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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धोप-ध्रव करना, जलसे स्वच्छ करना; दूर हटाना, छोड़ देना। | धीरे-अ० 'धोरे'। धोप*-स्त्री० तलवार । धौरेय-वि० [सं०] जो धुरा धारण करने योग्य हो, बोझ धोब-पु० धोये जानेकी क्रिया, धुलाई । ढोने योग्य । पु० गाड़ी खीचनेवाला बैल; घोड़ा। धोबना, धोविन-स्त्री० धोबीकी स्त्री; धोबी जातिकी स्त्री; धौ~-पु० [सं०] दे० 'धूर्तता'।। एक चिड़िया। | धौल-स्त्री०सिर, कंधे या पीठपर किया जानेवाला घुसेकी धोबी-पु० कपड़ा धोनेका पेशा करनेवाला, रजक । तरहका भारी आघात; चपत; हानि । * पु० धौराहर । -पछाड़,-पाट-पु० कुश्तीका एक पेंच । मु०-का -धक्कड़-पु० उपद्रव, दंगा। -धक्का-पु. आघात, कुत्ता-उठल्लू आदमी। -का छैला-परायी वस्तुपर दबाव, चपेट । -धप्पड़,-धप्पा-पु० मारपीट; उपद्रव । गर्व करनेवाला आदमी। -धूत*--वि० धवल धूर्त, पक्का धूर्त ।। धोम-पु० धूम,.धुआँ । धौलहर, धौलहरा*-पु० धरहरा। धोरी-पु० धुरा धारण करनेवाला, धुरंधर; गाड़ी आदिमें धौला-वि० 'धवल' । पु० धव वृक्ष; सफेद बैल ।-गिरि जोते जानेवाले बैल आदि, धुर्य; अग्रणी, धुरीण । पु० दे० 'धवलगिरि'। धोरे*-अ० समीप, निकट, किनारे । ध्यातव्य-वि० [सं०] दे० 'ध्येय' । धोवत*-पु० धोबी। ध्याता(त)-पु० [सं०] ध्यान करनेवाला । धोवती*-स्त्री० धोती। ध्यान-पु० [सं०] किसीके स्वरूपका चिंतन विषय-विशेष में धोवन-पु० धोनेकी क्रिया या भाव; वह पानी जिसमें या| चित्तकी एकाग्रता, गौर, सोच, विचार, चिंतन, बुद्धि, जिससे कोई वस्तु धोयी गयी हो । समझ स्मृति, याद, खयाल; किसी एक विषयपर मनको धोवा*-पु० धोवन; जल। स्थिर करनेकी क्रिया; चिंतन या धारण करनेकी वृत्ति धोवाना--स० क्रि० धुलाना । अ० कि० धुलना। ध्येय विषयके साथ चित्तके प्रत्ययकी एकतानता (योग)। धौ-अ० एक शब्द जो संशय, विकल्प, आदेश आदिमें -गम्य-वि० केवल ध्यानसे प्राप्त होनेवाला ।-तत्पर,प्रयुक्त होता है, न मालूम, न जाने, पता नहीं, कुछ निष्ठ,-पर-वि: ध्यानमें मग्न । -मग्न-वि० ध्यानमें ठीक नहीं, क्या मालूम या, अथवा, कि भला, तो। । लीन, ध्यानमें लगा हुआ, ध्यानरत । -योग-पु० धौंकना-स० क्रि० आगको तेज करनेके लिए उसपर भाथी, | ध्यानरूपी योग; वह योग जिसमें ध्यानकी प्रधानता हो। पंखा आदिके द्वारा हवाका झोंका पहुँचाना:भार डालना। -स्थ-वि० ध्यानमग्न, ध्यान करता हुआ। मु०धौंकनी-स्त्री सोनारोंकी आग दहकानेकी लोहे या बाँस- आना-स्मरण होना । -छूटना-चित्तकी एकाग्रता नष्ट की नली; भाथी। होना ।