्ली; उल्लूराक्षस, शिव ।
नखतेस*-पु० चंद्रमा। नक्तांध-वि० [सं०] जिसे रातको दिखाई न दे।
नखत्र-पु० दे० 'नक्षत्र' । ननद-पु० [अ०] वह धन जो सिक्कोंके रूपमें हो; वह रकम नखना-स० क्रि० नष्ट करना; पार करन।। अ० क्रि० जो फौरन अदा की जाय। वि० प्रस्तुत; अच्छा। अ० डाँका जाना, पार किया जाना । तुरंत रुपये देकर।
नखबान*-पु० नाखून । ननदी-स्त्री० [अ०] रोकड़ । -चिट्ठा-पु० रोकड़बही। नखर-पु० [सं०] नख, पंजा; एक प्राचीन अस्त्र । नक्र-पु० [सं०] नाक नामक जलजंतु; घड़ियाल, मगर । नखरा-पु० [फा०] विलासचेष्टा, हाव-भाव; नाज-अदा; नक्श-पु० [अ०] तसवीर बनाना; तसवीर, चित्र; फूल- दिखावटी इनकार, बनना। -(२)बाज़-वि० नखरा पत्ती या बेल-बूटे आदिका काम; मुहर या ठप्पेका निशान; करनेवाला । -बाज़ी-स्त्री० नखरा करनेकी क्रिया। सिक्का; जुएका एक खेल जो ताशसे खेला जाता है; नखरायुध-पु० [सं०] दे० 'नखायुध । तावीज । वि० अंकित; चित्रित; लिखा हुआ। -दार- नखरोट*-स्त्री० नखक्षत । वि० जिसपर नक्श हो।-बंद-पु० नक्शा, चित्र बनाने- नखांक-पु० [सं०] नाखून गड़नेका चिह्न व्याघ्रनखी। वाला । -बंदी-स्त्री० नक्शा या चित्र बनानेका काम। नखाघात-पु० [सं०] दे० 'नखक्षत; युद्ध या लड़ाई में -मार-पु० ताशके पत्तोंसे खेला जानेवाला एक प्रकारका नख द्वारा किया गया आधात । जुआ। मु०-होना-अंकित हो जाना।
नखानखि-स्त्री० [सं०] वह लड़ाई जिसमें लड़नेवाले एक नक्शा -पु० [अ०] तसवीर, चित्र, प्राकृतिक या किसी और दूसरेपर नखसे आघात करें ।। तरहकी स्थिति सूचित करनेवाला पृथ्वीके किसी भाग या नखायुध-पु० [सं०] सिंह; बाध; मुर्गा । खगोलका चित्र; चेहरा-मोहरा, आकृति; मकान, सड़क नखास-पु० पशुओंका बाजार, घोड़ोंका बाजार; बाजार । आदिका चित्र; ढंग, तर्ज; स्थिति, दशा, अवस्था रूप-रंग, नखियाना*-स० क्रि० नाखूनसे खरोंचना; (किसीमें) बनावट, शक्कु । -नवीस-पु० दे० 'नक्शबंद' ।। नाखून फँसाना । -नवीसी-स्त्री० दे० 'नक्शबंदी'। -बंद-पु० साड़ियों | नखी(खिन्)-वि० [सं०] जिसके नाखून बड़े-बड़े हों; आदिके बेल-बूटेके नक्शे बनानेवाला।
कँटीला । पु० सिंह; बाध । नक्शी -वि० [अ०] जिसपर बेल-बूटे बने हों।
नखेद*-पु० दे० 'निषेध' ।। नक्षत्र-पु० [सं०] तारा; तारोंके अश्विनी, भरणी आदि | नखोटना*-स० क्रि० नाखूनसे खरोचना या नोचना । सत्ताईस समूह । -दान-पु. एक प्रकारका दान जिसमें नग-पु० अँगूठी आदिमें जड़ा जानेवाला बहुमूल्य पत्थर, भिन्न-भिन्न नक्षत्रोंमें भिन्न-भिन्न पदार्थोंके दानका विधान नगीना; काँचका टुकड़ा; संख्या, थान; [सं०] वि० पर्वत है। -नाथ,-पति-पु. चंद्रमा । -पथ-पु० नक्षत्रोंके वृक्ष; सूर्यः सर्प; सातकी संख्या । जो गमन न करता भ्रमणका मार्ग। -राज-पु० चंद्रमा । -लोक-पु० वह हो, न चलने-फिरनेवाला, अचल, स्थिर । -ज-वि० लोक जिसमें नक्षत्र स्थित हैं, नक्षत्रोंका लोक; आकाश। पर्वतसे उत्पन्न । पु० हाथी । -जा-स्त्री० पार्वती; क्षुद्र -विद्या-स्त्री० ज्योतिषविद्या ।
पाषाणभेदा नामक लता। -दंती-स्त्री० विभीषणकी नक्षत्री-वि० जो किसी अच्छे नक्षत्रमें उत्पन्न हुआ हो, पत्नी । -धर-पु० कृष्ण जिन्होंने गोवर्धन पर्वतको धारण भाग्यशाली।
किया था। -धरन*-पु० कृष्ण । -नंदिनी-स्त्री० नक्षत्रेश-पु० [सं०] चंद्रमा कपूर ।।
पार्वती । -पति-पु० हिमालय; चंद्रमा ( जो पौधों नख-पु०[सं०] नाखून; एक गंधद्रव्य; २०की संख्या खंड, और ओषधिोका अधिपति है); शिव; सुमेरु । -भिदटुकड़ा । -कुट्ट-पु० नापित, नाई ।-क्षत-पु० नाखूनके पु० पत्थर तोड़नेका एक प्राचीन अस्त्र; कुठार; इंद्र;
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