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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ध्रुवक-नंदात्मजा ३८८ ध्रवक-पु० [सं०] गीतका वह आरंभिक अंश जो बराबर उठाकर-चढ़ाकर, झटकेके साथ फहराना (हॉइस्टिंग ऑफ दुहराया जाता है, टेक। दि फ्लैग)। . ध्रवता-स्त्री०, ध्रवत्व-पु० [सं०] ध्रव होनेका भाव, ध्वनि-स्त्री० [सं०] शब्द, आवाज; ऐसा शब्द जिसका अचलता, स्थिरता, निश्चतता, नैश्चित्य । वर्णात्मक रूपमें ग्रहण न हो, मृदंग आदिसे उत्पन्न शब्द ध्वंस-पु० [सं०] नाशमकान या इमारतका ढहना। (न्या०); शब्दका स्फोट (व्या०); गीतका लया वह ध्वंसक-वि० [सं.] नाश करनेवाला; ढाहनेवाला। काव्य जिसमें व्यंग्यार्थ वाच्यार्थ से अधिक चमत्कारवाला ध्वंसावशेष-पु०[सं०] खंडहर (रेकेज) विमान, पोतादिके। हो (सा०); वह अर्थ जो सीधे शब्दोंसे न निकलता हो, टूटे-फूटे टुकड़े। व्यंग्यार्थ; गूढ आशय स्वर । -काव्य-पु० व्यंग्य-प्रधान ध्वंसी (सिन)-वि० [सं०] नाश करनेवाला, ध्वंसक ।। काव्य, वह काव्य जिसमें व्यंग्यार्थ प्रधान हो। -क्षेपक ध्वज-पु० [सं०] सेना, रथ, देवता आदिका चिह्नभूत यंत्र-पु. (माइक्रोफोन) एक यंत्र जिसके द्वारा विद्युत्की पताकायुक्त या पताका-रहित बाँस, पलाश आदिका लंबा सहायतासे एक स्थानपर उच्चरित शब्द, वाक्य या ध्वनि डंडा; झंडा, पताका; निशान, चिह्न; ढोंग; दर्प, घमंड; दूर-दूरतक फैलायी जा सके। -तरंग-स्त्री० (साउंडवेव) पुरुषंद्रिय । -पात-पु० नपुंसकता, कीवता। -पोत- कोई शब्द बोलने या कोई ध्वनि होनेपर उठनेवाली पु० (फ्लैगशिप) बेड़ेका वह जहाज जिससे नौबलाध्यक्ष वह तरंग जो इवामें चारों ओर फैलकर सुननेवालेके कानों(नौसेनापति) यात्रा कर रहा हो और जिसपर उसका तक पहुँचती है जिससे उसे उस शब्द या ध्वनिका ज्ञान झंडा फहरा रहा हो। -भंग-पु० दे० 'ध्वजपात'। होता है। -वद्धका-विस्तारक-पु० (लाउडस्पीकर) -यष्टि-स्त्री. वह डंडा जिसमें पताका लगी रहती है। ध्वनि या आवाजकी तीव्रता बढ़ानेवाला यंत्र । -विक्षेपक -विस्फारण-पु० झंडेको सिकुड़ी हुई स्थितिसे निकाल- -पु० (ट्रांसमिटर) दे० 'दूरविक्षेपक'। -विक्षेपणकर खोलना, फैलाना (अनफलिंग, बेकिंग ऑफ दि पु० (ट्रांसमिशन) दे० 'दूरविक्षेपण' । -संग्राहक-पु० फ्लैग)। -स्तंभ-पु० (फ्लैग स्टाफ) वह खंभा या बाँस (साउंड रिकार्डर) दे० 'ध्वन्यभिलेखक'। जिसपर झंडा फहराया जाता है। ध्वनित-वि० [सं०] जो ध्वनिके रूप में व्यक्त हुआ हो, ध्वजवान (वत्)-वि० [सं०] चिह्नविशेषसे युक्त, _जिसकी ध्वनि हुई हो, व्यंजित; शब्दित । जिसका कोई विशेष चिह्न हो; जिसके पास या हाथमें ध्वज ध्वन्यभिलेखक-पु० [सं०] (साउंड