-देना-चित्तको किसी ओर प्रवृत्त करना, खयाल धीकी-स्त्री० दे० 'धौ कनी' । करना । -धरना-किसीके स्वरूपका चिंतन करना; धौज-स्त्री० दौड़धूप; बेकली, परेशानी, उद्विग्नता । एकाग्रभावसे ईश्वर आदिका चिंतन करना।-पर चढ़नाधाँजना-सक्रि० रौदना, पावसे कुचलना। अ० कि० स्मरण होना, याद होना ।-बंधना-किसी ओर चित्तका दौड़-धूप करना। लगा रहना, किसीके चिंतनमें चित्तका एकाग्र होना । धौस-स्त्री० डाँट-डपट, घुड़की, धमकी; झाँसा-पट्टी; धाक । -में न लाना-चिंता न करना; न बिचारना । -पट्टी-स्त्री० भुलावा, झाँसा पट्टी।। -लगाना-दे० 'ध्यान धरना'।-से उतरना-भूलना, धौंसना-स० क्रि० डाँटना-डपटना, धमकाना, घुड़कना; विस्मृत होना। दंड देना; दबाना पीटना । ध्याना*-स० कि० ध्यान करना, बराबर स्मरण करना । धौंसा-पु० बड़ा नगाड़ा; बूता, सामर्थ्य । ध्यानावस्थित-वि० [सं०] ध्यानमें लगा हुआ, ध्यानमग्न । धाँसिया-पु० धौसा बजानेवाला; धोखेबाज धौंस जमाने ध्यानी(निन्)-वि० [सं०] ध्यान करनेवाला; जो वाला। बराबर परमात्म-चिंतन किया करता हो, ध्यानशील । धौत-वि० [सं०] धोया हुआ, प्रक्षालित; धवल । पु० ध्येय-वि० [सं०] ध्यान करने योग्य; (वह विषय) जिसका चादी। ध्यान किया जाय । पु० ध्यानका विषय; उद्देश्य, लक्ष्य । धौति, धौती-स्त्री० [सं०] हठयोगकी एक क्रिया जिसमें ध्रपद-पु० दे० 'ध्र व-पद' । कपड़ेकी चार अंगुल चौड़ी और पंद्रह हाथ लंबी गीली ध्रव-वि० [सं०] स्थिर, अचल; निश्चित; अटल, पक्का; पट्टीको निगलते और फिर बाहर निकालते हैं। इस क्रिया- सदा एकरूप रहनेवाला, नित्य, शाश्वत । पु० एक प्रसिद्ध में काम आनेवाली कपड़ेकी पट्टी। बालतपस्वी जो विष्णुके वरसे उत्तर दिशामें अचल ताराके धौर-वि० धवल, सफेद । पु० एक पक्षी; सफेद कबूतर । | रूपमें मेरुके ऊपर प्रतिष्ठित हैं, ध्रुवतारा; पृथ्वीके उत्तरी धौरहर* -पु० दे० 'धौराहर'। और दक्षिणी सिरे; आकाश ।-तारक-तारा-पु० उत्तर धौरा-वि० धवल, श्वेत, सफेद । पु० सफेद बैल; धव दिशामें मेरुके ऊपर सदा एक स्थानपर स्थित रहनेवाला वृक्ष; एक पक्षी। एक तारा। -दर्शक-पु० एक दिशासूचक यंत्र जिसकी धौराहर-पु० दे० 'धरहरा'। सुई बराबर उत्तर दिशाकी ओर रहती है, कुतुबनुमा । धौरिय*-पु० गाड़ीमें जोता जानेवाला बैल, धुर्य । -दर्शन-पु. ध्रुवकी ओर संकेत करनेकी एक प्राचीन धौरी-स्त्री० उजली गाय; धौरा पक्षीकी मादा। वैवाहिक प्रथा। -पद-पु. एक तरहका गीत । २५ For Private and Personal Use Only
SR No.020367
Book TitleGyan Shabdakosh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanmandal Limited
PublisherGyanmandal Limited
Publication Year1957
Total Pages1016
LanguageHindi
ClassificationDictionary
File Size28 MB
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