रिकार्डर) ध्वनिका हो, ध्वजवाला। पु० ध्वजवाहक; वह ब्राह्मण जो ब्रह्म- संग्रहण या अभिलेखन करनेवाला यंत्र अथवा साधन । हत्याके प्रायश्चित्तके रूप में मारे गये व्यक्तिकी खोपड़ी ध्वन्यात्मक-वि० [सं०] ध्वनिरूप, ध्वनिमय; (काव्य) लेकर तीर्थोंमें भिक्षाटन करता फिरे । जिसमें व्यंग्य प्रधान हो। ध्वजा-स्त्री० पताका, झंडा । ध्वन्यार्थ-पु० [सं०] वह अर्थ जिसका बोध व्यंजनावृत्तिसे ध्वजारोपण-पु० [सं०] झंडा लगाना या गाड़ना। होता हो। ध्वजी (जिन्)-वि० [सं०] ध्वजवाला, जिसके पास या ध्वस्त-वि० [सं०] ढहा हुआ, नष्ट; पतित; गलित । हाथमें ध्वज हो; जिसका कोई विशेष चिह्न हो । ध्वांत-पु० [सं०] अंधकार; एक नरक जहाँ सदा अँधेरा ध्वजोत्तोलन-पु० [सं०] झंडेको खंभे आदिको ऊँचाईतक | छाया रहता है। न-देवनागरी वर्णमालाका २०वा, व्यंजन वर्ण । कुँवर-[हि०] कृष्ण । -कुमार-पु० कृष्ण । -नंद,नंग-पु० नंगापन, नग्नता । वि० नंगा; पाजी। -धडंग नंदन-पु० कृष्ण । -नंदिनी-स्त्री० योगमाया, दुर्गा । -वि. जो सिरसे पैरतक वस्त्ररहित हो, एकदम नंगा।। -पुत्री-स्त्री० योगमाया, दुर्गा । -रानी-[हिं०] स्त्री० नंगा-वि० जिसकी देहपर कोई कपड़ा न हो, जो कोई नंदकी पत्नी, यशोदा। -लाल-[हिं०] पु० कृष्ण । - वस्त्र न धारण किये हो, विवस्त्र निर्लज्ज, बेहया; निराव- वंश-पु० मगधका एक प्रसिद्ध राजकुल जिसका विनाश रण । -झोरी, झोली-स्त्री० छिपायी हुई चीजका पता | चाणक्यने किया। लगानेके लिए किसीके कपड़ों आदिको टटोलकर या और नंदन-वि० [सं०] आनंद देनेवाला, हर्षप्रद । पु० इंद्रका तरहसे भली भाँति देखना, कपड़ोंकी तलाशी।-बुच्चा,- | उद्यान; आनंदित होना; आनंद, हर्प; पुत्र; २६ वाँ संवबूचा-वि० अकिंचन । -लुचा-वि० नंगा और लुच्चा, त्सर, मेघ । -कानन-पु० नंदन नामका इंद्रका उद्यान । पाजी, बदमाश। -माला-स्त्री० एक प्रकारकी माला जिसे कृष्ण पहना नगियाना-स० क्रि० नंगा करना सब कुछ ले लेना। करते थे। -वन-पु० दे० 'नंदनकानन' । नग्याना, नँग्यावना*-सक्रि० दे० 'नँगियाना' । नंदना-स्त्री० [सं०] पुत्री । * अ० कि. आनंदित होना। नंद- स्त्री० पतिकी बहिन, ननद । पु० [सं०] हर्ष, पर- नंदा-स्त्री० [सं०] आनंद; दुर्गाका एक विग्रह; ननद । मेश्वर, विष्णु; गोकुलके प्रमुख गोप जिनके यहाँ कृष्णका -देवी-स्त्री० हिमालयकी एक चोटी । पालन हुआ था; मगधके एक प्राचीन राजा जिनसे नंदवंश नंदात्मज-पु० [सं०] कृष्ण । चला; मेढक नौकी संख्या। -किशोर-पु० कृष्ण । - नंदात्मजा-स्त्री० [सं०] योगमाया। For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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